न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 17 Feb 2022 08:35 AM IST
सार
जस्टिस रेखा पल्ली ने उन्हें सर शब्द से संबोधित करने पर आपत्ति जताते हुए कहा- ‘मैं सर नहीं हूं। मैं उम्मीद करती हूं कि आगे से आप इस तरह से संबोधित नहीं करेंगे।’
दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को एक रोचक वाकया हुआ। जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ मामलों की सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान एक केस की सुनवाई के वक्त वकील महोदय उन्हें बार-बार ‘सर’ कह कर संबोधित कर रहे थे। कुछ देर ‘सर-सर’ सुनने के बाद जस्टिस पल्ली ने वकील को टोका और नसीहत दी।
लाइवलॉ की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस रेखा पल्ली ने उन्हें सर शब्द से संबोधित करने पर आपत्ति जताते हुए कहा- ‘मैं सर नहीं हूं। मैं उम्मीद करती हूं कि आगे से आप इस तरह से संबोधित नहीं करेंगे।’ इस पर वकील ने कहा, ‘इस कुर्सी की वजह से वह उन्हें बार-बार सर कह कर संबोधित कर रहे हैं।’
यह सुनने के बाद तो जस्टिस पल्ली और भड़क गईं। उन्होंने युवा वकील से कहा कि कुर्सी की वजह से उन्हें ‘सर’ के रूप में संबोधित करने का बहाना घटिया है, क्योंकि कुर्सी केवल ‘सर’ के लिए नहीं है। यह तो और भी बुरा इसलिए है कि इतने समय बाद भी आप सोचते हैं कि कुर्सी सिर्फ ‘सर’ के लिए है। यदि युवा सदस्य यह फर्क करना बंद नहीं करते हैं, तो हम भविष्य के लिए क्या आशा करेंगे?’
देश में बहुत कम हैं महिला न्यायाधीश
देश की अदालतों में बहुत कम महिला न्यायाधीश हैं। 2021 में इसे लेकर महिला जजों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि अदालतों में ज्यादा संख्या में महिलाओं को न्यायाधीश बनाया जाए। पीआईएल में कहा गया था कि मणिपुर, मेघालय, पटना, त्रिपुरा व उत्तराखंड की हाईकोर्टों में एक भी महिला जज नहीं है, जबकि गुवाहाटी, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर-लद्दाख, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान व सिक्किम हाईकोर्ट में मात्र एक-एक महिला जज है।
विस्तार
दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को एक रोचक वाकया हुआ। जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ मामलों की सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान एक केस की सुनवाई के वक्त वकील महोदय उन्हें बार-बार ‘सर’ कह कर संबोधित कर रहे थे। कुछ देर ‘सर-सर’ सुनने के बाद जस्टिस पल्ली ने वकील को टोका और नसीहत दी।
लाइवलॉ की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस रेखा पल्ली ने उन्हें सर शब्द से संबोधित करने पर आपत्ति जताते हुए कहा- ‘मैं सर नहीं हूं। मैं उम्मीद करती हूं कि आगे से आप इस तरह से संबोधित नहीं करेंगे।’ इस पर वकील ने कहा, ‘इस कुर्सी की वजह से वह उन्हें बार-बार सर कह कर संबोधित कर रहे हैं।’
यह सुनने के बाद तो जस्टिस पल्ली और भड़क गईं। उन्होंने युवा वकील से कहा कि कुर्सी की वजह से उन्हें ‘सर’ के रूप में संबोधित करने का बहाना घटिया है, क्योंकि कुर्सी केवल ‘सर’ के लिए नहीं है। यह तो और भी बुरा इसलिए है कि इतने समय बाद भी आप सोचते हैं कि कुर्सी सिर्फ ‘सर’ के लिए है। यदि युवा सदस्य यह फर्क करना बंद नहीं करते हैं, तो हम भविष्य के लिए क्या आशा करेंगे?’
देश में बहुत कम हैं महिला न्यायाधीश
देश की अदालतों में बहुत कम महिला न्यायाधीश हैं। 2021 में इसे लेकर महिला जजों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि अदालतों में ज्यादा संख्या में महिलाओं को न्यायाधीश बनाया जाए। पीआईएल में कहा गया था कि मणिपुर, मेघालय, पटना, त्रिपुरा व उत्तराखंड की हाईकोर्टों में एक भी महिला जज नहीं है, जबकि गुवाहाटी, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर-लद्दाख, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान व सिक्किम हाईकोर्ट में मात्र एक-एक महिला जज है।
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