videsh

छठी इंद्री : कम उम्र के बच्चे सटीकता से पकड़ लेते हैं मास्क के पीछे की छिपी भावनाएं

अमर उजाला रिसर्च डेस्क, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Fri, 19 Nov 2021 06:14 AM IST

सार

स्कूली बच्चों को लेकर किए गए एक शोध में मास्क से मानसिक विकास प्रभावित होने की धारणा गलत निकली है। यह अध्ययन जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित किया गया है। शोध में प्री स्कूल और नर्सरी कक्षाओं के बच्चों को शामिल किया गया था।

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : पेक्सेल्स

ख़बर सुनें

महामारी से बचाव के लिए पहने जा रहे मास्क के कारण वयस्कों को आपसी भावनाएं पहचानने में भले ही दिक्कत हो रही हो लेकिन छोटे बच्चों के साथ ऐसा नहीं है। एक शोध के मुताबिक, प्री स्कूल और नर्सरी कक्षाओं के बच्चों ने यह आसानी से पता लगा लिया कि मास्क पहने लोग कैसा महसूस कर रहे हैं।

उनकी भावनाएं पहचानने की यह क्षमता बिना मास्क वाली परिस्थिति जितनी ही सटीक रही। जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस परीक्षण में बच्चों ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया कि मास्क ने स्कूलों में उनका मानसिक विकास रोक दिया है।

300 बच्चों को 90 तस्वीरें दिखाकर लगाया पता
अध्ययन में स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल लाउसाने के शोधकर्ताओं ने तीन से छह साल के 300 बच्चों को अभिनेताओं की 90 तस्वीरें दिखाई थीं, जिनमें उन्होंने खुशी, गुस्सा और दुख जाहिर किया था। तस्वीरों में अभिनेताओं ने मास्क पहन रखा था।

67 फीसदी सही जवाब
बच्चों से संबंधित इमोटिकॉन के जरिये तस्वीर में छिपी भावना पहचानने को कहा गया। इस पर उन्होंने शोधकर्ताओं को अधिकांश सही जवाब दिए। बिना मास्क वाली तस्वीरों के उन्होंने 70 फीसद तो मास्क वाली तस्वीरों में यह आंकड़ा 67 फीसदी रहा।

अध्ययन से साफ हुआ है कि छोटे बच्चे मास्क के पीछे छिपी लोगों की भावनाओं का सही अनुमान लगा सकते हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि मास्क से उनका विकास प्रभावित नहीं होने वाला। -एश्ली रुबा, बाल मनोविज्ञानी, विस्कॉन्सिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी

विस्तार

महामारी से बचाव के लिए पहने जा रहे मास्क के कारण वयस्कों को आपसी भावनाएं पहचानने में भले ही दिक्कत हो रही हो लेकिन छोटे बच्चों के साथ ऐसा नहीं है। एक शोध के मुताबिक, प्री स्कूल और नर्सरी कक्षाओं के बच्चों ने यह आसानी से पता लगा लिया कि मास्क पहने लोग कैसा महसूस कर रहे हैं।

उनकी भावनाएं पहचानने की यह क्षमता बिना मास्क वाली परिस्थिति जितनी ही सटीक रही। जामा पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस परीक्षण में बच्चों ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया कि मास्क ने स्कूलों में उनका मानसिक विकास रोक दिया है।

300 बच्चों को 90 तस्वीरें दिखाकर लगाया पता

अध्ययन में स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल लाउसाने के शोधकर्ताओं ने तीन से छह साल के 300 बच्चों को अभिनेताओं की 90 तस्वीरें दिखाई थीं, जिनमें उन्होंने खुशी, गुस्सा और दुख जाहिर किया था। तस्वीरों में अभिनेताओं ने मास्क पहन रखा था।

67 फीसदी सही जवाब

बच्चों से संबंधित इमोटिकॉन के जरिये तस्वीर में छिपी भावना पहचानने को कहा गया। इस पर उन्होंने शोधकर्ताओं को अधिकांश सही जवाब दिए। बिना मास्क वाली तस्वीरों के उन्होंने 70 फीसद तो मास्क वाली तस्वीरों में यह आंकड़ा 67 फीसदी रहा।

अध्ययन से साफ हुआ है कि छोटे बच्चे मास्क के पीछे छिपी लोगों की भावनाओं का सही अनुमान लगा सकते हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि मास्क से उनका विकास प्रभावित नहीं होने वाला। -एश्ली रुबा, बाल मनोविज्ञानी, विस्कॉन्सिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

19
videsh

विवाद: निंदा प्रस्ताव के बावजूद नहीं माने ट्रंप के सहयोगी पॉल गोसर, एक बार फिर से कर दिया विवादित वीडियो को ट्वीट

18
Entertainment

शर्त लगा लीजिए: अमिताभ बच्चन की इन फिल्मों के नाम भी नहीं सुने होंगे आपने, देखना तो बहुत दूर की बात है

To Top
%d bloggers like this: