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पाकिस्तान: मुख्य न्यायाधीश ने खराब शासन के लिए इमरान सरकार की खिंचाई की, कहा- धर्म के प्रति वफादारी विकास में बाधा डालती है

एजेंसी, इस्लामाबाद
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 16 Jan 2022 01:38 AM IST

सार

पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने खेद जताते हुए कहा कि असहाय लोगों को कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। अदालत में छोटे मुद्दों से संबंधित याचिकाओं की भरमार लगी है जबकि नागरिकों के अधिकारों को लागू करने की क्षमता नहीं बढ़ रही है।

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान
– फोटो : पीटीआई

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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने इमरान सरकार को असांविधानिक व्यवस्था और सुशासन के परिप्रेक्ष्य में इस्लाम को स्थान देने की कोशिश करने के लिए फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि अदालत में छोटे मुद्दों से संबंधित याचिकाओं की भरमार लगी है जबकि नागरिकों के अधिकारों को लागू करने की क्षमता नहीं बढ़ रही है। उन्होंने कहा, धर्म के प्रति वफादारी विकास में बाधा डालती है।

पाक के मुख्य न्यायाधीश ने खेद जताते हुए कहा, यही कारण है कि असहाय लोगों को कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। वे एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने जनता की चिंताओं को सही भावना से नहीं संभालने के लिए सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सड़कतों की सफाई जैसे छोटे-छोटे मामले, कूड़ा उठाने, पार्कों और खुले स्थानों को बनाए रखने जैसे मामलों को कानून की अदालत में लाया जा रहा है।

जबकि ये सब सरकार के प्रमुख और बुनियादी कार्य हैं। लेकिन इन बुनियादी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। न्यायाधीश गुलजार बोले, संविधान को सार्वजनिक जीवन के सभी पहलुओं पर लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से उसके आसपास की स्थिति पर ध्यान देने का आग्रह किया।

न्यायमूर्ति खोसा ने भी की आलोचना
मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति खोसा ने देश के सामने आने वाले खास मुद्दों को सूचीबद्ध किया और कहा कि जब तक इनकी पहचान कर समाधान नहीं खोजा जाता तब तक देश में असुरक्षा बनी रहेगी। उन्होंने कहा, यह तय करना होगा कि इस्लामी शासन में सरकार की क्या भूमिका थी और उन्हें सांविधानिक व्यवस्था और शासन के प्रतिमान में इस्लाम को कहां रखना था।

विस्तार

पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने इमरान सरकार को असांविधानिक व्यवस्था और सुशासन के परिप्रेक्ष्य में इस्लाम को स्थान देने की कोशिश करने के लिए फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि अदालत में छोटे मुद्दों से संबंधित याचिकाओं की भरमार लगी है जबकि नागरिकों के अधिकारों को लागू करने की क्षमता नहीं बढ़ रही है। उन्होंने कहा, धर्म के प्रति वफादारी विकास में बाधा डालती है।

पाक के मुख्य न्यायाधीश ने खेद जताते हुए कहा, यही कारण है कि असहाय लोगों को कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। वे एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने जनता की चिंताओं को सही भावना से नहीं संभालने के लिए सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सड़कतों की सफाई जैसे छोटे-छोटे मामले, कूड़ा उठाने, पार्कों और खुले स्थानों को बनाए रखने जैसे मामलों को कानून की अदालत में लाया जा रहा है।

जबकि ये सब सरकार के प्रमुख और बुनियादी कार्य हैं। लेकिन इन बुनियादी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। न्यायाधीश गुलजार बोले, संविधान को सार्वजनिक जीवन के सभी पहलुओं पर लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से उसके आसपास की स्थिति पर ध्यान देने का आग्रह किया।

न्यायमूर्ति खोसा ने भी की आलोचना

मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति खोसा ने देश के सामने आने वाले खास मुद्दों को सूचीबद्ध किया और कहा कि जब तक इनकी पहचान कर समाधान नहीं खोजा जाता तब तक देश में असुरक्षा बनी रहेगी। उन्होंने कहा, यह तय करना होगा कि इस्लामी शासन में सरकार की क्या भूमिका थी और उन्हें सांविधानिक व्यवस्था और शासन के प्रतिमान में इस्लाम को कहां रखना था।

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