हालांकि टीएलपी के साथ बातचीत के बाद, पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख राशिद ने रविवार को कहा कि विरोध कर रहे इस्लामवादी इस्लामाबाद की तरफ मार्च नहीं करेंगे क्योंकि हिरासत में लिए गए टीएलपी कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया जाएगा।
मंत्री शेख राशिद ने कोट लखपत जेल में टीएलपी के प्रमुख साद हुसैन रिजवी और टीएलपी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की। इसके बाद उन्होंने कहा कि टीएलपी के साथ पहले हुए एक समझौते के तहत फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने के मुद्दे को बहस के लिए संसद में ले जाया जाएगा।
पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि करीब 10,000 इस्लामवादी लाहौर से करीब 80 किलोमीटर दूर मुरीदके से गुजरांवाला जीटी रोड पर तक डेरा डाले हुए हैं। वे राजधानी में मार्च करने के लिए अपने नेतृत्व के संकेत का इंतजार कर रहे हैं।
टीएलपी ने मीडिया में एक बयान जारी किया उसमें कहा कि सरकार ने हमसे फ्रांसीसी दूत को निष्कासित करने के लिए साथ ही समझौते को लागू करने और पार्टी प्रमुख साद रिजवी सहित हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए हमसे मंगलवार तक का समय मांगा है।
इसके साथ ही सरकार टीएलपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ फर्जी एफआईआर रद्द कर देगी। टीएलपी ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगो को पूरा नहीं करेगी तब तक ऐसे ही विरोध मार्च जारी रहेगा।
रविवार को नहीं हुई कोई झड़प
लाहौर में पुलिस और कट्टरपंथी इस्लामवादियों के बीच चल रही भीषण झड़पों में शनिवार को 6 और लोगों की मौत हो गई थी। इसके साथ ही मरने वालों का आंकड़ा 10 पहुंच गया। शुक्रवार को हुई हिंसक झड़प में दो पुलिसकर्मियों सहित चार लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में तीन पुलिसकर्मी और सात टीएलपी कार्यकर्ता हैं। हालांकि, रविवार को कोई झड़प नहीं हुई क्योंकि सरकार और टीएलपी प्रतिनिधिमंडल के बीच बातचीत हुई थी।
शुक्रवार को भड़की थी हिंसा
पाकिस्तान के लाहौर में शुक्रवार को हिंसा भड़क उठी थी। यहां पुलिस और इस्लामवादी संगठन तहरीक ए लब्बैक समर्थकों के बीच झड़प में तीन पुलिसकर्मी सहित चार लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक, इस घटना में 15 लोग घायल भी हुए।
कट्टरपंथी इस्लामवादी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कार्यकर्ताओं ने लाहौर से इस्लामाबाद तक एक रैली शुरू की थी। इसमें पाकिस्तान सरकार से उनके नेता साद रिजवी को रिहा करने की मांग जा रही थी जिसे पिछले साल फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शनों के लिए गिरफ्तार किया गया था।
सुरक्षा बलों ने टीएलपी कार्यकर्ताओं पर 2500 से अधिक आंसू गैस के गोले दागकर रैली करने वालों को इस्लामाबाद की ओर बढ़ने से रोकने की कोशिश की, जिसके बाद भीड़ हिंसक हो गई।