जीएसटी परिषद ने 2017 में ई-वॉलेट योजना शुरू करने का सुझाव दिया था। इस योजना के तहत जब कोई निर्यातक उत्पाद बनाने के लिए कच्चे माल का आयात करेगा तो उस पर लगने वाला टैक्स उसके ई-वॉलेट में डाल दिया जाएगा। यह रकम निर्यातक के पिछले साल के औसत टर्नओवर के हिसाब से एडवांस क्रेडिट किया जाएगा। वह जिस श्रेणी का उत्पाद बनाता है और निर्यात करता है, उस पर लगने वाले टैक्स के आधार पर एडवांस क्रेडिट की गणना होगी।
इस तरह टैक्स भुगतान के लिए उसके पास अतिरिक्त तरलता होगी। इसके अलावा, बजट में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए डबल टैक्स डिडक्शन योजना को लॉन्च किया जा सकता है। इसके तहत एक निर्यातक विदेशी बाजार में प्रचार पर जितना खर्च करेगा, उसकी दोगुनी राशि पर उसे कुल करयोग्य रकम में छूट का लाभ मिलेगा।
वाणिज्य मंत्रालय जल्द शुरू करेगा ब्रांड इंडिया अभियान
नए बाजारों में सेवाओं और उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ‘ब्रांड इंडिया’ अभियान शुरू कर सकता है। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि यह अभियान भारत की ओर से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए ‘समग्र अभियान’ के रूप में काम करेगा।
इसके तहत शुरुआती चरण में रत्न-आभूषण, वस्त्र, बागवानी उत्पादों (चाय, कॉफी, मसाले), शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, फार्मा और इंजीनियरिंग निर्यात पर जोर रहेगा।
इस अभियान के तहत गुणवत्ता, विरासत, प्रौद्योगिकी, मूल्य और नवाचार पर ध्यान दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा, ऐसे अभियान की जरूरत इसलिए है क्योंकि फिलहाल विभिन्न क्षेत्रों को अलग-अलग तरीकों से ‘व्यक्तिगत’ पहचान के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) के ब्रांड इंडिया अभियान की समीक्षा की है।
कपड़ों की मजबूत मांग निर्यात बढ़ाने में मददगार
परिधान निर्यात संवर्द्धन परिषद (एईपीसी) ने मंगलवार को कहा कि दुनियाभर में भारतीय परिधानों की मांग लगातार बढ़ रही है। इससे निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। परिषद के प्रमुख ए शक्तिवेल ने कहा कि दुनियाभर के खरीदारों और ब्रांडों से भारतीय परिधान विनिर्माताओं को मिलने वाले ऑर्डर तेजी से बढ़ रहे हैं।
मांग मजबूत होने से भी भारतीय परिधान निर्यात के आने वाले महीनों में ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। रेडिमेड वस्त्रों का निर्यात दिसंबर, 2021 में 22 फीसदी बढ़कर 1.46 अरब डॉलर रहा। दिसंबर, 2020 में यह 1.20 अरब डॉलर रहा था।
चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में यह आंकड़ा 11.13 अरब डॉलर पहुंच गया। शक्तिवेल ने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और पीएम-मित्र योजनाएं कपड़ा एवं परिधान क्षेत्रों में भारत को अपनी वैश्विक नेतृत्व वाली स्थिति दोबारा हासिल करने में मददगार बनेंगी।