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फ्रांसीसी अदालत का फैसला: देवास की याचिका पर पेरिस में भारत सरकार की संपत्ति जब्त 

सार

देवास के शेयरधारकों के वरिष्ठ सलाहकार जे न्यूमैन ने कहा कि भारत के पास पूरी दुनिया में इस तरह की संपत्ति है। यह अभी शुरुआत है।

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एक फ्रांसीसी अदालत ने देवास शेयरधारकों की एक याचिका पर पेरिस में भारत सरकार की संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया है। अदालत के आदेश की प्रति के अनुसार, रद्द किए गए उपग्रह अनुबंध पर देवास 1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के मध्यस्थता राशि को लागू करने की मांग कर रही है। अदालत ने देवास के शेयरधारकों को एक अपार्टमेंट को न्यायिक गिरवी के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति दी है। यह इमारत पहले मिशन के भारतीय उप प्रमुख के निवास के रूप में इस्तेमाल की जा रही थी और इसका मूल्य 3.8 मिलियन यूरो है।

कई और संपत्तियों की जब्ती की योजना 
देवास के शेयरधारकों के वरिष्ठ सलाहकार जे न्यूमैन ने कहा कि भारत के पास पूरी दुनिया में इस तरह की संपत्ति है। यह अभी शुरुआत है। हम कई और संपत्ति की जब्ती की योजना बना रहे हैं। देवास के ताजा कदम पर इसरो या सरकार से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी है। यह संपत्ति वही है जिसे ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी ने पिछले साल जुलाई में नई दिल्ली को 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने के प्रयास में जब्त कर लिया था और ये फैसला एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने दिया था। 

एक महीने बाद सरकार सभी पूर्वव्यापी कर मांगों को रद्द करने और ऐसी मांगों को लागू करने के लिए एकत्र किए गए सभी धन को वापस करने के लिए एक कानून लाई। तब से केयर्न ने मध्यस्थता राशि लेने के लिए दुनिया भर में लाए गए सभी मामलों को वापस ले लिया और अब वह 7,900 करोड़ रुपये की वापसी की हकदार है।

देवास के शेयरधारकों ने 24 सितंबर 2021 को फ्रांसीसी अदालत का रुख किया था। फ्रांसीसी अदालत के दस्तावेज के अनुसार, तीन निवेशक सीसी/देवास मॉरीशस, टेलीकॉम देवास मॉरीशस और देवास कर्मचारी मॉरीशस प्राइवेट लिमिटेड भारत सरकार की संपत्ति की जब्ती के लिए अदालत चले गए थे। इनकी मांग थी कि देवास-एंट्रिक्स उपग्रह सौदे को रद्द करने के लिए मुआवजे का आदेश देने वाले मध्यस्थता राशि को लागू किया जाए। 

2005 में इसरों से हुआ था समझौता 
देवास मल्टीमीडिया ने 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो पट्टे पर एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम का उपयोग करने वाले मोबाइल उपयोगकर्ताओं को मल्टीमीडिया सेवाएं प्रदान करने के लिए था। 

 

विस्तार

एक फ्रांसीसी अदालत ने देवास शेयरधारकों की एक याचिका पर पेरिस में भारत सरकार की संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया है। अदालत के आदेश की प्रति के अनुसार, रद्द किए गए उपग्रह अनुबंध पर देवास 1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के मध्यस्थता राशि को लागू करने की मांग कर रही है। अदालत ने देवास के शेयरधारकों को एक अपार्टमेंट को न्यायिक गिरवी के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति दी है। यह इमारत पहले मिशन के भारतीय उप प्रमुख के निवास के रूप में इस्तेमाल की जा रही थी और इसका मूल्य 3.8 मिलियन यूरो है।

कई और संपत्तियों की जब्ती की योजना 

देवास के शेयरधारकों के वरिष्ठ सलाहकार जे न्यूमैन ने कहा कि भारत के पास पूरी दुनिया में इस तरह की संपत्ति है। यह अभी शुरुआत है। हम कई और संपत्ति की जब्ती की योजना बना रहे हैं। देवास के ताजा कदम पर इसरो या सरकार से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी है। यह संपत्ति वही है जिसे ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी ने पिछले साल जुलाई में नई दिल्ली को 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने के प्रयास में जब्त कर लिया था और ये फैसला एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने दिया था। 

एक महीने बाद सरकार सभी पूर्वव्यापी कर मांगों को रद्द करने और ऐसी मांगों को लागू करने के लिए एकत्र किए गए सभी धन को वापस करने के लिए एक कानून लाई। तब से केयर्न ने मध्यस्थता राशि लेने के लिए दुनिया भर में लाए गए सभी मामलों को वापस ले लिया और अब वह 7,900 करोड़ रुपये की वापसी की हकदार है।

देवास के शेयरधारकों ने 24 सितंबर 2021 को फ्रांसीसी अदालत का रुख किया था। फ्रांसीसी अदालत के दस्तावेज के अनुसार, तीन निवेशक सीसी/देवास मॉरीशस, टेलीकॉम देवास मॉरीशस और देवास कर्मचारी मॉरीशस प्राइवेट लिमिटेड भारत सरकार की संपत्ति की जब्ती के लिए अदालत चले गए थे। इनकी मांग थी कि देवास-एंट्रिक्स उपग्रह सौदे को रद्द करने के लिए मुआवजे का आदेश देने वाले मध्यस्थता राशि को लागू किया जाए। 

2005 में इसरों से हुआ था समझौता 

देवास मल्टीमीडिया ने 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो पट्टे पर एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम का उपयोग करने वाले मोबाइल उपयोगकर्ताओं को मल्टीमीडिया सेवाएं प्रदान करने के लिए था। 

 

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