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नया नियम: विक्रेता को मासिक रिटर्न का विवरण छुपाने पर खरीदार को नहीं मिलेगा टैक्स क्रेडिट

नया नियम: विक्रेता को मासिक रिटर्न का विवरण छुपाने पर खरीदार को नहीं मिलेगा टैक्स क्रेडिट

जीएसटी कानून के तहत नए साल से कारोबारियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ पाना और मुश्किल हो जाएगा। 1 जनवरी से नया नियम लागू होने के बाद अगर कोई विक्रेता अपने मासिक रिटर्न में किसी उत्पाद का उल्लेख नहीं करता, तो खरीदार उस उत्पाद पर टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकेगा।

सरकार ने फर्जी बिल और गलत दावों के जरिये होने वाली जीएसटी चोरी पर लगाम कसने के लिए जनवरी, 2022 से कई बदलाव किए हैं। सबसे बड़ा फैसला कारोबारियों की ओर से भरे जाने वाले मासिक रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-1 को लेकर किया है।

इसके तहत किसी कच्चे माल या सेवा की आपूर्ति पर खरीदार को तभी आईटीसी का लाभ मिलेगा, जब विक्रेता ने उत्पाद का विवरण अपने जीएसटीआर-1 फॉर्म में किया है।

इसका मतलब है कि विक्रेता के मासिक रिटर्न में खुलासा करने के बाद ही उस उत्पाद पर खरीदार को आईटीसी का लाभ दिया जाएगा। इसका मकसद फर्जी बिल के जरिये होने वाली जीएसटी चोरी पर लगाम कसना है।

अब किसी कारोबारी को सामान आपूर्ति करने वाले पर भी मासिक बिक्री रिटर्न में सभी विवरण देने का दबाव बढ़ेगा। साथ ही उत्पाद या सेवा की आपूर्ति का स्रोत भी पता चलेगा। जनवरी से जीएसटी आयुक्त किसी भी व्यक्ति से किसी भी मामले पर जानकारी तलब कर सकेंगे। 

साझेदार के सदस्य को किए गए भुगतान पर भी देना होगा जीएसटी  
जनवरी से अगर कोई व्यक्ति अपने साझेदार के बजाए उससे जुड़े किसी सदस्य या संस्था को भी नकद, अतिरिक्त भुगतान या अन्य कीमती वस्तु देता है तो यह कर योग्य आपूर्ति मानी जाएगी। इसी तरह का भुगतान किसी कंपनी को किया जाता है, तो भी वह कर के दायरे में आएगा। इसका मतलब हुआ कि सभी संबंधित सदस्य या संस्था के साथ किया जाने वाला लेनदेन जीएसटी के तहत आएगा।

फैसले के खिलाफ अपील के लिए भरना होगा 25 फीसदी जुर्माना
नए नियम के तहत अगर कोई कारोबारी अपने खिलाफ टैक्स अधिकारी के किसी फैसले को चुनौती देना चाहता है, तो उसे पहले लगाए गए जुर्माने की 25 फीसदी राशि भरनी होगी।

मसलन, गलत भंडारण या परिवहन नियमों का पालन नहीं करने पर कोई उत्पाद सीज किया जाता है और कर अधिकारी उस पर जुर्माना लगाता है तो इस फैसले के खिलाफ अपील करने से पहले संबंधित कारोबारी को जुर्माने की 25 फीसदी राशि का भुगतान करना होगा। इसका मकसद, बेवजह मुकदमेबाजी के कारण जीएसटी वसूली या जुर्माने को अटकाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाना है।

जीएसटीआर1 व 3बी में गड़बड़ी पर बिना नोटिस रिकवरी करेंगे अधिकारी
जनवरी से कारोबारियों को मासिक रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-1 और तिमाही रिटर्न जीएसटीआर 3बी दाखिल करते समय बहुत सावधानी बरतनी होगी। अगर इन दोनों फॉर्म में दी गई जानकारियों में मेल नहीं खाया तो कर अधिकारी बिना किसी नोटिस के सीधे रिकवरी की कार्रवाई शुरू कर सकेंगे। 

अभी तक इन दोनों फॉर्म में कोई गड़बड़ी मिलने पर पहले नोटिस जारी िकया जाता है, उसके बाद रिकवरी शुरू होती है। कर चोरी के लिए जीएसटीआर-1  में ज्यादा उत्पादों की खरीद दिखाते हैं और जीएसटी भुगतान के समय जीएसटीआर-3बी फॉर्म में कुल देनदारी घटा देते हैं। सीबीआईसी ने कहा है कि जीएसटी की धारा 75 की उपधारा 12 में बदलाव किया है। अब स्वत: आकलन में बताई राशि में अंतर मिलेगा तो बिना नोटिस रिकवरी शुरू की जा सकेगी।

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