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फिर जेल जाएंगे आशीष मिश्रा: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को लगाई फटकार, कहा- आपने पीड़ित पक्ष को सुनवाई से वंचित कर दिया

राजीव सिन्हा, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Mon, 18 Apr 2022 12:49 PM IST

सार

शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष को प्रभावी सुनवाई से वंचित कर दिया गया था जबकि उनके पास कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने न्यायिक मिसालों की अनदेखी की। 

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी और केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 10 फरवरी से मिली जमानत के आदेश को रद्द कर दिया।
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की विशेष पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने कई अप्रासंगिक कारकों पर विचार किया और पीड़ितों को याचिका का विरोध करने के लिए पर्याप्त समय दिए बगैर आदेश पारित करने में जल्दबाजी दिखाई। शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से इस मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए भी कहा है। 

पीड़ितों की ओर से जगजीत सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष को प्रभावी सुनवाई से वंचित कर दिया गया था जबकि उनके पास कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने न्यायिक मिसालों की अनदेखी की और अभियोजन की कहानी में छेद करने के लिए प्राथमिकी की सामग्री पर बहुत अधिक भरोसा किया और जमानत दी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में प्राथमिकी में दावों के विपरीत मृतक को गोली लगने से कोई चोट नहीं थी, यह इंगित करने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का उल्लेख किया था। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में हाईकोर्ट के आदेश को कायम नहीं रखा जा सकता। पीड़ितों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने पीठ से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए पूर्व पीठ के समक्ष मामला नहीं रखने का अनुरोध करने को कहा। हालांकि पीठ ने ऐसा कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। 
मालूम हो कि गत वर्ष तीन अक्टूबर को कई किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी और केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 10 फरवरी से मिली जमानत के आदेश को रद्द कर दिया।

चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की विशेष पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने कई अप्रासंगिक कारकों पर विचार किया और पीड़ितों को याचिका का विरोध करने के लिए पर्याप्त समय दिए बगैर आदेश पारित करने में जल्दबाजी दिखाई। शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से इस मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए भी कहा है। 

पीड़ितों की ओर से जगजीत सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष को प्रभावी सुनवाई से वंचित कर दिया गया था जबकि उनके पास कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने न्यायिक मिसालों की अनदेखी की और अभियोजन की कहानी में छेद करने के लिए प्राथमिकी की सामग्री पर बहुत अधिक भरोसा किया और जमानत दी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में प्राथमिकी में दावों के विपरीत मृतक को गोली लगने से कोई चोट नहीं थी, यह इंगित करने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का उल्लेख किया था। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में हाईकोर्ट के आदेश को कायम नहीं रखा जा सकता। पीड़ितों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने पीठ से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए पूर्व पीठ के समक्ष मामला नहीं रखने का अनुरोध करने को कहा। हालांकि पीठ ने ऐसा कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। 

मालूम हो कि गत वर्ष तीन अक्टूबर को कई किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे।

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