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डूरंड लाइन पर बाड़: इस ‘कूटनीतिक जीत’ से अब लहूलुहान हो रहा है पाकिस्तान

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 31 Jan 2022 07:43 PM IST

सार

अमेरिकी थिंक टैंक यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) ने बीते हफ्ते अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बाड़ लगाने के सवाल पर तालिबान और पाकिस्तान सरकार के रिश्ते बेहद कड़वे हो गए हैं। इससे टीटीपी को भी अपने हमले तेज करने का मौका मिला है…

डूरंड लाइन पर पाकिस्तान की फेंसिंग
– फोटो : Agency (File Photo)

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पाकिस्तान में जारी आतंकवादी हमलों के बीच अफगान तालिबान की भूमिका पर देश में संदेह गहराता जा रहा है। ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर बाड़ लगाने के मुद्दे पर तालिबान की नाराजगी दूर नहीं हुई है। इसके पहले पाकिस्तान सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि इस मसले पर तालिबान ने अपनी सहमति दे दी है। लेकिन अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि नाराज अफगान तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को अफगानिस्तान की जमीन पर अपनी गतिविधियां चलाने की खुली छूट दे दी है। मुख्य तौर पर टीटीपी को ही पाकिस्तान में होने वाले आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा को डूरंड लाइन कहा जाता है। बीते दिसंबर में बाड़ लगाने के दौरान अफगानिस्तान नंगरहार प्रांत में पाकिस्तानी सैनिकों और तालिबान लड़ाकों के बीच झगड़ा हुआ था। उसके बाद इस महीने अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत से लगी डूरंड लाइन पर विवाद हुआ। अब अफगान सूत्रों ने आरोप लगाया है कि कई जगहों पर पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान की सीमा के 15 किलोमीटर तक अंदर जाकर बाड़ लगा दी है।

तालिबान ने किया अनसुना

अमेरिकी थिंक टैंक यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) ने बीते हफ्ते अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बाड़ लगाने के सवाल पर तालिबान और पाकिस्तान सरकार के रिश्ते बेहद कड़वे हो गए हैं। इससे टीटीपी को भी अपने हमले तेज करने का मौका मिला है। इस रिपोर्ट को जारी करने के मौके पर हुई एक चर्चा के दौरान यूएसआईपी से जुड़े विशेषज्ञ असफंदर मीर और पहले पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत रह चुके रिचर्ड ओलसन ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने राय पर सहमति जताई कि तालिबान ने टीटीपी पर लगाम लगाने की पाकिस्तान की मांग को लगभग पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है।

बाद में असफंदर मीर ने वेबसाइट एशिया टाइम्स से बातचीत में कहा कि टीटीपी को तालिबान के जारी समर्थन के कारण फिलहाल पाकिस्तान और तालिबान के संबंध कटु बने रहेंगे। उन्होंने कहा- ‘मुझे संबंध सुधारने की दिशा में निकट भविष्य में सफलता मिलने की संभावना नजर नहीं आती।’

बाड़ लगाने में सफल हुई पाकिस्तानी सेना

यूएसआईपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाड़ लगाने से संबंधित अपने मकसद में पाकिस्तान की सेना सफल हो गई है। बाड़ लगाने पर 53 करोड़ 20 लाख डॉलर का खर्च आया है। डूरंड लाइन पर बाड़ लगाना पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर बाजवा की खास योजना का हिस्सा था, जिस पर आने वाले खर्च की पाकिस्तान ने चिंता नहीं की।

असफंदर मीर के मुताबिक बाड़ लगाने को लेकर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के दो मकसद रहे हैं। पहला तो यह कि पाकिस्तान सेना दोनों देशों के बीच लोगों और सामानों की आवाजाही की ठीक से जांच कर सके। दूसरा, इसके जरिए उसने व्यावहारिक रूप से सीमा विवाद को अपनी शर्तों के मुताबिक हल कर लिया है। अब अफगानिस्तान के दावों के मुताबिक इसमें कोई हेरफेर करना मुश्किल होगा।

