वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 12 Nov 2021 08:28 AM IST
सार
लांसेट ने कहा है कि भारत में नवंबर 2020 से मई 2021 तक 18 से 97 साल के 24 हजार 419 लोगों पर किए गए ट्रायल में वैक्सीन के प्रभाव की वजह से कोई गंभीर घटना या मौतों के मामले सामने नहीं आए।
भारत की कोवाक्सिन को डब्ल्यूएचओ से मंजूरी।
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोरोनावायरस वैक्सीन- कोवाक्सिन पर देश में की गई स्टडी की अब विदेश में भी पुष्टि हो रही है। मेडिकल जर्नल लांसेट की हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि कोवाक्सिन कोरोनावायरस के खिलाफ 77.8 फीसदी तक प्रभावी है। वैक्सीन का यह प्रभाव उन लोगों पर पाया गया, जिनमें संक्रमण के लक्षण दिखने लगे।
लांसेट की स्टडी में कहा गया है कि कोवाक्सिन, जो कि इनएक्टिवेटेड वायरस तकनीक यानी असक्रिय वायरस को शरीर में भेजकर प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करने की तकनीक पर काम करती है, इसकी दो डोज लगने के बाद इंसानी शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ जबरदस्त एंटीबॉडीज बनती हैं। लांसेट ने कहा है कि भारत में नवंबर 2020 से मई 2021 तक 18 से 19 साल के 24 हजार 419 लोगों पर किए गए ट्रायल में वैक्सीन के प्रभाव की वजह से कोई गंभीर घटना या मौतों के मामले सामने नहीं आए।
जिस अंतरिम स्टडी में यह बातें सामने आई हैं, उसे भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की तरफ से फंड किया गया था। साथ ही दोनों संस्थाओं के अधिकारियों ने वैक्सीन के असर पर रिपोर्ट तैयार की। गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने पहले ही कोवाक्सिन को कोरोना के खिलाफ 77.8 फीसदी तक प्रभावी करार दिया था, जिसके बाद भारत में इसके सुरक्षा मानकों को लेकर उठे विवादों पर विराम लगा था।
डब्ल्यूएचओ से मान्यता मिलने के बाद 96 देश दे चुके हैं मंजूरी
कोरोना के खिलाफ भारतीय हथियारों का लोहा धीरे-धीरे दुनिया के तमाम देश मामने लगे हैं। भारत में बनी कोवाक्सिन और कोविशील्ड को अब तक दुनिया के 96 देश मान्यता दे चुके हैं। इन दोनों टीकों को विश्व स्थास्थ्य संगठन ने आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल किया है। इसके बाद भारतीय टीकों को मान्यता देने वाले देशों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।