वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 18 Dec 2021 04:33 PM IST
सार
गगन थापा ने महासचिव पद का चुनाव प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के विरोधी खेमे की तरफ से लड़ा था। इस खेमे के नेता शेखर कोइराला हैं। वे 64 फीसदी से भी ज्यादा वोट पा कर विजयी हुए। बिश्व प्रकाश शर्मा पहले देउबा गुट में थे। लेकिन सांगठनिक चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदल लिया…
गगन थापा और बिश्व प्रकाश शर्मा
– फोटो : Agency
नेपाली कांग्रेस नेपाल की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। लेकिन अब खत्म हुए राष्ट्रीय महाधिवेशन के जरिए पार्टी ने अपनी युवा छवि बनाने की कोशिश की है। अधिवेशन में हुए सांगठनिक चुनाव में पार्टी के दो सबसे शक्तिशाली पदों पर दो युवा चेहरे चुने गए हैं। विश्लेषकों के मुताबिक मुमकिन है कि ये दोनों ही अब लंबी अवधि में पार्टी का चेहरा होंगे।
अहम पदों पर उम्रदराज नेताओं को बैठाने की परंपरा
गगन थापा और बिश्व प्रकाश शर्मा नेपाली कांग्रेस के महासचिव चुने गए हैं। इन दोनों ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की थी। विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि अब तक नेपाली कांग्रेस में परंपरा महत्वपूर्ण पदों पर उम्रदराज वरिष्ठ नेताओं को बैठाने की थी। इसके बीच थापा और शर्मा की जीत हवा के एक नए झोंके की तरह है। थापा पहले स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। जबकि शर्मा इस चुनाव के पहले तक नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता थे।
गगन थापा ने महासचिव पद का चुनाव प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के विरोधी खेमे की तरफ से लड़ा था। इस खेमे के नेता शेखर कोइराला हैं। वे 64 फीसदी से भी ज्यादा वोट पा कर विजयी हुए। बिश्व प्रकाश शर्मा पहले देउबा गुट में थे। लेकिन सांगठनिक चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदल लिया। वे वरिष्ठ नेता प्रकाश मान सिंह के गुट में शामिल हो गए और उसकी तरफ से ही चुनाव लड़ा। प्रकाश मान सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, लेकिन मतदान के पहले दौर में ही वे होड़ से बाहर हो गए।
पौडेल ने की थी चुनाव टालने की कोशिश
नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल ने थापा और शर्मा की तारीफ करते हुए कहा है कि ये दोनों हमेशा ही परिवर्तन के समर्थक रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेपाली कांग्रेस वर्षों से यथास्थिति का शिकार थी, जो इन दोनों के चुनाव से टूट गई है। अधिवेशन से पहले पौडेल ने पार्टी में चुनाव टालने के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश की थी। इसमें नाकाम रहने के बाद उन्होंने चुनाव प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था।
शर्मा साल 2000 में नेपाली स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष और थापा उपाध्यक्ष थे। तब गुरुराज घिमिरे यूनियन के संयुक्त महासचिव थे। घिमिरे ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘मुझे पूरा विश्वास है कि थापा और शर्मा कुछ ऐसी ठोस पहल करेंगे, जिससे पार्टी का रूप बदल जाएगा। उनकी जीत से हमारी पटरी से उतर चुकी पार्टी को नया जीवनदान मिला है।’
नेपाली कांग्रेस की स्थापना 1947 में हुई थी। माना जाता है कि पिछले कुछ दशकों से पार्टी भटकाव का शिकार रही है। 2017 के आम चुनाव में इसे बुरी हार का मुंह देखना पड़ा। पर्यवेक्षकों का कहना है कि पार्टी की जरूरत यह है कि वह बिना देर किए अपनी विचारधारा में नई जान फूंके और अपने संगठन को फिर से सक्रिय बनाए। थापा यह कहते रहे हैं कि आम जनता तो दूर, पार्टी ने अपने सदस्यों तक से संपर्क खो दिया है। अधिवेशन से ठीक पहले थापा ने 60 पेज का एक वैचारिक दस्तावेज जारी किया था। जानकारों का कहना है कि पार्टी प्रतिनिधियों ने अब उस अमल करने की ताकत उन्हें दे दी है।