मीर ने एशिया टाइम्स से कहा- ‘बाड़ लगा कर लंबी कूटनीतिक वार्ताओं के जरिए सीमा तय करने की प्रक्रिया को पाकिस्तान ने अपनी तरफ से अचानक खत्म कर दिया है। इसे वह अपनी कूटनीतिक विजय मान रहा है। लेकिन ये देखने की बात होगी कि यह जीत कितनी टिकाऊ होती है।’

विस्तार

पाकिस्तान में जारी आतंकवादी हमलों के बीच अफगान तालिबान की भूमिका पर देश में संदेह गहराता जा रहा है। ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर बाड़ लगाने के मुद्दे पर तालिबान की नाराजगी दूर नहीं हुई है। इसके पहले पाकिस्तान सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि इस मसले पर तालिबान ने अपनी सहमति दे दी है। लेकिन अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि नाराज अफगान तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को अफगानिस्तान की जमीन पर अपनी गतिविधियां चलाने की खुली छूट दे दी है। मुख्य तौर पर टीटीपी को ही पाकिस्तान में होने वाले आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा को डूरंड लाइन कहा जाता है। बीते दिसंबर में बाड़ लगाने के दौरान अफगानिस्तान नंगरहार प्रांत में पाकिस्तानी सैनिकों और तालिबान लड़ाकों के बीच झगड़ा हुआ था। उसके बाद इस महीने अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत से लगी डूरंड लाइन पर विवाद हुआ। अब अफगान सूत्रों ने आरोप लगाया है कि कई जगहों पर पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान की सीमा के 15 किलोमीटर तक अंदर जाकर बाड़ लगा दी है।

तालिबान ने किया अनसुना

अमेरिकी थिंक टैंक यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) ने बीते हफ्ते अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बाड़ लगाने के सवाल पर तालिबान और पाकिस्तान सरकार के रिश्ते बेहद कड़वे हो गए हैं। इससे टीटीपी को भी अपने हमले तेज करने का मौका मिला है। इस रिपोर्ट को जारी करने के मौके पर हुई एक चर्चा के दौरान यूएसआईपी से जुड़े विशेषज्ञ असफंदर मीर और पहले पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत रह चुके रिचर्ड ओलसन ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने राय पर सहमति जताई कि तालिबान ने टीटीपी पर लगाम लगाने की पाकिस्तान की मांग को लगभग पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है।

बाद में असफंदर मीर ने वेबसाइट एशिया टाइम्स से बातचीत में कहा कि टीटीपी को तालिबान के जारी समर्थन के कारण फिलहाल पाकिस्तान और तालिबान के संबंध कटु बने रहेंगे। उन्होंने कहा- ‘मुझे संबंध सुधारने की दिशा में निकट भविष्य में सफलता मिलने की संभावना नजर नहीं आती।’

बाड़ लगाने में सफल हुई पाकिस्तानी सेना

यूएसआईपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाड़ लगाने से संबंधित अपने मकसद में पाकिस्तान की सेना सफल हो गई है। बाड़ लगाने पर 53 करोड़ 20 लाख डॉलर का खर्च आया है। डूरंड लाइन पर बाड़ लगाना पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर बाजवा की खास योजना का हिस्सा था, जिस पर आने वाले खर्च की पाकिस्तान ने चिंता नहीं की।

असफंदर मीर के मुताबिक बाड़ लगाने को लेकर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के दो मकसद रहे हैं। पहला तो यह कि पाकिस्तान सेना दोनों देशों के बीच लोगों और सामानों की आवाजाही की ठीक से जांच कर सके। दूसरा, इसके जरिए उसने व्यावहारिक रूप से सीमा विवाद को अपनी शर्तों के मुताबिक हल कर लिया है। अब अफगानिस्तान के दावों के मुताबिक इसमें कोई हेरफेर करना मुश्किल होगा।

मीर ने एशिया टाइम्स से कहा- ‘बाड़ लगा कर लंबी कूटनीतिक वार्ताओं के जरिए सीमा तय करने की प्रक्रिया को पाकिस्तान ने अपनी तरफ से अचानक खत्म कर दिया है। इसे वह अपनी कूटनीतिक विजय मान रहा है। लेकिन ये देखने की बात होगी कि यह जीत कितनी टिकाऊ होती है।’

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