वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Wed, 23 Mar 2022 04:24 PM IST
सार
पिछले एक दशक में चीन ने श्रीलंका को पांच बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज दिया है। ये कर्ज राजमार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डा और ताप बिजली संयंत्र के निर्माण के लिए दिए गए। अब इन कर्जों को चुकाने का समय करीब आ गया है। इसे देखते हुए पिछले जनवरी में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने चीन के विदेश मंत्री से कर्ज चुकाने की अवधि फिर से तय करने की गुजारिश की थी…
देश में बढ़ती आर्थिक मुसीबतों के बीच श्रीलंका सरकार हर संभव दरवाजे पर हाथ फैला रही है। पिछले हफ्ते श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भारत की यात्रा की थी। इस दौरान भारत सरकार ने श्रीलंका को एक बिलियन डॉलर का कर्ज देने का एलान किया। अब खबर है कि चीन श्रीलंका को 1.5 बिलियन डॉलर नया कर्ज देने पर विचार कर रहा है। इस बारे में जल्द फैसला होने की संभावना है। इस कर्ज के लिए अनुरोध श्रीलंका सरकार ने किया है।
देश में आर्थिक संकट का हाल यह है कि चीजों के लिए लंबी कतारों में लगे लोगों की मौत होने की खबर आ रही है। पिछले हफ्ते दो लोगों की इस हालत में मौत हो गई। उधर कॉपियों की किल्लत के कारण श्रीलंका सरकार को छात्रों की कुछ परीक्षाओं को रद्द करने का एलान करना पड़ा। विदेशी मुद्रा के संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए जरूरी चीजों का आयात करना बेहद मुश्किल हो गया है। उसका बहुत खराब असर देश के आम लोगों पर पड़ रहा है।
चीन ने की 50 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की पेशकश
इसी बीच कोलंबो स्थित चीन के राजदूत ची झेनहोंग ने सोमवार को बताया कि चाइना डेवलपमेंट बैंक ने श्रीलंका को 50 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की पेशकश की है। इसके अलावा एक बिलियन डॉलर के कर्ज के श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर चीन विचार कर रहा है।
जानकारों के मुताबिक श्रीलंका को इस साल लगभग चार बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है। जबकि फरवरी के अंत तक उसके विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 2.31 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा थी। श्रीलंका के एक अरब बिलियन डॉलर के सॉवरेन बॉन्ड इस साल जुलाई में मैच्योर होने वाले हैं। यानी इतनी रकम का उसे बॉन्ड धारकों को भुगतान करना होगा।
चीन श्रीलंका के लिए चौथा सबसे बड़ा कर्जदाता
राजदूत ची से पूछा गया कि क्या श्रीलंका की इस विकट स्थिति को देखते हुए चीन अपने कर्ज को चुकाने की समयसीमा में राहत देने पर विचार कर रहा है। उस पर ची ने कहा- ‘हमारा अंतिम मकसद समस्या को हल करना है। लेकिन ऐसा करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं।’ चीन श्रीलंका के लिए चौथा सबसे बड़ा कर्जदाता है। पहले तीन नंबर पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान, एशियन डेवलपमेंट बैंक, और जापान हैं।
पिछले एक दशक में चीन ने श्रीलंका को पांच बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज दिया है। ये कर्ज राजमार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डा और ताप बिजली संयंत्र के निर्माण के लिए दिए गए। अब इन कर्जों को चुकाने का समय करीब आ गया है। इसे देखते हुए पिछले जनवरी में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने चीन के विदेश मंत्री से कर्ज चुकाने की अवधि फिर से तय करने की गुजारिश की थी। तब वांग श्रीलंका की यात्रा पर आए थे।
श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने मीडिया को यह जानकारी दी है कि चीन की 40 से 50 करोड़ डॉलर की रकम इस साल श्रीलंका को चुकानी है। इसके अलावा आयात की कीमत चुकाने का बोझ लगातार बना हुआ है। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए संभवतया श्रीलंका को दूसरे स्रोतों से कर्ज लेने होंगे। राष्ट्रपति राजपक्षे ने पिछले हफ्ते कहा था कि श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मदद से आर्थिक संकट को हल करने पर विचार कर रहा है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इस बीच वह दूसरे स्रोतों से भी कर्ज लेने के प्रयास में है।
