Business

मूडीज रेटिंग: 2022 में भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 9.1 फीसदी किया, एजेंसी ने बताई ये बड़ी वजह

मूडीज रेटिंग: 2022 में भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 9.1 फीसदी किया, एजेंसी ने बताई ये बड़ी वजह

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Thu, 17 Mar 2022 12:27 PM IST

सार

Moodys Slashes India Growth Estimate: रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गुरुवार को चालू वर्ष के लिए भारत के विकास दर के अनुमान को घटाकर 9.1 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले एजेंसी ने 2022 के लिए यह अनुमान 9.5 प्रतिशत निर्धारित किया था। इसके साथ ही एजेंसी ने कहा कि 2023 में भारत की वृद्धि 5.4 प्रतिशत होने की संभावना है।

 

ख़बर सुनें

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गुरुवार को चालू वर्ष के लिए भारत के विकास दर के अनुमान को घटाकर 9.1 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले एजेंसी ने 2022 के लिए यह अनुमान 9.5 प्रतिशत निर्धारित किया था। यानी इसमें 0.4 फीसदी की कटौती की गई है। इसके लिए रूस और यूक्रेन के बीच बीते 21 दिनों से जारी युद्ध अहम वजह बताया गया है। 

2023 में वृद्धि 5.4% होने की उम्मीद
मूडीज ने कहा कि उच्च ईंधन और उर्वरक आयात बिल सरकार के पूंजीगत व्यय को सीमित कर सकता है, इसके चलते विकास दर के अनुमान में कटौती की गई है। कंपनी ने अपने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2022-23 (मार्च 2022 अपडेट) शीर्षक में कहा कि यूक्रेन पर रूस के भीषण हमले से आर्थिक विकास को नुकसान होगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2023 में भारत की वृद्धि 5.4 प्रतिशत होने की संभावना है।

कच्चे तेल की कीमतों का असर
रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत विशेष रूप से उच्च तेल की कीमतों के प्रति संवेदनशील है, क्योंकि यह कच्चे तेल का एक बड़ा आयातक है। “उच्च ईंधन और संभावित उर्वरक लागत सड़क के नीचे सरकारी वित्त पर भार डालती है, संभावित रूप से नियोजित पूंजीगत व्यय को सीमित करती है। एजेंसी ने कहा कि चूंकि भारत अनाज का अधिशेष उत्पादक है, इसलिए उच्च प्रचलित कीमतों से अल्पावधि में कृषि निर्यात को लाभ होगा।

85 फीसदी कच्चे तेल का आयात
गौरतलब है कि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है और यह अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं यानी ईंधन महंगे होने लगते हैं। अगर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। एक रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डॉलर पार पहुंच सकता है।

185 डॉलर तक पहुंच सकता है दाम
बता दें कि बीते दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का भाव 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। यह साल 2008 यानी 14 साल बाद कच्चे तेल का सबसे अधिक भाव था। इस बीच आई कई रिपोर्टों में आने वाले समय में कच्चे तेल की कीमत 185 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने का अनुमान जाहिर किया गया है। जापानी एजेंसी नोमुरा ने भी कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का एशिया में सबसे ज्यादा असर भारत पर होने वाला है। 

नोमुरा-एसबीआई ने भी घटाया अनुमान
भारत के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में यूक्रेन संकट के कारण भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया है। इससे पहले एसबीआई ने आठ फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया था। वहीं दूसरी ओर महंगाई को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए नोमुरा ने वित्त वर्ष (2022-23) के लिए ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। 
 

विस्तार

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गुरुवार को चालू वर्ष के लिए भारत के विकास दर के अनुमान को घटाकर 9.1 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले एजेंसी ने 2022 के लिए यह अनुमान 9.5 प्रतिशत निर्धारित किया था। यानी इसमें 0.4 फीसदी की कटौती की गई है। इसके लिए रूस और यूक्रेन के बीच बीते 21 दिनों से जारी युद्ध अहम वजह बताया गया है। 

2023 में वृद्धि 5.4% होने की उम्मीद

मूडीज ने कहा कि उच्च ईंधन और उर्वरक आयात बिल सरकार के पूंजीगत व्यय को सीमित कर सकता है, इसके चलते विकास दर के अनुमान में कटौती की गई है। कंपनी ने अपने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2022-23 (मार्च 2022 अपडेट) शीर्षक में कहा कि यूक्रेन पर रूस के भीषण हमले से आर्थिक विकास को नुकसान होगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2023 में भारत की वृद्धि 5.4 प्रतिशत होने की संभावना है।

कच्चे तेल की कीमतों का असर

रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत विशेष रूप से उच्च तेल की कीमतों के प्रति संवेदनशील है, क्योंकि यह कच्चे तेल का एक बड़ा आयातक है। “उच्च ईंधन और संभावित उर्वरक लागत सड़क के नीचे सरकारी वित्त पर भार डालती है, संभावित रूप से नियोजित पूंजीगत व्यय को सीमित करती है। एजेंसी ने कहा कि चूंकि भारत अनाज का अधिशेष उत्पादक है, इसलिए उच्च प्रचलित कीमतों से अल्पावधि में कृषि निर्यात को लाभ होगा।

85 फीसदी कच्चे तेल का आयात

गौरतलब है कि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है और यह अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं यानी ईंधन महंगे होने लगते हैं। अगर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती है तो जाहिर है भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। एक रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत का आयात बिल 600 अरब डॉलर पार पहुंच सकता है।

185 डॉलर तक पहुंच सकता है दाम

बता दें कि बीते दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का भाव 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। यह साल 2008 यानी 14 साल बाद कच्चे तेल का सबसे अधिक भाव था। इस बीच आई कई रिपोर्टों में आने वाले समय में कच्चे तेल की कीमत 185 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने का अनुमान जाहिर किया गया है। जापानी एजेंसी नोमुरा ने भी कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का एशिया में सबसे ज्यादा असर भारत पर होने वाला है। 

नोमुरा-एसबीआई ने भी घटाया अनुमान

भारत के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में यूक्रेन संकट के कारण भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया है। इससे पहले एसबीआई ने आठ फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया था। वहीं दूसरी ओर महंगाई को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए नोमुरा ने वित्त वर्ष (2022-23) के लिए ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। 

 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: