एजेंसी, काठमांडो।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 28 Dec 2021 02:46 AM IST
सार
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने कहा, एमसीसी के तहत 50 करोड़ डॉलर के कार्यक्रम राष्ट्रीय हित के खिलाफ नहीं हैं। उनका सीधा अर्थ है कि वे चीन के बजाय अमेरिका को देश में लाकर विकास योजनाओं पर काम कराने के इच्छुक हैं। जबकि देश के सियासी दल एमसीसी समझौते के तहत अमेरिकी अनुदान सहायता को स्वीकार करने पर बंटे हुए हैं।
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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विस्तार
देउबा ने कहा, एमसीसी के तहत 50 करोड़ डॉलर के कार्यक्रम राष्ट्रीय हित के खिलाफ नहीं हैं। उनका सीधा अर्थ है कि वे चीन के बजाय अमेरिका को देश में लाकर विकास योजनाओं पर काम कराने के इच्छुक हैं। जबकि देश के सियासी दल एमसीसी समझौते के तहत अमेरिकी अनुदान सहायता को स्वीकार करने पर बंटे हुए हैं।
यह मामला निचले सदन में विचाराधीन है। नेपाल और अमेरिका ने 2017 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। एमसीसी कार्यक्रम के तहत, अमेरिका अनुदान सहायता देगा जिसका उपयोग मुख्य रूप से नेपाल की ट्रांसमिशन लाइन को मजबूत करने पर किया जाएगा। यह निकट भविष्य में भारत को पनबिजली के निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा और नेपाल के सड़क नेटवर्क में भी सुधार करेगा।
मानवाधिकारों का राजनीतिकरण कर रहा अमेरिका : चीन
अमेरिका ने अपने सियासी हितों और वैश्विक आधिपत्य को बरकरार रखने के लिए मानवाधिकारों के राजनीतिकरण का सहारा लिया है। चीन के अधिकार संगठन चायना सोसायटी फॉर ह्यूमन राइट्स स्टडीज (सीएसएचआरएस) ने कहा कि अमेरिकी बर्ताव ने उस नींव को नष्ट कर दिया है जो वैश्विक मानवाधिकार शासन का आधार है। इससे मानवाधिकारों के वैश्विक विकास को खतरा है और इसके नतीजे विनाशकारी होंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, वाशिंगटन का रवैया इस बात पर निर्भर करता है कि मानवाधिकार किस हद तक अपनी राजनीतिक रणनीति को पूरा कर सकते हैं।