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न लॉकडाउन-न क्वारंटीन: सर्दी-जुकाम की तरह होगा कोरोना का हाल, दक्षिण अफ्रीका ने बनाया नया प्लान

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, केपटाउन
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sun, 16 Jan 2022 10:07 AM IST

सार

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बार-बार लॉकडाउन से अजीविका व अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसलिए सरकार को कोरोना के प्रति व्यवहारिक रवैया अपनाना होगा। 

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : पीटीआई

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कोरोना महामारी जहां से शुरू हुई थी, वहीं पर यह वायरस दम तोड़ता नजर आ रहा है। दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने कहा है कि वह अब कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। देश में अब न तो लॉकडाउन लगाया जाएगा और न ही किसी को क्वारंटीन किया जाएगा। पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने बढ़ते कोरोना मामलों के बीच महामारी के प्रति व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है। 
दरअसल, नौ जनवरी को दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बार-बार लगाए जा रहे लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था, अजीविका व अन्य पहुलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए सरकार को दुनिया की देखादेखी में अनावश्यक कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने से बचना चाहिए, क्योंकि स्थानीय स्तर पर यह संभव नहीं है। 

चौथी लहर से जूझ रहा है दक्षिण अफ्रीका 
दक्षिण अफ्रीका हाल-फिलहाल कोरोना की चौथी लहर से जूझ रहा है। यहां बड़ी संख्या में ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। अब तक कोरोना की तीनों लहरों के दौरान 35 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 93,278 मौतें हुई हैं। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने क्या दिए थे सुझाव 
सरकार ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सवाल किया था कि अगर देश में उच्च स्तर का लॉकडाउन नहीं घोषित किया जाता है तो क्या इससे स्वास्थ्य सुविधाएं खतरे में आ जाएंगी? इस पर विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि सीरो सर्वे से सामने आया है कि पहले की तीन लहरों के कारण लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हुई है, वहीं टीकाकरण ने भी प्रतिरोधक क्षमता में अभूतपूर्व बदलाव किए हैं। इसके अलावा ओमिक्रॉन के कारण गंभीर रूप से से बीमार होने का खतरा कम है। 

बूस्टर डोज अनिवार्य 
हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि सरकार को उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए बूस्टर खुराक उपलब्ध करानी होगी। इसके अलावा थर्मल स्क्रीनिंग व हैंड सैनिटाइजेशन को भी समाप्त कर देना चाहिए। हालांकि, बंद जगहों पर मास्क की अनिवार्यता पर ध्यान देना चाहिए। 

विस्तार

कोरोना महामारी जहां से शुरू हुई थी, वहीं पर यह वायरस दम तोड़ता नजर आ रहा है। दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने कहा है कि वह अब कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। देश में अब न तो लॉकडाउन लगाया जाएगा और न ही किसी को क्वारंटीन किया जाएगा। पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने बढ़ते कोरोना मामलों के बीच महामारी के प्रति व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है। 

दरअसल, नौ जनवरी को दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बार-बार लगाए जा रहे लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था, अजीविका व अन्य पहुलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए सरकार को दुनिया की देखादेखी में अनावश्यक कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने से बचना चाहिए, क्योंकि स्थानीय स्तर पर यह संभव नहीं है। 

चौथी लहर से जूझ रहा है दक्षिण अफ्रीका 

दक्षिण अफ्रीका हाल-फिलहाल कोरोना की चौथी लहर से जूझ रहा है। यहां बड़ी संख्या में ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। अब तक कोरोना की तीनों लहरों के दौरान 35 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 93,278 मौतें हुई हैं। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने क्या दिए थे सुझाव 

सरकार ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सवाल किया था कि अगर देश में उच्च स्तर का लॉकडाउन नहीं घोषित किया जाता है तो क्या इससे स्वास्थ्य सुविधाएं खतरे में आ जाएंगी? इस पर विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि सीरो सर्वे से सामने आया है कि पहले की तीन लहरों के कारण लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हुई है, वहीं टीकाकरण ने भी प्रतिरोधक क्षमता में अभूतपूर्व बदलाव किए हैं। इसके अलावा ओमिक्रॉन के कारण गंभीर रूप से से बीमार होने का खतरा कम है। 

बूस्टर डोज अनिवार्य 

हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि सरकार को उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए बूस्टर खुराक उपलब्ध करानी होगी। इसके अलावा थर्मल स्क्रीनिंग व हैंड सैनिटाइजेशन को भी समाप्त कर देना चाहिए। हालांकि, बंद जगहों पर मास्क की अनिवार्यता पर ध्यान देना चाहिए। 

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