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फायदा: इंडियन ऑयल के बाद अब हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने भी कच्चे तेल की खरीद के लिए रूस को दिया ऑर्डर, ये बड़ी कंपनी भी कतार में

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Thu, 17 Mar 2022 08:16 PM IST

सार

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए है। इन प्रतिबंधों के चलते कई देशों ने रूस से तेल आयात करने को लेकर दूरी बना ली है। इन सब कारणों के चलते रूस के कच्चे तेल बाजार में भारी छूट मिलने लगी है। 

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भारत की रिफाइनरी कंपनियों ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के प्रयास तेज कर दिए है। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने रूस से 20 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। इससे पहले इंडियन आयल कारपोरेशन ने भी रूसी कच्चा तेल खरीदा था। सूत्रों के मुताबिक, इंडियन आयल कारपोरेशन के बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने रूसी क्रूड ऑयल खरीदने के लिए यूरोपीय व्यापारी विटोल को माध्यम बनाया है। 

वहीं, मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड ने भी 10 लाख बैरल कच्चे तेल के लिए एक निविदा जारी की है। दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए है। इन प्रतिबंधों के चलते कई देशों ने रूस से तेल आयात करने को लेकर दूरी बना ली है। इन सब कारणों के चलते रूस के कच्चे तेल बाजार में भारी छूट मिलने लगी है। इस छूट के कारण भारत की रिफाइनरी कंपनियां इस मौके का फायदा उठाने के मूड में है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस छूट का फायदा उठाने के लिए भारतीय रिफाइनरी कंपनियां रियायती दर पर तेल खरीद के लिए टेंडर जारी कर रही हैं। 

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक,  देश की शीर्ष ऑयल कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन ने पिछले हफ्ते के आखिर में यूरोपीय व्यापारी विटोल के माध्यम से 30 लाख बैरल यूराल कच्चा तेल खरीदा था, जिसकी मई में डिलीवरी होनी है। इसके साथ ही हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने इस सप्ताह 20 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। इसकी भी मई में डिलीवरी होनी है। 

वहीं रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से अमेरिका में जोखिम की आशंका को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग काम्पलेक्स के संचालक रिलायंस इडस्ट्रीज लिमिटेड रूस से क्रूड आयल को खरीदने से बच सकती है। 

वहीं, जब विदेश मंत्रालय से जब पूछा गया कि क्या भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है तो विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपनी अधिकांश तेल आवश्यकताओं का आयात करता है। इसलिए, हम अपनी तेल आवश्यकताओं के आयात की स्थिति के कारण वैश्विक ऊर्जा बाजारों में हमेशा सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि रूस एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है।

विस्तार

भारत की रिफाइनरी कंपनियों ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के प्रयास तेज कर दिए है। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने रूस से 20 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। इससे पहले इंडियन आयल कारपोरेशन ने भी रूसी कच्चा तेल खरीदा था। सूत्रों के मुताबिक, इंडियन आयल कारपोरेशन के बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने रूसी क्रूड ऑयल खरीदने के लिए यूरोपीय व्यापारी विटोल को माध्यम बनाया है। 

वहीं, मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड ने भी 10 लाख बैरल कच्चे तेल के लिए एक निविदा जारी की है। दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए है। इन प्रतिबंधों के चलते कई देशों ने रूस से तेल आयात करने को लेकर दूरी बना ली है। इन सब कारणों के चलते रूस के कच्चे तेल बाजार में भारी छूट मिलने लगी है। इस छूट के कारण भारत की रिफाइनरी कंपनियां इस मौके का फायदा उठाने के मूड में है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस छूट का फायदा उठाने के लिए भारतीय रिफाइनरी कंपनियां रियायती दर पर तेल खरीद के लिए टेंडर जारी कर रही हैं। 

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक,  देश की शीर्ष ऑयल कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन ने पिछले हफ्ते के आखिर में यूरोपीय व्यापारी विटोल के माध्यम से 30 लाख बैरल यूराल कच्चा तेल खरीदा था, जिसकी मई में डिलीवरी होनी है। इसके साथ ही हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड ने इस सप्ताह 20 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। इसकी भी मई में डिलीवरी होनी है। 

वहीं रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से अमेरिका में जोखिम की आशंका को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग काम्पलेक्स के संचालक रिलायंस इडस्ट्रीज लिमिटेड रूस से क्रूड आयल को खरीदने से बच सकती है। 


वहीं, जब विदेश मंत्रालय से जब पूछा गया कि क्या भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है तो विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपनी अधिकांश तेल आवश्यकताओं का आयात करता है। इसलिए, हम अपनी तेल आवश्यकताओं के आयात की स्थिति के कारण वैश्विक ऊर्जा बाजारों में हमेशा सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि रूस एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है।

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