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बजट से उम्मीदें: वर्क फ्रॉम होम करने वालों को मिल सकता है फायदा तो टैक्स छूट में भी इजाफा की संभावना, पढ़ें कुछ खास खबर

बजट से उम्मीदें: वर्क फ्रॉम होम करने वालों को मिल सकता है फायदा तो टैक्स छूट में भी इजाफा की संभावना, पढ़ें कुछ खास खबर

सार

कुछ शर्तों के साथ होम लोन पर टैक्स छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन पर मिल रही छूट को नई व्यवस्था में शामिल किया जा सकता है। 

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नए स्लैब में मिल सकती है छूट 
नया टैक्स स्लैब व्यक्तिगत करदाताओं को लुभाने में नाकाम रहा। इस स्लैब से महज 5 फीसदी यानी 29.4 लाख करदाता ही जुड़े, जबकि आकलन वर्ष 202122 में 5.89 करोड़ करदाताओं ने रिटर्न भरे। इसमें छूट के विकल्पों को खत्म किए जाने से लोगों को बचत पर असर पड़ा। ऐसे में सरकार इस बजट में नए स्लैब को और आकर्षक बना सकती है। 

  • कुछ शर्तों के साथ होम लोन पर टैक्स छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन पर मिल रही छूट को नई व्यवस्था में शामिल किया जा सकता है। 
  • उच्च टैक्स स्लैब की लिमिट को भी 15 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जा सकता है। 
बेसिक लिमिट में इजाफा 
मौजूदा समय में टैक्स छूट की बेसिक लिमिट 2.5 लाख रुपये है। पिछले 8 साल से इसमें इजाफा नहीं हुआ है। आखिरी बार लिमिट 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई थी। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस बार बेसिक लिमिट बढ़ाकर 3 लाख रुपये की जा सकती है। 

80 सी : 3 लाख तक सीमा
2014 में आयकर अधिनियम के तहत 80 सी के तहत मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और बढ़ती आय को देखते हुए इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है। बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि 80 सों में निवेश, बीमा और अन्य खर्च पर छूट दी जाती है। इसे सिर्फ निवेश तक सीमित रखा जाना चाहिए, जिससे लोगों को निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

वर्क फ्रॉम होम : बढ़ सकती है स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा 
वर्क फ्रॉम होम करने वालों को भी बजट से उम्मीद है। पर से काम करने की वजह से कर्मचारियों का इंटरनेट, फर्नीचर, मोबाइल, एसी, बिजली इलेक्ट्रॉनिक एसेसरीज पर अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। उन्हें अपनी सुरक्षा पर भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। 
– विशेषज्ञों का मानना है कि इन अतिरिक्त खर्चों को देखते हुए सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर सकती है। 

बीमा : टर्म इंश्योरेंस को अलग करने की तैयारी 
टर्म बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए इसे 80 सी की सूची से बाहर किया जा सकता है। साथ ही 50,000 रुपये के प्रीमियम पर अलग से छूट मिल सकती है। 
-80 डी के तहत परिवार के समस्य सदस्यों के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 25000 रुपये की छूट को बढ़ाकर 50,000-75,000 रुपये किया जा सकता है। 
-स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी की दर को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जा सकता है।

तीन साल की एफडी पर टैक्स नहीं 
बैंकों ने ब्याज दरें काफी कम कर दी है, जबकि पीपीएफ जैसे उत्पाद पर ब्याज दर एफडी से ज्यादा मिल रहा है। इससे लोग एफडी में कम निवेश कर रहे हैं। लोगों को एफड़ी की ओर आकर्षित करने के लिए इस बजट में तीन साल के लॉक-इन परियड वाले एफडी पर भी छूट मिल सकती है। अभी पांच साल की एफडी पर टैक्स छूट है।