विस्तार
नेपाली कांग्रेस नेपाल की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। लेकिन अब खत्म हुए राष्ट्रीय महाधिवेशन के जरिए पार्टी ने अपनी युवा छवि बनाने की कोशिश की है। अधिवेशन में हुए सांगठनिक चुनाव में पार्टी के दो सबसे शक्तिशाली पदों पर दो युवा चेहरे चुने गए हैं। विश्लेषकों के मुताबिक मुमकिन है कि ये दोनों ही अब लंबी अवधि में पार्टी का चेहरा होंगे।
अहम पदों पर उम्रदराज नेताओं को बैठाने की परंपरा
गगन थापा और बिश्व प्रकाश शर्मा नेपाली कांग्रेस के महासचिव चुने गए हैं। इन दोनों ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की थी। विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि अब तक नेपाली कांग्रेस में परंपरा महत्वपूर्ण पदों पर उम्रदराज वरिष्ठ नेताओं को बैठाने की थी। इसके बीच थापा और शर्मा की जीत हवा के एक नए झोंके की तरह है। थापा पहले स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। जबकि शर्मा इस चुनाव के पहले तक नेपाली कांग्रेस के प्रवक्ता थे।
गगन थापा ने महासचिव पद का चुनाव प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के विरोधी खेमे की तरफ से लड़ा था। इस खेमे के नेता शेखर कोइराला हैं। वे 64 फीसदी से भी ज्यादा वोट पा कर विजयी हुए। बिश्व प्रकाश शर्मा पहले देउबा गुट में थे। लेकिन सांगठनिक चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदल लिया। वे वरिष्ठ नेता प्रकाश मान सिंह के गुट में शामिल हो गए और उसकी तरफ से ही चुनाव लड़ा। प्रकाश मान सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, लेकिन मतदान के पहले दौर में ही वे होड़ से बाहर हो गए।
पौडेल ने की थी चुनाव टालने की कोशिश
नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल ने थापा और शर्मा की तारीफ करते हुए कहा है कि ये दोनों हमेशा ही परिवर्तन के समर्थक रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेपाली कांग्रेस वर्षों से यथास्थिति का शिकार थी, जो इन दोनों के चुनाव से टूट गई है। अधिवेशन से पहले पौडेल ने पार्टी में चुनाव टालने के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश की थी। इसमें नाकाम रहने के बाद उन्होंने चुनाव प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था।
शर्मा साल 2000 में नेपाली स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष और थापा उपाध्यक्ष थे। तब गुरुराज घिमिरे यूनियन के संयुक्त महासचिव थे। घिमिरे ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘मुझे पूरा विश्वास है कि थापा और शर्मा कुछ ऐसी ठोस पहल करेंगे, जिससे पार्टी का रूप बदल जाएगा। उनकी जीत से हमारी पटरी से उतर चुकी पार्टी को नया जीवनदान मिला है।’
नेपाली कांग्रेस की स्थापना 1947 में हुई थी। माना जाता है कि पिछले कुछ दशकों से पार्टी भटकाव का शिकार रही है। 2017 के आम चुनाव में इसे बुरी हार का मुंह देखना पड़ा। पर्यवेक्षकों का कहना है कि पार्टी की जरूरत यह है कि वह बिना देर किए अपनी विचारधारा में नई जान फूंके और अपने संगठन को फिर से सक्रिय बनाए। थापा यह कहते रहे हैं कि आम जनता तो दूर, पार्टी ने अपने सदस्यों तक से संपर्क खो दिया है। अधिवेशन से ठीक पहले थापा ने 60 पेज का एक वैचारिक दस्तावेज जारी किया था। जानकारों का कहना है कि पार्टी प्रतिनिधियों ने अब उस अमल करने की ताकत उन्हें दे दी है।
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