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कोरोना हो या ऑमिक्रॉन : पूरे परिवार की जांच जरूरी नहीं, सात दिन खुद को करें होम क्वारंटीन, जानें सबकुछ

सार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले रोगियों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार ऐसे रोगियों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर सात दिन तक खुद को क्वारंटीन कर अपनी देखभाल करने की सलाह दी है।

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अगर आप कोरोना संक्रमण की चपेट में आते हैं और जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है तो अब पूरे परिवार की जांच कराना जरूरी नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले रोगियों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार ऐसे रोगियों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर सात दिन तक खुद को क्वारंटीन कर अपनी देखभाल करने की सलाह दी है।

साथ ही मंत्रालय ने यह भी बताया है कि आपको कब डॉक्टर या अस्पताल की जरूरत पड़ेगी? किस तरह आपको अपना ख्याल रखना है और परिवार के दूसरे सदस्यों को किस तरह से अपना बचाव करना है? मंत्रालय ने यह भी बताया है कि बिना लक्षण का मतलब वो मामले जो किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं कर रहे हैं। 

केवल उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव है। जिन लोगों को हल्की बुखार, खांसी या कमजोरी महसूस हो रही है उन्हें हल्के लक्षण की श्रेणी में रखा जाता है। अब इस श्रेणी में यह ध्यान रखना जरूरी है कि मरीज की उम्र क्या है? उसे पहले से कोई बीमारी तो नहीं? अगर बीमारी है तो उसकी क्या दवा चल रही है? इन सवालों का जवाब चिकित्सीय परामर्श से मिलेगा।

यहां मिलेगी पूरी जानकारी
मंत्रालय की वेबसाइट https://mohfw.gov.in पर जाकर आपको होम आइसोलेशन से जुड़ी सभी जानकारी व हेल्पलाइन नंबर प्राप्त हो सकते हैं।

नए दिशा-निर्देश

  • अगर, एंटीजन या आरटी पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव है, लेकिन मरीज का ऑक्सीजन स्तर 93 फीसदी से अधिक है या फिर मरीज को बुखार नहीं है या सांस की तकलीफ नहीं है तो यह होम आइसोलेशन में जा सकता है। मरीज के साथ उसके परिवार को भी आइसोलेट होना चाहिए।
  • मरीज के क्वारंटीन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। मरीज और उसके परिवार को एक फोन नंबर देना चाहिए जो जरूरत पड़ने पर 24 घंटे में कभी भी सहायता प्रदान कर सके।
  • मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों खुराक लगी होनी चाहिए। मरीज के चेहरे पर तीन लेयर वाला मास्क होना चाहिए और मरीज को 24×7 देखभाल करने वाला होना चाहिए। बाकी सदस्य भी आइसोलेट रहें और अपने लक्षणों की निगरानी रखें।
  • अगर घर में कोई बुजुर्ग व्यक्ति है तो उनकी निगरानी भी रखें।

मरीज से परिवार के दूसरे सदस्य रहें दूर

  • जिस कमरे में मरीज आइसोलेट है वहां से घर के अन्य लोगों को दूर रहना चाहिए। रोगी को एक हवादार कमरे में क्रॉस वेंटिलेशन के साथ रहना चाहिए और ताजी हवा आने के लिए खिड़कियां खुली रखनी चाहिए।
  • मरीज को खूब आराम करना चाहिए और बहुत सारे तरल पदार्थ पीने चाहिए। कम से कम 40 सेकंड के लिए साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना चाहिए। मरीज को घर के अन्य लोगों के साथ बर्तन या अन्य सामान साझा नहीं करने चाहिए।
  • कमरे में बार-बार छुई जाने वाली सतहों (टेबलटॉप, डोर नॉब्स, हैंडल आदि) की साबुन/डिटर्जेंट और पानी से सफाई करें। रोगी के कोरोना लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए और किसी भी लक्षण के बिगड़ने पर तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए।

मरीजों को हमेशा ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क एन-95 का प्रयोग करना चाहिए।

  • मरीज बगैर डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें। डॉक्टर के संपर्क में रहे।
  • मरीज को अगर 100 डिग्री बुखार, सांस लेने में कठिनाई, ऑक्सीजन का स्तर गिरना, सीने में दर्द और गंभीर थकान हो तो तत्काल डॉक्टर के पास जाए।

आइसोलेशन खत्म होने के बाद जरूरी नहीं फिर जांच कराना
मरीज अपना होम आइसोलेशन उस समय खत्म कर सकता है, जब उसने सात दिन पूरे कर लिए हैं और पिछले तीन दिनों से उसे बुखार नहीं है। हालांकि इसके बाद भी उसे मास्क पहनना जारी रखना होगा। होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने के बाद पुन: परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है।

विस्तार

अगर आप कोरोना संक्रमण की चपेट में आते हैं और जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है तो अब पूरे परिवार की जांच कराना जरूरी नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले रोगियों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार ऐसे रोगियों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर सात दिन तक खुद को क्वारंटीन कर अपनी देखभाल करने की सलाह दी है।

साथ ही मंत्रालय ने यह भी बताया है कि आपको कब डॉक्टर या अस्पताल की जरूरत पड़ेगी? किस तरह आपको अपना ख्याल रखना है और परिवार के दूसरे सदस्यों को किस तरह से अपना बचाव करना है? मंत्रालय ने यह भी बताया है कि बिना लक्षण का मतलब वो मामले जो किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं कर रहे हैं। 

केवल उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव है। जिन लोगों को हल्की बुखार, खांसी या कमजोरी महसूस हो रही है उन्हें हल्के लक्षण की श्रेणी में रखा जाता है। अब इस श्रेणी में यह ध्यान रखना जरूरी है कि मरीज की उम्र क्या है? उसे पहले से कोई बीमारी तो नहीं? अगर बीमारी है तो उसकी क्या दवा चल रही है? इन सवालों का जवाब चिकित्सीय परामर्श से मिलेगा।

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