सार
प्रो. गुप्ता ने कहते हैं कि आमतौर पर माना जाता है कि वायरस समय के साथ हल्के होते जाते हैं, लेकिन ये दीर्घकालिक विकासवादी नतीजे होते हैं। कोविड के मामले यह दौर नहीं आया है। यह तेजी से फैल रहा है।
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प्राकृतिक तौर पर जब यह गलती दुरुस्त होगी तो कोविड का नया वैरिएंट खौफनाक हो सकता है। गुप्ता ने ओमिक्रॉन पर अध्ययन के बाद कहा, असल में ओमिक्रॉन जिन कोशिकाओं को संक्रमित कर रहा है, वे फेफड़ों में काफी कम पाई जाती हैं, जिससे यह उतना गंभीर नहीं लग रहा है, जबकि असल में इसका संक्रमण किसी भी लिहाज से हल्का नहीं है।
प्रो. गुप्ता ने कहते हैं कि आमतौर पर माना जाता है कि वायरस समय के साथ हल्के होते जाते हैं, लेकिन ये दीर्घकालिक विकासवादी नतीजे होते हैं। कोविड के मामले यह दौर नहीं आया है। यह तेजी से फैल रहा है। वायरस जैविक व्यवहार में बदलाव का इरादा नहीं रखता, बस गलती से ऐसा हो गया है, कि उसने उन कोशिकाओं पर हमला किया, जो फेफड़ों में कम होती हैं। यह फिलहाल अच्छी खबर लग सकती है, लेकिन नया वैरिएंट खतरनाक हो सकते हैं, कोई एक तो ऐसा होगा, जो तेजी से फैलेगा व गंभीर रूप से बीमार बनाएगा।
संक्रमण के बाद भी बचाव नहीं, टीका ही अनिवार्य
इस वैरिएंट के संक्रमण को प्राकृतिक टीके के तौर पर देखने वालों का नजरिया समझा जाना चाहिए, लेकिन संक्रमण का प्रसार रोकने के प्रयास छोड़ना खतरनाक होगा, क्योंकि यह सिर्फ एक धारणा है। उन्होंने ब्रिटिश सरकार को सलाह दी कि अब भी तेजी से व्यापक टीकाकरण ही कोविड के खिलाफ एकमात्र ठोस उपाय है। जबकि, हमारे सामने एक कथित रूप से कम गंभीर बीमारी पैदा करने वाला वैरिएंट है, तो हमें इसका फायदा उठाते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करना चाहिए।