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पाकिस्तान में कोरोनाः पहला झटका सहने के बाद अब हिचकोले खा रही है अर्थव्यवस्था

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 28 Dec 2021 07:50 PM IST

सार

कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से महामारी के लौटने का खतरा फिर मंडराने लगा है। विश्लेषकों का कहना है कि इस स्थिति में पाकिस्तान के निर्यात की अगले साल क्या स्थिति रहेगी, उसका अनुमान लगाना मुश्किल है।

प्रधानमंत्री इमरान खान
– फोटो : पीटीआई (फाइल)

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कोरोना महामारी की शुरुआत के समय पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए जो उपाय घोषित किए थे, उनका असर अल्पकालिक साबित हुआ। 2020 में महामारी और लॉकडाउन के बावजूद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर उनका मामूली असर ही पड़ा था। इसकी वजह से तब पाकिस्तान के लॉन्ग टर्म मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स और बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स में उछाल देखने को मिला। लेकिन अब सूरत बदल चुकी है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब स्थिति चिंताजनक हो गई है।

हाल में देश में तमाम आर्थिक संकेतकों में गिरावट का रुख देखने को मिला है। मसलन, बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स इस साल जून में 64 अंक पर था, जो नवंबर में गिर कर 50 पर आ गया। दीर्घकालिक मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स में अक्तूबर में एक साल पहले की तुलना में 1.19 फीसदी की गिरावट आई। इस बीच देश में आयात में भारी इजाफा हुआ है। नवंबर में पाकिस्तान का आयात आठ बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। बीते नवंबर में यह नवंबर 2020 की तुलना में 84.7 फीसदी ज्यादा रहा। इसका नतीजा है कि निर्यात बढ़ने के बावजूद पाकिस्तान का व्यापार घाटा बढ़ा है।

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में पाकिस्तान का व्यापार घाटा पांच बिलियन डॉलर से ज्यादा था। यह इसी साल के अक्तूबर की तुलना में 33.7 फीसदी ज्यादा है। व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के कारण पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है।

कुल निर्यात में दर्ज किया गया इजाफा
हालांकि इस बीच पाकिस्तान का कुल निर्यात बढ़ा है, लेकिन वहां से बुने हुए कपड़ों (निटवेयर) के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज हुई है। नवंबर में इसमें 14 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। विश्लेषकों का कहना है कि असल में पाकिस्तान के निर्यात में जो बढ़ोतरी देखने में आ रही है, उसकी वजह मुद्रास्फीति में वृद्धि है। वस्तुओं के लिहाज से देखें को निर्यात ज्यादा नहीं बढ़ा है। मोटे तौर पर पाकिस्तान से खाद्य पदार्थों और टेक्सटाइल के निर्यात में वृद्धि दर्ज हुई है। 

आर्थिक आंकड़ों पर भी उठ रहे सवाल
इस बीच जानकारों ने पाकिस्तान के आर्थिक आंकड़ों को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के कई आंकड़ों में फर्क है। जहां पीबीएस के आंकड़ों से पाकिस्तान के गहराते आर्थिक संकट का संकेत मिलता है, वहीं एसबीपी के आंकड़ों से ऐसा लगता है कि स्थिति उतनी गंभीर नहीं है। लेकिन एसबीपी के आंकड़ों से भी यह जाहिर हुआ है कि पाकिस्तान के सामने अगले विदेशी मुद्रा की मुश्किल चुनौती आ सकती है।

अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के आर्थिक विश्लेषक आदिल नाखोडा ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि अगर एसबीपी के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आई, तो खतरनाक हालत पैदा हो सकती है। उस स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक गिरावट का ट्रेंड शुरू हो सकता है।

विस्तार

कोरोना महामारी की शुरुआत के समय पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए जो उपाय घोषित किए थे, उनका असर अल्पकालिक साबित हुआ। 2020 में महामारी और लॉकडाउन के बावजूद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर उनका मामूली असर ही पड़ा था। इसकी वजह से तब पाकिस्तान के लॉन्ग टर्म मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स और बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स में उछाल देखने को मिला। लेकिन अब सूरत बदल चुकी है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब स्थिति चिंताजनक हो गई है।

हाल में देश में तमाम आर्थिक संकेतकों में गिरावट का रुख देखने को मिला है। मसलन, बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स इस साल जून में 64 अंक पर था, जो नवंबर में गिर कर 50 पर आ गया। दीर्घकालिक मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स में अक्तूबर में एक साल पहले की तुलना में 1.19 फीसदी की गिरावट आई। इस बीच देश में आयात में भारी इजाफा हुआ है। नवंबर में पाकिस्तान का आयात आठ बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। बीते नवंबर में यह नवंबर 2020 की तुलना में 84.7 फीसदी ज्यादा रहा। इसका नतीजा है कि निर्यात बढ़ने के बावजूद पाकिस्तान का व्यापार घाटा बढ़ा है।

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में पाकिस्तान का व्यापार घाटा पांच बिलियन डॉलर से ज्यादा था। यह इसी साल के अक्तूबर की तुलना में 33.7 फीसदी ज्यादा है। व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के कारण पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है।

कुल निर्यात में दर्ज किया गया इजाफा

हालांकि इस बीच पाकिस्तान का कुल निर्यात बढ़ा है, लेकिन वहां से बुने हुए कपड़ों (निटवेयर) के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज हुई है। नवंबर में इसमें 14 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। विश्लेषकों का कहना है कि असल में पाकिस्तान के निर्यात में जो बढ़ोतरी देखने में आ रही है, उसकी वजह मुद्रास्फीति में वृद्धि है। वस्तुओं के लिहाज से देखें को निर्यात ज्यादा नहीं बढ़ा है। मोटे तौर पर पाकिस्तान से खाद्य पदार्थों और टेक्सटाइल के निर्यात में वृद्धि दर्ज हुई है। 

आर्थिक आंकड़ों पर भी उठ रहे सवाल

इस बीच जानकारों ने पाकिस्तान के आर्थिक आंकड़ों को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के कई आंकड़ों में फर्क है। जहां पीबीएस के आंकड़ों से पाकिस्तान के गहराते आर्थिक संकट का संकेत मिलता है, वहीं एसबीपी के आंकड़ों से ऐसा लगता है कि स्थिति उतनी गंभीर नहीं है। लेकिन एसबीपी के आंकड़ों से भी यह जाहिर हुआ है कि पाकिस्तान के सामने अगले विदेशी मुद्रा की मुश्किल चुनौती आ सकती है।

अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के आर्थिक विश्लेषक आदिल नाखोडा ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि अगर एसबीपी के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आई, तो खतरनाक हालत पैदा हो सकती है। उस स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक गिरावट का ट्रेंड शुरू हो सकता है।

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