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दुखद: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की पहली महिला निदेशक खोर्शेद पावरी का 94 साल की उम्र में निधन

पीटीआई, पुणे
Published by: ओम. प्रकाश
Updated Wed, 29 Dec 2021 12:58 AM IST

सार

एनआईवी की तरफ से विज्ञप्ति में कहा गया खुर्शोद एम पावरी एक उत्कृष्ट वायरोलॉजिस्ट थीं। उनकी रुचि के मुख्य क्षेत्रों में ऐसे वायरस शामिल थे जो यकृत और आंतों के संक्रमण का कारण बनते थे।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी
– फोटो : सोशल मीडिया

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पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की पूर्व निदेशक खोर्शेद एम पावरी का सोमवार को निधन हो गया। वह 94 साल की थीं। खोर्शेद एम पावरी एनआईवी की पहली महिला निदेशक थीं। वह साल 1978 से लेकर 1988 तक इस पद पर रहीं। उनके निधन की जानकारी संस्थान की तरफ से दी गई। 

उत्कृष्ट वायरोलॉजिस्ट

एनआईवी की तरफ से विज्ञप्ति में कहा गया खुर्शोद एम पावरी एक उत्कृष्ट वायरोलॉजिस्ट थीं। उनकी रुचि के मुख्य क्षेत्रों में ऐसे वायरस शामिल थे जो यकृत और आंतों के संक्रमण का कारण बनते थे। उन्होंने हेपेटाइटिस ए, बी, और ई वायरस के संचरण को समझने और बच्चों में घातक गैस्ट्रोएंटेराइटिस का कारण बनने वाले एंटरिक वायरस की पहचान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

युवा वैज्ञानिकों की प्रेरणास्रोत

1927 में जन्मी डॉ पावरी समझौता नहीं करने वाले में से एक थीं। हमेशा युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत होने के साथ-साथ अनुसंधान के उच्च मानकों की अपेक्ष करती थीं। विज्ञप्ति में कहा गया उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समितियों में कार्य किया। वह कैबिनेट की वैज्ञानिक समिति और विश्व एड्स फाउंडेशन की भी सदस्य थी

विस्तार

पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की पूर्व निदेशक खोर्शेद एम पावरी का सोमवार को निधन हो गया। वह 94 साल की थीं। खोर्शेद एम पावरी एनआईवी की पहली महिला निदेशक थीं। वह साल 1978 से लेकर 1988 तक इस पद पर रहीं। उनके निधन की जानकारी संस्थान की तरफ से दी गई। 

उत्कृष्ट वायरोलॉजिस्ट

एनआईवी की तरफ से विज्ञप्ति में कहा गया खुर्शोद एम पावरी एक उत्कृष्ट वायरोलॉजिस्ट थीं। उनकी रुचि के मुख्य क्षेत्रों में ऐसे वायरस शामिल थे जो यकृत और आंतों के संक्रमण का कारण बनते थे। उन्होंने हेपेटाइटिस ए, बी, और ई वायरस के संचरण को समझने और बच्चों में घातक गैस्ट्रोएंटेराइटिस का कारण बनने वाले एंटरिक वायरस की पहचान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

युवा वैज्ञानिकों की प्रेरणास्रोत

1927 में जन्मी डॉ पावरी समझौता नहीं करने वाले में से एक थीं। हमेशा युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत होने के साथ-साथ अनुसंधान के उच्च मानकों की अपेक्ष करती थीं। विज्ञप्ति में कहा गया उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समितियों में कार्य किया। वह कैबिनेट की वैज्ञानिक समिति और विश्व एड्स फाउंडेशन की भी सदस्य थी

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