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बढ़ेगा तनाव: अमेरिकी संसद में उइगरों से जबरन श्रम के खिलाफ पाबंदी वाला बिल भी पारित

अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने उइगर मुस्लिमों के जबरन श्रम के खिलाफ चीन के शिनजियांग क्षेत्र से आयात पर पाबंदी लगाने वाला विधेयक पारित कर दिया है। इसके अलावा अमेरिका ने चीन की कुछ कंपनियों व संगठनों को भी काली सूची में डालकर प्रतिबंधित किया है। अमेरिका के इस कदम से अमेरिका-चीन के बीच तनाव और गहराना तय है। 

व्हाइट हाउस ने कहा, अब इस विधेयक पर सिर्फ राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है। इसके बाद यह अधिनियम औपचारिक रूप से कानून की शक्ल ले लेगा। उच्च सदन (सीनेट) में बहुमत दल के नेता चक शूमर ने ट्वीट किया, हम उइगरों के नरसंहार के सामने चुप नहीं रहेंगे।

इससे पहले प्रतिनिधि सभा भी इसी हफ्ते उइगर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम को सर्वसम्मति से पारित कर चुकी है। इस बीच, बाइडन सरकार ने शिनजियांग में उइगरों पर चीनी उत्पीड़न के खिलाफ चीन की कई बायोटेक, सर्विलांस कंपनियों और कई सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।

इस दायरे में आई कंपनियां अमेरिका में व्यापार नहीं कर पाएंगी और चीनी कंपनियों की अमेरिका में संपत्ति वह जब्त कर ली जाएगी। प्रतिबंधित अफसर भी अमेरिकी यात्रा नहीं कर पाएंगे और उनकी अमेरिका में संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। 

कई अन्य शोध संस्थान प्रतिबंधित
अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने चीन की एकेडमी ऑफ मिलिटरी मेडिकल साइंसेज और 11 अन्य शोध संस्थानों को प्रतिबंधित किया है। ये संस्थान बायो टेक्नोलाजी विकसित करने में चीन की सेना के साथ मिलकर कार्य करते हैं। ये संस्थान और कंपनियां अमेरिका से भी कई तरह के उपकरणों और अन्य सामग्री की खरीद करते हैं लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं कर पाएंगे। वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो ने बताया कि उनका मंत्रालय अपनी सूची में 34 चीनी संस्थाओं को जोड़ रहा है।

चीन ने अमेरिकी प्रतिबंधों का जवाब देने का संकल्प लिया
अमेरिकी सीनेट की ओर से एक कानून पारित करने के बाद चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह अपने संस्थानों और उद्यमों के हितों की सुरक्षा करने के लिए सभी जरूरी उपाय करेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, अमेरिकी कदम संकेत देते हैं कि हर तरीके से चीन को बदनाम करने से अमेरिका को कोई झिझक नहीं है।

उन्होंने कहा, चीन इन प्रतिबंधों की कड़ी निंदा करता है और उन्हें खारिज करता है। साथ में अमेरिका से आग्रह करता है कि वह तत्काल अपनी गलतियों को सुधारे। इससे पहले अमेरिका में चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यु ने कहा था कि अमेरिका मुक्त व्यापार के नियमों का गंभीर उल्लंघन कर रहा है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रंखला की सुरक्षा को खतरा है। 

बर्न्स होंगे चीन में अमेरिका के नए राजदूत
अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा चीन में नए राजदूत के रूप में निकोलस बर्न्स के नामांकन की पुष्टि कर दी है। सीनेट में 65 वर्षीय बर्न्स के नाम की पुष्टि को 18 के मुकाबले 75 वोट मिले। उन्होंने डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों ही दलों के साथ काम किया है। वे पहली बार 1988 में मंत्री जॉर्ज शल्त्स के साथ चीन गए और 1989 में राष्ट्रपति जॉर्ज एच. बुश के साथ गए। बर्न्स फिलहाल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में प्रैक्टिस ऑफ डिप्लोमेसी एंड इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर हैं। उन्होंने चीन के प्रवक्ता के तौर पर भी अमेरिका में सेवाएं दी हैं। 

मोरक्को से उइगर के प्रत्यर्पण का फैसला पलटने की अपील
संयुक्त राष्ट्र के चार स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मोरक्को से एक उइगर मुस्लिम यिदिरेसी एशान को चीन प्रत्यर्पित करने के फैसले को पलटने की अपील की है। विशेषज्ञों का तर्क है कि चीन भेजने के बाद उसे गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन का खतरा होगा। बता दें कि 13 मार्च 2017 को इंटरपोल के रेड नोटिस अलर्ट के आधार पर एशान को मोरक्को में गिरफ्तार कर लिया गया था।

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