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राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण रिपोर्ट: देश में एक लाख की आबादी में 316 लोग टीबी के मरीज, दिल्ली में सबसे ज्यादा मामले

सार

साल 2019 से 2021 के बीच देश भर में किए सर्वे के दौरान यह पता चला है कि 15 वर्ष या फिर उससे अधिक आयु वालों की आबादी में सबसे अधिक टीबी संक्रमण का जोखिम दिल्ली वालों पर बना हुआ है। बीते वर्ष दिल्ली में 98,483 लोग टीबी संक्रमित मिले हैं। वहीं गुजरात और केरल में सबसे कम प्रसार दर्ज हुआ है।

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दिल्ली अब प्रदूषण के अलावा टीबी बीमारी (क्षयरोग) को लेकर भी देश का अति जोखिम शहर बना है। जहां देश में एक लाख की आबादी पर 316 लोगों में टीबी संक्रमण फैला है। वहीं करीब दो करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में एक लाख में से 534 लोग टीबी की चपेट में हैं। यह खुलासा राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण की रिपोर्ट में हुआ है।
 
साल 2019 से 2021 के बीच देश भर में किए सर्वे के दौरान यह पता चला है कि 15 वर्ष या फिर उससे अधिक आयु वालों की आबादी में सबसे अधिक टीबी संक्रमण का जोखिम दिल्ली वालों पर बना हुआ है। बीते वर्ष दिल्ली में 98,483 लोग टीबी संक्रमित मिले हैं। वहीं गुजरात और केरल में सबसे कम प्रसार दर्ज हुआ है। इन दोनों राज्यों में एक लाख की आबादी पर क्रमशः 141 व 115 लोग टीबी की चपेट में हैं।  

संक्रमण की रोकथाम पर ध्यान जरूरी: मंत्रालय
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र के देश भर में फैले क्षेत्रीय संस्थानों के सहयोग से हुए इस सर्वे रिपोर्ट पर मंत्रालय का कहना है कि अति जोखिम राज्यों में टीबी को लेकर और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। बुजुर्ग, कुपोषित, मधुमेह रोगी इत्यादि की स्क्रीनिंग पर ध्यान दिया जाना चाहिए।  

इन पांच राज्यों में संक्रमण अधिक
दिल्ली के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में भी टीबी संक्रमण का जोखिम काफी अधिक है। एक लाख की आबादी पर जहां राजस्थान में 484 लोग टीबी के खतरे में हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में यह संख्या 481, हरियाणा में 465 और छत्तीसगढ़ में 454 है। इनके अलावा मध्य प्रदेश में 386, झारखंड में 352, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में 344, बिहार में 327 और पंजाब में 283 लोग जोखिम में हैं। 

हैजा मुक्त नहीं हो रही दिल्ली, तीन साल में पांच की मौत
स्वास्थ्य के क्षेत्र में आए दिन उपलब्धियां हासिल करने वाली दिल्ली कई साल बाद भी हैजा मुक्त नहीं हो पा रही है। राजधानी के अस्पतालों में अभी भी हैजे से जुड़े मरीज आ रहे हैं। एक आरटीआई के अनुसार, साल 2018 से 2021 के बीच राजधानी में हैजे से पांच लोगों की मौत हुई है। इतना ही नहीं बीते तीन साल में जानलेवा बीमारियों की बात करें तो कोरोना संक्रमण के साथ-साथ स्वाइन फ्लू और हैजे के चलते सबसे अधिक लोगों की मौत हुई है।

मुंबई निवासी चेतन कोठारी की आरटीआई में एनसीडीसी ने जानकारी उपलब्ध कराई है कि एक जनवरी 2018 से 31 मार्च 2021 के बीच दिल्ली में कोरोना महामारी से 11,016 लोगों की मौत हुई। वहीं स्वाइन फ्लू से 33, टाइफाइड से एक, डेंगू से दो और हैजे से पांच लोगों की मौत हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज न मिलने से मरीज की हालत गंभीर हो जाती है और दो से तीन दिन में उसकी मौत तक हो सकती है। 

विस्तार

दिल्ली अब प्रदूषण के अलावा टीबी बीमारी (क्षयरोग) को लेकर भी देश का अति जोखिम शहर बना है। जहां देश में एक लाख की आबादी पर 316 लोगों में टीबी संक्रमण फैला है। वहीं करीब दो करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में एक लाख में से 534 लोग टीबी की चपेट में हैं। यह खुलासा राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण की रिपोर्ट में हुआ है।

 

साल 2019 से 2021 के बीच देश भर में किए सर्वे के दौरान यह पता चला है कि 15 वर्ष या फिर उससे अधिक आयु वालों की आबादी में सबसे अधिक टीबी संक्रमण का जोखिम दिल्ली वालों पर बना हुआ है। बीते वर्ष दिल्ली में 98,483 लोग टीबी संक्रमित मिले हैं। वहीं गुजरात और केरल में सबसे कम प्रसार दर्ज हुआ है। इन दोनों राज्यों में एक लाख की आबादी पर क्रमशः 141 व 115 लोग टीबी की चपेट में हैं।  

संक्रमण की रोकथाम पर ध्यान जरूरी: मंत्रालय

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र के देश भर में फैले क्षेत्रीय संस्थानों के सहयोग से हुए इस सर्वे रिपोर्ट पर मंत्रालय का कहना है कि अति जोखिम राज्यों में टीबी को लेकर और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। बुजुर्ग, कुपोषित, मधुमेह रोगी इत्यादि की स्क्रीनिंग पर ध्यान दिया जाना चाहिए।  

इन पांच राज्यों में संक्रमण अधिक

दिल्ली के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में भी टीबी संक्रमण का जोखिम काफी अधिक है। एक लाख की आबादी पर जहां राजस्थान में 484 लोग टीबी के खतरे में हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में यह संख्या 481, हरियाणा में 465 और छत्तीसगढ़ में 454 है। इनके अलावा मध्य प्रदेश में 386, झारखंड में 352, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में 344, बिहार में 327 और पंजाब में 283 लोग जोखिम में हैं। 

हैजा मुक्त नहीं हो रही दिल्ली, तीन साल में पांच की मौत

स्वास्थ्य के क्षेत्र में आए दिन उपलब्धियां हासिल करने वाली दिल्ली कई साल बाद भी हैजा मुक्त नहीं हो पा रही है। राजधानी के अस्पतालों में अभी भी हैजे से जुड़े मरीज आ रहे हैं। एक आरटीआई के अनुसार, साल 2018 से 2021 के बीच राजधानी में हैजे से पांच लोगों की मौत हुई है। इतना ही नहीं बीते तीन साल में जानलेवा बीमारियों की बात करें तो कोरोना संक्रमण के साथ-साथ स्वाइन फ्लू और हैजे के चलते सबसे अधिक लोगों की मौत हुई है।

मुंबई निवासी चेतन कोठारी की आरटीआई में एनसीडीसी ने जानकारी उपलब्ध कराई है कि एक जनवरी 2018 से 31 मार्च 2021 के बीच दिल्ली में कोरोना महामारी से 11,016 लोगों की मौत हुई। वहीं स्वाइन फ्लू से 33, टाइफाइड से एक, डेंगू से दो और हैजे से पांच लोगों की मौत हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज न मिलने से मरीज की हालत गंभीर हो जाती है और दो से तीन दिन में उसकी मौत तक हो सकती है। 

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