वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 14 Feb 2022 08:40 PM IST
सार
रिपोर्ट में कहा गया कि खान का दौरा ऐसे समय में प्रस्तावित है, जब यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच गतिरोध जारी है, जो कि कूटनीतिक प्रयासों के पूरी तरह विफल रहने पर संघर्ष में तब्दील हो सकता है।
व्लादिमीर पुतिन और इमरान खान।
– फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस नाजुक समय में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का प्रस्तावित रूस दौरा उनकी निजी छवि को ‘झटका’ दे सकता है। कराची के एक अखबार द न्यूज में छपी रिपोर्ट में ‘इंस्टिट्यूट ऑफ न्यू होराइजन्स एंड बलूचिस्तान’ के अध्यक्ष जन अचकजई ने खान के प्रस्तावित दौरे की तुलना पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक के तत्कालीन ईरान दौरे से की है, जो कि हक ने शाह के समर्थन में एकजुटता दिखाने के मद्देनजर किया था और इसके कुछ ही दिन बाद वर्ष 1979 में अयातुल्लाह खामनेई के नेतृत्व में हुई क्रांति के चलते ईरान में तख्तापलट हो गया था।
रिपोर्ट में कहा गया कि खान का दौरा ऐसे समय में प्रस्तावित है, जब यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच गतिरोध जारी है, जो कि कूटनीतिक प्रयासों के पूरी तरह विफल रहने पर संघर्ष में तब्दील हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया, “इस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि रूस ने आमंत्रण नहीं दिया, बल्कि आमंत्रण मांगा गया था। वह भी ऐसे समय में जब पुतिन ने पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में समर्थन के लिए धन्यवाद जताया है।”
रिपोर्ट में कहा गया कि यूरोप (अमेरिकी कैंप) और पूर्वी यूरोप (रूसी कैंप) लगातार किसी भी तरह की युद्ध की स्थिति से बचने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे समय में पाकिस्तानी पीएम के रूस जाने की भारी कीमत होगी और इससे उनकी निजी छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव होगा। सच्चाई यह है कि पाकिस्तान की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हमारे पास काफी कम विकल्प रह जाएंगे। पाकिस्तान इस दौरे के बाद बिल्कुल विकल्पहीन दिखेगा।
अखबार में आगे कहा गया, “आखिर क्यों हमें रूस कुछ नहीं देने वाला? क्योंकि भारत के पहले प्रधानमंत्री (जवाहरलाल नेहरु) ने रूस के न्योते को नहीं नकारा था और अब रूस और अमेरिका दोनों जगह भारतीय छात्रों की अच्छी-खासी संख्या है।” इसलिए रूस तो पाकिस्तान के समर्थन के लिए कभी भारत को कुर्बान नहीं करेगा। इसके अलावा पाकिस्तान के समर्थन की रूस को कीमत भी चुकानी पड़ सकती है, क्योंकि यहां से हमेशा मदद और कर्ज की मांग उठती रहेगी।