वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू
Published by: अजय सिंह
Updated Tue, 28 Dec 2021 03:02 PM IST
सार
दहल ने अधिवेशन में ‘21वीं सदी में समाजवाद की ओर नेपाल का रास्ता’ शीर्षक से तैयार राजनीतिक दस्तावेज को पढ़ा। लेकिन इस कॉपियां प्रतिनिधियों के बीच नहीं बांटी गईं।
KP sharma OLI and Pushp Kamal Dahal (फाइल फोटो)
– फोटो : Twitter
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विस्तार
दहल ने अधिवेशन में ‘21वीं सदी में समाजवाद की ओर नेपाल का रास्ता’ शीर्षक से तैयार राजनीतिक दस्तावेज को पढ़ा। लेकिन इस कॉपियां प्रतिनिधियों के बीच नहीं बांटी गईं। अधिवेशन में 1,631 प्रतिनिधि आए हैं। उनमें से ज्यादातर ने ये सवाल उठाया कि जिस दस्तावेज की कॉपी उन्हें नहीं मिली है, उस पर वे कैसे अपनी राय जता सकते हैं।
माओइस्ट सेंटर के दस्तावेज में न सिर्फ पार्टी प्रतिनिधियों, बल्कि तमाम राजनीतिक विश्लेषकों की गहरी दिलचस्पी रही है। ऐसे दस्तावेजों से पार्टी की दिशा का आभास होता है। दस्तावेज पेश होने के बाद पार्टी के प्रवक्ता कृष्ण बहादुर महारा ने मीडियाकर्मियों से कहा- ‘पहले हम दस्तावेज पर चर्चा करेंगे और उसके बाद दस्तावेज को किताब के रूप में प्रकाशित करेंगे।’
पार्टी का आठवां राष्ट्रीय अधिवेशन रविवार को शुरू हुआ था। यह बंद कमरों के बीच चल रहा है। पार्टी के युवा नेता देवेंद्र सुनार ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘मैं राजनीतिक दस्तावेज का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। मुझे यह समझ में नहीं आता कि पार्टी क्यों इस दस्तावेज को गोपनीय रख रही है।’ पार्टी ने इस राष्ट्रीय अधिवेशन का मकसद एक ‘नई क्रांतिकारी सोच’ विकसित करना बताया है, ताकि वह एक ‘क्रांतिकारी पार्टी’ बन सके।
सुनार ने कहा- ‘हमारी पार्टी अपना पुनर्आविष्कार किस रूप में करती है, मोटे तौर पर यह अध्यक्ष की तरफ से पेश दस्तावेज पर निर्भर करता है। अगर इस दस्तावेज पर पूरी चर्चा होती, तो यह अधिवेशन हमारे लिए सैद्धांतिक दिशानिर्देश तैयार करने में सफल रहता।’
पार्टी सूत्रों के मुताबिक दहल ने जिन 25 समूहों का गठन किया है, उन्होंने मंगलवार को दस्तावेज पर विचार-विमर्श शुरू किया है। हर ग्रुप में 65 सदस्य हैँ। बताया जाता है कि हर ग्रुप को दस्तावेज की एक कॉपी दी गई है। दस्तावेज का सार-संक्षेप बताते हुए महारा ने कहा कि दहल ने निरंतर और सु-प्रबंधित शांतिपूर्ण क्रांति का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा- ‘शांतिपूर्ण क्रांति से समाजवाद की स्थापना संभव है। हम सर्वहारा के प्रति निष्ठावान हैं। हमें अपनी राष्ट्रीय स्वतंत्रता की रक्षा करनी है और जनता- खासकर श्रमिकों के प्रति जवाबदेह रहना है।’
दस्तावेज पेश करते समय दिए अपने भाषण में दहल ने स्वीकार किया कि माओवादी नेताओं को अपनी जीवन शैली बदलनी होगी, तभी वे देश के सांस्कृतिक रूपांतरण में सहायक बन सकेंगे। उन्होंने कहा- ‘सांस्कृतिक रूपांतरण की शुरुआत हमें खुद से करनी होगी। आज हमारे नेताओं की जीवन शैली और संस्कृति हमारी पार्टी के राजनीतिक लाइन से मेल नहीं खाती है।