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यूक्रेन पर हमला: आखिर प्रतिबंधों से क्यों नहीं डर रहा है रूस, पढ़िए पूरी खबर

सार

 कई विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस ने यूकेन पर हमला यूं ही जोश में आकर नहीं किया है, बल्कि इसके पीछे कई वर्षों की तैयारी है। रूस ने बीते आठ वर्ष में अपनी अर्थव्यवस्था को प्रतिबंधरोधी बनाया है।

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अमेरिका और यूरोपीय देशों के तमाम कड़े और अभूतपूर्व प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। रूस पर पश्चिम के प्रतिबंधों की झड़ी लगी है, लेकिन रूस को इनकी जरा भी परवाह नहीं।

आखिर ऐसी कौनसी ताकत या तरीके हैं, जिनके कारण रूस को प्रतिबंधों की परवाह नहीं है। 2014 में क्रीमिया के विलय के समय भी रूस पर प्रतिबंध लगे थे, तब रूस की अर्थव्यवस्था काफी लचर थी। 2014 की तुलना में रूस की अर्थव्यवस्था आज काफी मजबूत है।

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस ने यूकेन पर हमला यूं ही जोश में आकर नहीं किया है, बल्कि इसके पीछे कई वर्षों की तैयारी है। रूस ने बीते आठ वर्ष में अपनी अर्थव्यवस्था को प्रतिबंधरोधी बनाया है। जानिये किन वजहों से रूस प्रतिबंधों की परवाह नहीं कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार
जनवरी में रूस का अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार 630 अरब डॉलर था। इससे भी दिलचस्प बात यह है कि इसमें से महज 16 फीसदी हिस्सा ही डॉलर के तौर पर रखा है। जबकि, पांच वर्ष पहले यह 40 फीसदी था। इसके अलावा करीब 13 फीसदी हिस्सा रूस ने विदेशी मुद्रा भंडार में चीन की मुद्रा रेमिनबी शामिल की है।

चीन का साथ
पश्चिमी देश रूस को स्विफ्ट (पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों की वैश्विक वित्तीय अंतरण सेवा) से बेदखल करेगे। हालांकि इससे निपटने के लिए चीन मददगार है। चीन ने 2015 में क्रॉस बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (सीआईपीएस) शुरू किया था। रूसी कंपनियों व सरकार को लेनदेन मुश्किल आने की संभावना कम ही है।

आर्थिक किलेबंदी
रूस ने प्रतिबंधों के खिलाफ किलेबंदी करते हुए अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव किए हैं। खासतौर पर विदेशी ऋणों और निवेशों पर अपनी निर्भरता कम की है। पश्चिमी बाजारों से अलग व्यापार अवसरों की तलाश की है बजट न बढ़ने और महज एक फीसदी की दर से अर्थव्यवस्था बढ़ने के बावजूद उसे मजबूती दी है। यूरोप ने भी देश में 311.4 अरब यूरो (2019 में) का निवेश किया है। जाहिर है रूस डूबा तो यह निवेश भी डूबेगा।

रूसी ऊर्जा पर यूरोपीय निर्भरता
कुछ देशों के लिए रूस के तेल और गैस उद्योग पर प्रतिबंध लगाना आसान । मसलन, ब्रिटेन अपने तेल और गैस के लिए रूस पर सिर्फ तीन फीसदी निर्भर है। लेकिन, दूसरी तरफ यूरोपीय संघ अपनी प्राकृतिक गैस आपूर्ति का 40 फीसदी रूस से प्राप्त करता है। ऐसे में यूरोप का प्रतिबंध लगाने पर एकजुट रहना मुश्किल है। गैस आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर देश ऐसे कदमों से हिचकेंगे।

पुतिन को निजी नुकसान नहीं
पुतिन के करीबी लोगों पर वित्तीय व यात्रा प्रतिबंध लगाए गए हैं। लेकिन पुतिन या उनके करीबी रिश्तेदारों की विदेश में कोई संपत्ति न होने से रूसी राष्ट्रपति को इससे फर्क नहीं पड़ने वाला। साथ ही, पुतिन के करीबी अरबपतियों पर सांकेतिक कार्रवाई ही हो सकी। बड़ी चोट नहीं कर सके हैं।