विस्तार
देश में बढ़ती आर्थिक मुसीबतों के बीच श्रीलंका सरकार हर संभव दरवाजे पर हाथ फैला रही है। पिछले हफ्ते श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भारत की यात्रा की थी। इस दौरान भारत सरकार ने श्रीलंका को एक बिलियन डॉलर का कर्ज देने का एलान किया। अब खबर है कि चीन श्रीलंका को 1.5 बिलियन डॉलर नया कर्ज देने पर विचार कर रहा है। इस बारे में जल्द फैसला होने की संभावना है। इस कर्ज के लिए अनुरोध श्रीलंका सरकार ने किया है।
देश में आर्थिक संकट का हाल यह है कि चीजों के लिए लंबी कतारों में लगे लोगों की मौत होने की खबर आ रही है। पिछले हफ्ते दो लोगों की इस हालत में मौत हो गई। उधर कॉपियों की किल्लत के कारण श्रीलंका सरकार को छात्रों की कुछ परीक्षाओं को रद्द करने का एलान करना पड़ा। विदेशी मुद्रा के संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए जरूरी चीजों का आयात करना बेहद मुश्किल हो गया है। उसका बहुत खराब असर देश के आम लोगों पर पड़ रहा है।
चीन ने की 50 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की पेशकश
इसी बीच कोलंबो स्थित चीन के राजदूत ची झेनहोंग ने सोमवार को बताया कि चाइना डेवलपमेंट बैंक ने श्रीलंका को 50 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की पेशकश की है। इसके अलावा एक बिलियन डॉलर के कर्ज के श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर चीन विचार कर रहा है।
जानकारों के मुताबिक श्रीलंका को इस साल लगभग चार बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है। जबकि फरवरी के अंत तक उसके विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 2.31 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा थी। श्रीलंका के एक अरब बिलियन डॉलर के सॉवरेन बॉन्ड इस साल जुलाई में मैच्योर होने वाले हैं। यानी इतनी रकम का उसे बॉन्ड धारकों को भुगतान करना होगा।
चीन श्रीलंका के लिए चौथा सबसे बड़ा कर्जदाता
राजदूत ची से पूछा गया कि क्या श्रीलंका की इस विकट स्थिति को देखते हुए चीन अपने कर्ज को चुकाने की समयसीमा में राहत देने पर विचार कर रहा है। उस पर ची ने कहा- ‘हमारा अंतिम मकसद समस्या को हल करना है। लेकिन ऐसा करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं।’ चीन श्रीलंका के लिए चौथा सबसे बड़ा कर्जदाता है। पहले तीन नंबर पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान, एशियन डेवलपमेंट बैंक, और जापान हैं।
पिछले एक दशक में चीन ने श्रीलंका को पांच बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज दिया है। ये कर्ज राजमार्ग, बंदरगाह, हवाई अड्डा और ताप बिजली संयंत्र के निर्माण के लिए दिए गए। अब इन कर्जों को चुकाने का समय करीब आ गया है। इसे देखते हुए पिछले जनवरी में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने चीन के विदेश मंत्री से कर्ज चुकाने की अवधि फिर से तय करने की गुजारिश की थी। तब वांग श्रीलंका की यात्रा पर आए थे।
श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने मीडिया को यह जानकारी दी है कि चीन की 40 से 50 करोड़ डॉलर की रकम इस साल श्रीलंका को चुकानी है। इसके अलावा आयात की कीमत चुकाने का बोझ लगातार बना हुआ है। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए संभवतया श्रीलंका को दूसरे स्रोतों से कर्ज लेने होंगे। राष्ट्रपति राजपक्षे ने पिछले हफ्ते कहा था कि श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मदद से आर्थिक संकट को हल करने पर विचार कर रहा है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इस बीच वह दूसरे स्रोतों से भी कर्ज लेने के प्रयास में है।
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