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नहीं रहे कन्नड़ कबीर: धार्मिक प्रवचनकर्ता इब्राहिम सुतार का दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन

एजेंसी, बेंगलुरु।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 06 Feb 2022 07:06 AM IST

सार

कन्नड़ कबीर ने अपने भाषणों में हमेशा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक सद्भाव पर जोर दिया। उन्हें श्रीमद् भगवदगीता के साथ-साथ कुरान की भी अच्छी जानकारी थी।

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प्रख्यात धार्मिक प्रवचनकर्ता एवं पद्मश्री से सम्मानित इब्राहिम सुतार का शनिवार को बागलकोट जिले में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्हें कन्नड़ कबीर के रूप में भी जाना जाता था। सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया है।

सुतार के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार आज सुबह उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया था। सुतार 81 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं। दस मई 1940 को जन्मे सुतार ने केवल तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की थी, लेकिन आध्यात्मिकता की उनकी लालसा ने उन्हें इस्लामी किताबों के अलावा हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।

वह कर्नाटक और भारत के अन्य हिस्सों के संतों के लेखन से भी प्रभावित थे। 1970 में उन्होंने सौहार्द लोक संगीत मेला की स्थापना की थी, जिसमें कलाकारों की एक टीम पड़ोसी गांवों में धार्मिक प्रवचन दिया करती थी।

उन्हें जानने वाले बताते हैं कि कन्नड़ कबीर ने अपने भाषणों में हमेशा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक सद्भाव पर जोर दिया। उन्हें श्रीमद् भगवदगीता के साथ-साथ कुरान की भी अच्छी जानकारी थी। 

विस्तार

प्रख्यात धार्मिक प्रवचनकर्ता एवं पद्मश्री से सम्मानित इब्राहिम सुतार का शनिवार को बागलकोट जिले में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्हें कन्नड़ कबीर के रूप में भी जाना जाता था। सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया है।

सुतार के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार आज सुबह उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया था। सुतार 81 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं। दस मई 1940 को जन्मे सुतार ने केवल तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की थी, लेकिन आध्यात्मिकता की उनकी लालसा ने उन्हें इस्लामी किताबों के अलावा हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।

वह कर्नाटक और भारत के अन्य हिस्सों के संतों के लेखन से भी प्रभावित थे। 1970 में उन्होंने सौहार्द लोक संगीत मेला की स्थापना की थी, जिसमें कलाकारों की एक टीम पड़ोसी गांवों में धार्मिक प्रवचन दिया करती थी।

उन्हें जानने वाले बताते हैं कि कन्नड़ कबीर ने अपने भाषणों में हमेशा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक सद्भाव पर जोर दिया। उन्हें श्रीमद् भगवदगीता के साथ-साथ कुरान की भी अच्छी जानकारी थी। 

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