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चीन की चालबाजी : लद्दाख की पावर ग्रिड पर चीनी हैकरों का साइबर अटैक, आठ माह में कई बार धावा, जानिए क्या है मंशा 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 07 Apr 2022 12:42 PM IST

सार

रेकॉर्डेड फ्यूचर नामक निजी खुफिया फर्म ने दावा किया है कि गत अगस्त से मार्च तक हमने कम से कम सात बार भारत के स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर्स (SLDCs) में चीनी हैकरों की घुसपैठ का पता लगाया है।

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चीन लद्दाख में अनुचित व आपत्तिजनक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक निजी खुफिया फर्म का दावा है कि उसने बीते आठ माह मे कई बार लद्दाख के पास की पावर ग्रिड को निशाना बनाया है। दोनों देशों के बीच क्षेत्र में एलएसी को लेकर पहले से लंबा गतिरोध जारी है। 
रेकॉर्डेड फ्यूचर नामक निजी खुफिया फर्म ने दावा किया है कि गत अगस्त से मार्च तक हमने भारत के कम से कम सात स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर्स (SLDCs) में चीनी हैकरों की घुसपैठ का पता लगाया है। ये सेंटर संबंधित राज्यों में बिजली आपूर्ति की रियल टाइम निगरानी करते हैं। ये हमले उत्तर भारत के केंद्रों पर खासतौर से किए गए। इनमें भी लद्दाख से लगी भारत-चीन सीमा इलाके में स्थित केंद्रों को ज्यादा निशाना बनाया गया। 

सूत्रों ने बताया कि ये साइबर हमले पिछले साल अगस्त से मार्च के बीच हुए थे। उन्होंने कहा कि जांच में पाया गया कि भारतीय लोड डिस्पैच केंद्रों से दुनिया भर में फैले चीन के सरकारी कमांड और कंट्रोल सर्वरों को डेटा भेजा जा रहा है। रेकॉर्डेड फ्यूचर ने कहा कि पावर ग्रिड के केंद्रों को निशाना बनाने के अलावा चीन के सरकारी हैकरों ने भारत के आपात प्रतिक्रिया तंत्र पर भी धावा बोला। फर्म ने कहा है कि उसने यह रिपोर्ट जारी करने से पहले अपने निष्कर्षों के बारे में केंद्र सरकार को सतर्क कर दिया था। सरकार ने अभी तक उसकी रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। 

यह फर्म विश्व के सरकारी हैकरों पर नजर रखने वाली सबसे बड़ी खुफिया कंपनियों में शुमार है। उसका कहना है कि चीनी हैकर पावर ग्रिड के सेंटरों के आसपास के बुनियादी ढांचे की जानकारी जुटाना चाह रहे थे। बिजली केंद्रों में चीनी घुसपैठ का उद्देश्य इन जटिल प्रणालियों के बारे में जानकारी हासिल करना भी हो सकता है, ताकि भविष्य में इनके उपयोग की क्षमता विकसित की जा सके। 

दुनियाभर में साइबर अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले साल अमेरिका में रैनसमवेयर अटैक के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए थे। आस्ट्रेलिया में बिजली नेटवर्क पर साइबर अटैक के कारण लाखों लोग बिजली गुल होने की कगार पर पहुंच गए थे। रेकॉर्डेड फ्यूचर का कहना है कि पिछले साल फरवरी में, उसने 10 अलग-अलग भारतीय संगठनों के सिस्टम पर साइबर हमले की सूचना दी थी। 

बता दें, भारत चीन के बीच 3500 किलोमीटर लंबी सीमा है। इससे सटे कुछ क्षेत्रों को लेकर चीन दावा करता रहा है। दोनों देशों के बीच 1962 में जंग भी हो चुकी है। 2020 में एक बार फिर दोनों देशों में संघर्ष हुआ, जब लद्दाख में चीनी सेना ने घुसपैठ की कोशिश की। गलवान घाटी में हुए इस संघर्ष में चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, वहीं भारत के भी 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद दोनों देशों की सेना बड़ी संख्या में वहां तैनात है। तनाव व सेना हटाने के लिए 15 बार सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है, कुछ क्षेत्रों से सैन्य वापसी हो चुकी है, बाकी को लेकर चर्चा जारी है। 