पीएफ: पांच लाख तक जमा पर राहत 
 निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का पूरा पीएफ अंशदान उनके कॉस्ट टू कंपनी (सीटीसी) का हिस्सा होता है। इसमें नियोक्ता की ओर से जमा किया जाने वाला पैसा भी शामिल रहता है। इसलिए निजी क्षेत्र के वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए पीएफ पर मिलने वाली टैक्स छूट सीमा को 2.5 लाख से दोगुना बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है।

विस्तार

नए स्लैब में मिल सकती है छूट 

नया टैक्स स्लैब व्यक्तिगत करदाताओं को लुभाने में नाकाम रहा। इस स्लैब से महज 5 फीसदी यानी 29.4 लाख करदाता ही जुड़े, जबकि आकलन वर्ष 202122 में 5.89 करोड़ करदाताओं ने रिटर्न भरे। इसमें छूट के विकल्पों को खत्म किए जाने से लोगों को बचत पर असर पड़ा। ऐसे में सरकार इस बजट में नए स्लैब को और आकर्षक बना सकती है। 

  • कुछ शर्तों के साथ होम लोन पर टैक्स छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन पर मिल रही छूट को नई व्यवस्था में शामिल किया जा सकता है। 
  • उच्च टैक्स स्लैब की लिमिट को भी 15 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जा सकता है। 

बेसिक लिमिट में इजाफा 

मौजूदा समय में टैक्स छूट की बेसिक लिमिट 2.5 लाख रुपये है। पिछले 8 साल से इसमें इजाफा नहीं हुआ है। आखिरी बार लिमिट 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई थी। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस बार बेसिक लिमिट बढ़ाकर 3 लाख रुपये की जा सकती है। 

80 सी : 3 लाख तक सीमा

2014 में आयकर अधिनियम के तहत 80 सी के तहत मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और बढ़ती आय को देखते हुए इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है। बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि 80 सों में निवेश, बीमा और अन्य खर्च पर छूट दी जाती है। इसे सिर्फ निवेश तक सीमित रखा जाना चाहिए, जिससे लोगों को निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

वर्क फ्रॉम होम : बढ़ सकती है स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा 

वर्क फ्रॉम होम करने वालों को भी बजट से उम्मीद है। पर से काम करने की वजह से कर्मचारियों का इंटरनेट, फर्नीचर, मोबाइल, एसी, बिजली इलेक्ट्रॉनिक एसेसरीज पर अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। उन्हें अपनी सुरक्षा पर भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। 

– विशेषज्ञों का मानना है कि इन अतिरिक्त खर्चों को देखते हुए सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर सकती है। 

बीमा : टर्म इंश्योरेंस को अलग करने की तैयारी 

टर्म बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए इसे 80 सी की सूची से बाहर किया जा सकता है। साथ ही 50,000 रुपये के प्रीमियम पर अलग से छूट मिल सकती है। 

-80 डी के तहत परिवार के समस्य सदस्यों के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 25000 रुपये की छूट को बढ़ाकर 50,000-75,000 रुपये किया जा सकता है। 

-स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी की दर को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जा सकता है।

तीन साल की एफडी पर टैक्स नहीं 

बैंकों ने ब्याज दरें काफी कम कर दी है, जबकि पीपीएफ जैसे उत्पाद पर ब्याज दर एफडी से ज्यादा मिल रहा है। इससे लोग एफडी में कम निवेश कर रहे हैं। लोगों को एफड़ी की ओर आकर्षित करने के लिए इस बजट में तीन साल के लॉक-इन परियड वाले एफडी पर भी छूट मिल सकती है। अभी पांच साल की एफडी पर टैक्स छूट है।

पीएफ: पांच लाख तक जमा पर राहत 

 निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का पूरा पीएफ अंशदान उनके कॉस्ट टू कंपनी (सीटीसी) का हिस्सा होता है। इसमें नियोक्ता की ओर से जमा किया जाने वाला पैसा भी शामिल रहता है। इसलिए निजी क्षेत्र के वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए पीएफ पर मिलने वाली टैक्स छूट सीमा को 2.5 लाख से दोगुना बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है।

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