वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 26 Jan 2022 09:40 PM IST
सार
बताया गया है कि अमेरिकी राजनयिकों ने चीन में लगे प्रतिबंधों के मद्देनजर सरकार के सामने चिंता जाहिर की थी। इसी को लेकर अब चीन की तरफ से अमेरिका पर पलटवार किया गया है।
जिनपिंग और बाइडन
– फोटो : Amar ujala
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विस्तार
दुनियाभर में ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच कोरोना की मार चीन के बीजिंग तक पहुंच गई है, जहां फरवरी में शीतकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है। संक्रमण की इस रफ्तार रोकने के लिए चीन ने बेहद सख्त प्रतिबंध लगाने भी शुरू कर दिए हैं, जिस पर ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले देशों ने नाराजगी जाहिर की है। अब चीन स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपनी सरकार से अपील की है कि वह बीजिंग में लग रहे सख्त प्रतिबंधों को देखते हुए राजनयिकों को मर्जी से देश छोड़ने की इजाजत दे, ताकि वे अपने हिसाब से परिवारों को खुले माहौल में ले जा सकें।
बताया गया है कि अमेरिकी राजनयिकों ने चीन में लगे प्रतिबंधों के मद्देनजर सरकार के सामने चिंता जाहिर की थी। इसी को लेकर अब चीन की तरफ से अमेरिका पर पलटवार किया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर गंभीर चिंता और असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि यह एक भ्रमित करने वाला फैसला है, जिसकी वजह से अमेरिकी दूतावास में रहने वाले परिवारों पर संक्रमण की चपेट में आने का खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से जब इस मामले पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चीन की कोरोना विरोधी नीति अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत है। सभी विदेशी राजनयिक भी इसी के अंतर्गत आते हैं। लिजियान ने कहा कि चीन इस वक्त बिना किसी शक के दुनिया का सबसे सुरक्षित देश है। ऐसे में एक सुरक्षित जगह से उन्हें बाहर ले जाना राजनयिकों को सिर्फ खतरे में डालेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह फैसला भ्रमित करने वाला और बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन ने इस फैसले के खिलाफ अमेरिका से असंतुष्टि जाहिर की है।