विस्तार

अमेरिका और यूरोपीय देशों के तमाम कड़े और अभूतपूर्व प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। रूस पर पश्चिम के प्रतिबंधों की झड़ी लगी है, लेकिन रूस को इनकी जरा भी परवाह नहीं।

आखिर ऐसी कौनसी ताकत या तरीके हैं, जिनके कारण रूस को प्रतिबंधों की परवाह नहीं है। 2014 में क्रीमिया के विलय के समय भी रूस पर प्रतिबंध लगे थे, तब रूस की अर्थव्यवस्था काफी लचर थी। 2014 की तुलना में रूस की अर्थव्यवस्था आज काफी मजबूत है।

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस ने यूकेन पर हमला यूं ही जोश में आकर नहीं किया है, बल्कि इसके पीछे कई वर्षों की तैयारी है। रूस ने बीते आठ वर्ष में अपनी अर्थव्यवस्था को प्रतिबंधरोधी बनाया है। जानिये किन वजहों से रूस प्रतिबंधों की परवाह नहीं कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार

जनवरी में रूस का अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार 630 अरब डॉलर था। इससे भी दिलचस्प बात यह है कि इसमें से महज 16 फीसदी हिस्सा ही डॉलर के तौर पर रखा है। जबकि, पांच वर्ष पहले यह 40 फीसदी था। इसके अलावा करीब 13 फीसदी हिस्सा रूस ने विदेशी मुद्रा भंडार में चीन की मुद्रा रेमिनबी शामिल की है।

चीन का साथ

पश्चिमी देश रूस को स्विफ्ट (पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों की वैश्विक वित्तीय अंतरण सेवा) से बेदखल करेगे। हालांकि इससे निपटने के लिए चीन मददगार है। चीन ने 2015 में क्रॉस बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (सीआईपीएस) शुरू किया था। रूसी कंपनियों व सरकार को लेनदेन मुश्किल आने की संभावना कम ही है।

आर्थिक किलेबंदी

रूस ने प्रतिबंधों के खिलाफ किलेबंदी करते हुए अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव किए हैं। खासतौर पर विदेशी ऋणों और निवेशों पर अपनी निर्भरता कम की है। पश्चिमी बाजारों से अलग व्यापार अवसरों की तलाश की है बजट न बढ़ने और महज एक फीसदी की दर से अर्थव्यवस्था बढ़ने के बावजूद उसे मजबूती दी है। यूरोप ने भी देश में 311.4 अरब यूरो (2019 में) का निवेश किया है। जाहिर है रूस डूबा तो यह निवेश भी डूबेगा।

रूसी ऊर्जा पर यूरोपीय निर्भरता

कुछ देशों के लिए रूस के तेल और गैस उद्योग पर प्रतिबंध लगाना आसान । मसलन, ब्रिटेन अपने तेल और गैस के लिए रूस पर सिर्फ तीन फीसदी निर्भर है। लेकिन, दूसरी तरफ यूरोपीय संघ अपनी प्राकृतिक गैस आपूर्ति का 40 फीसदी रूस से प्राप्त करता है। ऐसे में यूरोप का प्रतिबंध लगाने पर एकजुट रहना मुश्किल है। गैस आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर देश ऐसे कदमों से हिचकेंगे।

पुतिन को निजी नुकसान नहीं

पुतिन के करीबी लोगों पर वित्तीय व यात्रा प्रतिबंध लगाए गए हैं। लेकिन पुतिन या उनके करीबी रिश्तेदारों की विदेश में कोई संपत्ति न होने से रूसी राष्ट्रपति को इससे फर्क नहीं पड़ने वाला। साथ ही, पुतिन के करीबी अरबपतियों पर सांकेतिक कार्रवाई ही हो सकी। बड़ी चोट नहीं कर सके हैं।

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