विस्तार

चीन लद्दाख में अनुचित व आपत्तिजनक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक निजी खुफिया फर्म का दावा है कि उसने बीते आठ माह मे कई बार लद्दाख के पास की पावर ग्रिड को निशाना बनाया है। दोनों देशों के बीच क्षेत्र में एलएसी को लेकर पहले से लंबा गतिरोध जारी है। 

रेकॉर्डेड फ्यूचर नामक निजी खुफिया फर्म ने दावा किया है कि गत अगस्त से मार्च तक हमने भारत के कम से कम सात स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर्स (SLDCs) में चीनी हैकरों की घुसपैठ का पता लगाया है। ये सेंटर संबंधित राज्यों में बिजली आपूर्ति की रियल टाइम निगरानी करते हैं। ये हमले उत्तर भारत के केंद्रों पर खासतौर से किए गए। इनमें भी लद्दाख से लगी भारत-चीन सीमा इलाके में स्थित केंद्रों को ज्यादा निशाना बनाया गया। 

सूत्रों ने बताया कि ये साइबर हमले पिछले साल अगस्त से मार्च के बीच हुए थे। उन्होंने कहा कि जांच में पाया गया कि भारतीय लोड डिस्पैच केंद्रों से दुनिया भर में फैले चीन के सरकारी कमांड और कंट्रोल सर्वरों को डेटा भेजा जा रहा है। रेकॉर्डेड फ्यूचर ने कहा कि पावर ग्रिड के केंद्रों को निशाना बनाने के अलावा चीन के सरकारी हैकरों ने भारत के आपात प्रतिक्रिया तंत्र पर भी धावा बोला। फर्म ने कहा है कि उसने यह रिपोर्ट जारी करने से पहले अपने निष्कर्षों के बारे में केंद्र सरकार को सतर्क कर दिया था। सरकार ने अभी तक उसकी रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। 

यह फर्म विश्व के सरकारी हैकरों पर नजर रखने वाली सबसे बड़ी खुफिया कंपनियों में शुमार है। उसका कहना है कि चीनी हैकर पावर ग्रिड के सेंटरों के आसपास के बुनियादी ढांचे की जानकारी जुटाना चाह रहे थे। बिजली केंद्रों में चीनी घुसपैठ का उद्देश्य इन जटिल प्रणालियों के बारे में जानकारी हासिल करना भी हो सकता है, ताकि भविष्य में इनके उपयोग की क्षमता विकसित की जा सके। 

दुनियाभर में साइबर अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले साल अमेरिका में रैनसमवेयर अटैक के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए थे। आस्ट्रेलिया में बिजली नेटवर्क पर साइबर अटैक के कारण लाखों लोग बिजली गुल होने की कगार पर पहुंच गए थे। रेकॉर्डेड फ्यूचर का कहना है कि पिछले साल फरवरी में, उसने 10 अलग-अलग भारतीय संगठनों के सिस्टम पर साइबर हमले की सूचना दी थी। 

बता दें, भारत चीन के बीच 3500 किलोमीटर लंबी सीमा है। इससे सटे कुछ क्षेत्रों को लेकर चीन दावा करता रहा है। दोनों देशों के बीच 1962 में जंग भी हो चुकी है। 2020 में एक बार फिर दोनों देशों में संघर्ष हुआ, जब लद्दाख में चीनी सेना ने घुसपैठ की कोशिश की। गलवान घाटी में हुए इस संघर्ष में चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, वहीं भारत के भी 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद दोनों देशों की सेना बड़ी संख्या में वहां तैनात है। तनाव व सेना हटाने के लिए 15 बार सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है, कुछ क्षेत्रों से सैन्य वापसी हो चुकी है, बाकी को लेकर चर्चा जारी है। 

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