वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Wed, 26 Jan 2022 09:41 PM IST
सार
अफगानिस्तान में भीषण हिसा के दौर के बाद सरकार बनाने वाले तालिबान को लेकर शुरुआत से नरम रुख दिखा रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की इसके लिए पैसा जुटाने की योजना को बड़ा झटका लगा है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान
– फोटो : पीटीआई (फाइल)
पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान को आर्थिक मदद करने का एलान किया था। लेकिन, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने पाकिस्तान सरकार को इसके खिलाफ सलाह दी है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एसबीपी को इस बात का डर है कि तालिबान को वित्तीय मदद उपलब्ध कराने से पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसारएसबीपी ने देश के वित्त मंत्रालय को अफगानिस्तान सरकार के रिलीफ फंड में घरेलू और विदेशी दान के खिलाफ सलाह दी है। इसने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों को शामिल किए बिना अफगान सरकार को पैसा देने से उस पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। एफएटीएफ एक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्त पोषण वाचडॉग है।
जून 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है पाकिस्तान, अगले महीने होगी इसकी समीक्षा
एफएटीएफ अगले महीने विभिन्न मानकों पर पाकिस्तान के प्रदर्शन की समीक्षा करने वाला है। पाकिस्तान जून 2018 से एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में है। इस सूची से बाहर निकलने के लिए जरूरी दो कार्रवाइयों को पाकिस्तान अब तक पूरा नहीं कर सका है। इसमें संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की ओर से घोषित किए गए आतंकवादियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही और उनकी संपत्तियों को जब्त किया जाना शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार एसबीपी को अधिक स्वतंत्र बनाने के लिए कानून का निर्माण किए जाने के बाद यह पहली बार है जब पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक स्वायत्त एसबीपी सरकार की राहत कोष योजना के खिलाफ खड़ा हुआ है। एसबीपी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ छह अरब अमेरिकी डालर की विस्तारित फंड सुविधा के लिए एक समझौते के तहत अपनी स्वायत्तता बढ़ाने वाले कुछ सुधारों से गुजर रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दिलाने की कोशिशें कर रहा पाकिस्तान
पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान सरकार ने अपने वित्त विभाग के माध्यम से एसबीपी से संपर्क किया था और अपने अफगानिस्तान रिलीफ फंड के लिए एक संग्रह खाता खोलने की मांग की थी। इसने प्रस्ताव दिया था कि तालिबान के लिए नए फंड को बैंकिंग चैनलों के माध्यम से जारी किया जा सकता है। हालांकि, एसबीपी ने कहा था कि सीधे तौर पर अफगानिस्तान को पैसे पहुंचाना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार शुरुआत से ही तालिबान को लेकर नरम रुख प्रदर्शित करती रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के नजरिए को भी बदलने की भी कोशिश करती रही है। इसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि अफगानिस्तान में कट्टर इस्लामी संगठन तालिबान के नेतृत्व वाली नवगठित सरकार को मान्यता दी जाए। हालांकि, विभिन्न देशों ने अब तक इससे इत्तेफाक नहीं जताया है।
विस्तार
पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान को आर्थिक मदद करने का एलान किया था। लेकिन, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने पाकिस्तान सरकार को इसके खिलाफ सलाह दी है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एसबीपी को इस बात का डर है कि तालिबान को वित्तीय मदद उपलब्ध कराने से पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसारएसबीपी ने देश के वित्त मंत्रालय को अफगानिस्तान सरकार के रिलीफ फंड में घरेलू और विदेशी दान के खिलाफ सलाह दी है। इसने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों को शामिल किए बिना अफगान सरकार को पैसा देने से उस पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। एफएटीएफ एक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्त पोषण वाचडॉग है।
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