सार
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद बंडी संजय कुमार ने राज्यपाल का अभिभाषण नहीं रखने पर मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की आलोचना की। राव के देश में नए संविधान का समर्थन करने के बयान का जिक्र कर उन्होंने ट्वीट किया कि केसीआर पहले ही संकेत दे रहे हैं कि वह पुनर्लिखित संविधान में क्या चाहते हैं?
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विस्तार
इस हफ्ते की शुरुआत में जारी आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा गया था कि बजट सत्र 7 मार्च को शुरू होगा और वित्तमंत्री टी हरीश राव इसी दिन बजट पेश करेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद बंडी संजय कुमार ने राज्यपाल का अभिभाषण नहीं रखने पर मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की आलोचना की।
राव के देश में नए संविधान का समर्थन करने के बयान का जिक्र कर उन्होंने ट्वीट किया कि केसीआर पहले ही संकेत दे रहे हैं कि वह पुनर्लिखित संविधान में क्या चाहते हैं? कोई नियम नहीं, कोई परंपरा नहीं…केवल सनक। वह बजट सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण नहीं रखने के उनके फैसले की निंदा करते हैं। भाजपा सांसद धर्मपुरी अरविंद और अन्य पार्टी नेताओं ने भी राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन का अभिभाषण नहीं रखने की आलोचना की।
वहीं कांग्रेस एमएलसी टी जीवन रेड्डी ने पूछा कि आखिर अक्तूबर 2021 में समाप्त हुए पिछले सत्र का सत्रावसान क्यों नहीं किया गया था? साथ ही उन्होंने कहा कि इसका कहीं जिक्र नहीं है कि राज्यपाल के अभिभाषण की जरूरत नहीं है क्योंकि सदन का सत्रावसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वित्तवर्ष की शुरुआत में राज्यपाल का अभिभाषण में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी होगी।
मंत्री रेड्डी ने कहा, बजट सत्र पिछले सत्र का बचा हिस्सा
भाजपा नेताओं के बयानों पर प्रदेश के विधानसभा मामलों के मंत्री वेमुला प्रशांत रेड्डी ने कहा कि यह बजट सत्र पिछले सत्र का बचा हिस्सा है, इसलिए राज्यपाल का अभिभाषण नहीं रखा गया। संविधानिक प्रावधानों का उल्लेख कर उन्होंने कहा कि जब एक कैलेंडर वर्ष में नया सत्र शुरू होता है तो राज्यपाल का अभिभाषण होता है। पहले भी ऐसे कई मामले हो चुके हैं जब राज्यपाल का अभिभाषण नहीं हुआ। यदि किसी सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है तो राज्यपाल को आमंत्रित करना गलत होगा।
संविधान में बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण होना ही चाहिए का जिक्र नहीं : विशेषज्ञ
पत्रकारिता के प्रोफेसर और पूर्व एमएलसी के नागेश्वर ने कहा कि संविधान में इसका कोई जिक्र नहीं है कि बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से ही होनी चाहिए।
उन्होंने अनुच्छेद 176(1) का जिक्र किया और कहा कि संविधान में कहा गया है कि साल में पहले सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होनी चाहिए लेकिन पिछले सत्र का सत्रावसान ही हुआ था। ऐसे में विधानसभा की बैठक पिछले सत्र के दूसरे चरण में हो रही है। यह नया सत्र नहीं है, ऐसे में राज्यपाल का अभिभाषण जरूरी नहीं है। इस तरह केसीआर सरकार तकनीकी रूप से सही है।
उनका कहना है कि केसीआर एमएलसी के लिए कौशिक रेड्डी की सिफारिश को राज्यपाल द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने से नाराज हैं। वहीं कानून के प्रोफेसर और पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि इस मसले पर प्रदेश सरकार तकनीकी रूप से सही है लेकिन यह बेहतर होता कि राज्यपाल और प्रदेश सरकार एक ही मत के हों।