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बड़ा बयान: संसदीय राजभाषा समिति की बैठक में बोले शाह, हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करने की जरूरत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Thu, 07 Apr 2022 11:05 PM IST

सार

अमित शाह ने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे तब तक इसका प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए। 

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केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हिंदी भाषा को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। गुरुवार को गृह मंत्री राजधानी दिल्ली में संसद परिसर में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के विकल्प के रूप में नहीं बल्की अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करना चाहिए। बैठक के दौरान गृह मंत्री ने समिति सदस्यों की सर्वसम्मति से समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड को राष्ट्रपति के पास भेजने को मंज़ूरी दी।

हिंदी को लचीला बनाने पर दिया जाए जोर 
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे तब तक इसका प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए। इस बीच, शाह ने कहा कि जब राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो उनके बीच वार्ता एक भारतीय भाषा में होनी चाहिए, चाहे वह भाषा क्षेत्रीय हो या राज्य-विशिष्ट भाषा। केंद्रीय गृह मंत्री ने समिति के सदस्यों को बताया कि अब कैबिनेट के एजेंडे का 70 फीसदी हिस्सा हिंदी में तैयार किया गया है।

शाह ने की राजभाषा समिति की तारीफ
इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान राजभाषा समिति जिस गति से काम कर रही है, वह शायद ही पहले कभी देखी गई हो। गृहमंत्री शाह ने कहा कि समिति के एक ही कार्यकाल में भारत के राष्ट्रपति को तीन रिपोर्ट भेजना सभी की संयुक्त उपलब्धि है।

पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंदी को दिया जा रहा बढ़ावा
अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए वहां 22,000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। साथ ही, उत्तर पूर्व के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में दसवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति बनी है।

अमित शाह ने तीन बिंदुओं पर दिया जोर
केंद्रीय गृह मंत्री ने बैठक के दौरान तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया। उन्होंने  गृह मंत्री ने तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया। एक यह है कि समिति से अनुरोध है कि रिपोर्ट के पहले से 11वें खंड तक की गई सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए जुलाई में एक बैठक आयोजित की जाए। दूसरे बिंदु के तहत उन्होंने कक्षा 9 तक के छात्रों को हिंदी का प्रारंभिक ज्ञान देने और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। तीसरे बिंदु के तहत गृह मंत्री ने हिंदी शब्दकोश को संशोधित कर पुनः प्रकाशित करने का सुझाव दिया।

शाह ने यह भी कहा कि सभी संबंधित सचिवों के साथ बैठक के बाद राजभाषा समिति की रिपोर्ट के पहले से 11वें खंड की सिफारिशों को लागू करने की प्रगति की समीक्षा के लिए एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया जाना चाहिए। इस दौरान राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा।

बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा और निशीथ प्रमाणिक, राजभाषा संसदीय समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब और समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।

विस्तार

केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हिंदी भाषा को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। गुरुवार को गृह मंत्री राजधानी दिल्ली में संसद परिसर में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के विकल्प के रूप में नहीं बल्की अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करना चाहिए। बैठक के दौरान गृह मंत्री ने समिति सदस्यों की सर्वसम्मति से समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड को राष्ट्रपति के पास भेजने को मंज़ूरी दी।

हिंदी को लचीला बनाने पर दिया जाए जोर 

इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे तब तक इसका प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए। इस बीच, शाह ने कहा कि जब राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो उनके बीच वार्ता एक भारतीय भाषा में होनी चाहिए, चाहे वह भाषा क्षेत्रीय हो या राज्य-विशिष्ट भाषा। केंद्रीय गृह मंत्री ने समिति के सदस्यों को बताया कि अब कैबिनेट के एजेंडे का 70 फीसदी हिस्सा हिंदी में तैयार किया गया है।

शाह ने की राजभाषा समिति की तारीफ

इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान राजभाषा समिति जिस गति से काम कर रही है, वह शायद ही पहले कभी देखी गई हो। गृहमंत्री शाह ने कहा कि समिति के एक ही कार्यकाल में भारत के राष्ट्रपति को तीन रिपोर्ट भेजना सभी की संयुक्त उपलब्धि है।

पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंदी को दिया जा रहा बढ़ावा

अमित शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए वहां 22,000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। साथ ही, उत्तर पूर्व के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में दसवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति बनी है।

अमित शाह ने तीन बिंदुओं पर दिया जोर

केंद्रीय गृह मंत्री ने बैठक के दौरान तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया। उन्होंने  गृह मंत्री ने तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया। एक यह है कि समिति से अनुरोध है कि रिपोर्ट के पहले से 11वें खंड तक की गई सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए जुलाई में एक बैठक आयोजित की जाए। दूसरे बिंदु के तहत उन्होंने कक्षा 9 तक के छात्रों को हिंदी का प्रारंभिक ज्ञान देने और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। तीसरे बिंदु के तहत गृह मंत्री ने हिंदी शब्दकोश को संशोधित कर पुनः प्रकाशित करने का सुझाव दिया।

शाह ने यह भी कहा कि सभी संबंधित सचिवों के साथ बैठक के बाद राजभाषा समिति की रिपोर्ट के पहले से 11वें खंड की सिफारिशों को लागू करने की प्रगति की समीक्षा के लिए एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया जाना चाहिए। इस दौरान राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा।

बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा और निशीथ प्रमाणिक, राजभाषा संसदीय समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब और समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।

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