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बदलाव का सुझाव: हिपोक्रेटिक शपथ की जगह अब ‘चरक’ शपथ लेंगे डॉक्टर

एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 12 Feb 2022 03:13 AM IST

सार

चरक शपथ की शुरुआत 14 फरवरी से देश के मेडिकल कॉलेजों में शुरू हो रहे अकादमी सत्र से होगी। चरक शपथ आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक के नाम पर रखा गया है।

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देशभर में डॉक्टर हिपोक्रेटिक शपथ की जगह अब चरक शपथ लेंगे। स्वास्थ्य शिक्षा नियामक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सदियों पुरानी परंपरा हिपोक्रेटिक शपथ में बदलाव करने का सुझाव दिया है।

चरक शपथ की शुरुआत 14 फरवरी से देश के मेडिकल कॉलेजों में शुरू हो रहे अकादमी सत्र से होगी। चरक शपथ आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक के नाम पर रखा गया है। शपथ क्षेत्रीय भाषा में भी ली जा सकती है।

इसको लेकर विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि वह इसका समर्थन करते हैं और सभी को इसका पालन करना चाहिए। एम्स को इसका पालन करना चाहिए।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि आईएमए 19-20 फरवरी को इस पर एक बैठक करेगा क्योंकि डॉक्टरों के बीच इसे लेकर विवाद की स्थिति है।

डेंटल काउंसिल के एक्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य डॉ. अनिल कुमार चंदना ने कहा कि चरक शपथ हमारी प्राचीन संस्कृति को दिखाएगी लेकिन चरक आयुर्वेदाचार्य थे। आधुनिक चिकित्सा के संदर्भ में हम एलोपैथी का पालन करते हैं जोकि पश्चिमी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसे में मेरे विचार से हिपोक्रेटिक और चरक शपथ दोनों को रखा चाहिए।  
 
एम्स के सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर अमित मालवीय का कहना है कि चरक शपथ बेसिक मेडिकल नैतिकता के पैमाने पर बिलकुल हिपोक्रेटिक शपथ जैसी है। दोनों ही नए मेडिकल छात्रों को मेडिकल नैतिकता से अवगत कराते हैं। उन्होंने कहा कि हिपोक्रेटिक शपथ को संक्षिप्त संस्करण जबकि चरक शपथ को विस्तृत संस्करण कहा जा सकता है।

विस्तार

देशभर में डॉक्टर हिपोक्रेटिक शपथ की जगह अब चरक शपथ लेंगे। स्वास्थ्य शिक्षा नियामक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सदियों पुरानी परंपरा हिपोक्रेटिक शपथ में बदलाव करने का सुझाव दिया है।

चरक शपथ की शुरुआत 14 फरवरी से देश के मेडिकल कॉलेजों में शुरू हो रहे अकादमी सत्र से होगी। चरक शपथ आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक के नाम पर रखा गया है। शपथ क्षेत्रीय भाषा में भी ली जा सकती है।

इसको लेकर विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि वह इसका समर्थन करते हैं और सभी को इसका पालन करना चाहिए। एम्स को इसका पालन करना चाहिए।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि आईएमए 19-20 फरवरी को इस पर एक बैठक करेगा क्योंकि डॉक्टरों के बीच इसे लेकर विवाद की स्थिति है।

डेंटल काउंसिल के एक्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य डॉ. अनिल कुमार चंदना ने कहा कि चरक शपथ हमारी प्राचीन संस्कृति को दिखाएगी लेकिन चरक आयुर्वेदाचार्य थे। आधुनिक चिकित्सा के संदर्भ में हम एलोपैथी का पालन करते हैं जोकि पश्चिमी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसे में मेरे विचार से हिपोक्रेटिक और चरक शपथ दोनों को रखा चाहिए।  

 

एम्स के सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर अमित मालवीय का कहना है कि चरक शपथ बेसिक मेडिकल नैतिकता के पैमाने पर बिलकुल हिपोक्रेटिक शपथ जैसी है। दोनों ही नए मेडिकल छात्रों को मेडिकल नैतिकता से अवगत कराते हैं। उन्होंने कहा कि हिपोक्रेटिक शपथ को संक्षिप्त संस्करण जबकि चरक शपथ को विस्तृत संस्करण कहा जा सकता है।

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