आशीष तिवारी, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sun, 06 Feb 2022 10:38 PM IST
सार
दलित चेहरे को आगे कर कांग्रेस ने न सिर्फ 2022 के चुनाव बल्कि 2024 के चुनावों पर निशाना साधा है।
आखिरकार पंजाब में कांग्रेस ने पहले दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को दोबारा अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया। ऐसा करके कांग्रेस ने इस महीने होने वाले न सिर्फ पंजाब बल्कि उत्तर प्रदेश समेत अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की पूरी पिच तैयार करने की कोशिश की है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि चन्नी को चेहरा तो बनाया ही जाना था। क्योंकि ऐसा ना करके कांग्रेस कोई बहुत बड़ी राजनैतिक भूल नहीं करना चाहती थी। इसके अलावा कांग्रेस आने वाले चुनावों में बड़ा संदेश भी देना चाहती थी। भारतीय जनता पार्टी की इमोशनल ग्राउंड पर तैयार की जाने वाली स्ट्रेटजी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने गरीब और दलित का कार्ड भी खेला है।
पंजाब में सबसे ज्यादा दलित आबादी है लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी से पहले तक वहां पर कोई भी दलित चेहरा मुख्यमंत्री नहीं बना था। ऐसे में चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाकर दलितों की राजनीति में एक बड़ा दांव खेला था। चन्नी के सहारे कांग्रेस ने 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनावों में भी बढ़त बनाने के लिए दांव लगाया है। उत्तर प्रदेश में राजनीति के जानकार चंद्रभान मौर्य कहते हैं की कभी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक दलित ही हुआ करते थे लेकिन कमजोर नीतियों के चलते वह उससे छिटक कर बहुजन समाज पार्टी के खाते में चला गया। मौर्य कहते हैं कि इस विधानसभा के चुनाव में तो चन्नी के दलित चेहरा घोषित किए जाने का असर उत्तर प्रदेश में बहुत नहीं पड़ने वाला। लेकिन यह निश्चित है कि 2024 में लोकसभा के चुनाव तक कांग्रेस दलित राजनीति की अपनी पिच बहुत मजबूत करने की ओर बढ़ेगी।
चरणजीत सिंह चन्नी दे सकते हैं दूरगामी सकारात्मक परिणाम
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता रहे प्रोफेसर चतुर्भुज शर्मा कहते हैं अगर आप कांग्रेस की दलित राजनीति को समझें तो पाएंगे कि शुरुआत से ही कांग्रेस का फोकस दलितों पर रहा है। लेकिन बीच में लचर नीतियों के चलते दलित समुदाय कांग्रेस से अमूमन सभी राज्यों से छिटकता रहा। वो कहते हैं पंजाब में लंबे समय तक कांग्रेस का शासन तो रहा लेकिन कांग्रेस ने कभी दलित चेहरे को आगे नहीं किया। अब जब चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने आगे किया है तो उसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम भी कांग्रेस को दिख रहे हैं। वो कहते हैं हैं कि अगले कुछ दिनों में होने वाले विधानसभा के चुनावों में पंजाब को छोड़कर कांग्रेस का यह दलित प्रेम उनको उत्तर प्रदेश में सत्ता में तो वापिस नहीं लाने वाला लेकिन राजनीति में बहुत कुछ परशेप्शन पर निर्भर करता है। इसके लिए कांग्रेस अभी से रणनीतियां बनाने लगी है।
कई राज्यों के चुनाव पर पड़ेगा असर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से उत्तर प्रदेश में कोई बहुत आमूलचूल परिवर्तन तो नहीं होने वाला है लेकिन अगले साल होने वाले राज्यों में खासतौर से कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी एक संदेश देगी। रणनीति बनाने वाली कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उनका फोकस सिर्फ पंजाब और उत्तर प्रदेश ही नहीं है बल्कि आने वाले दिनों के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ लोकसभा के चुनाव भी हैं। वह कहते हैं कि पंजाब में दलित चेहरे को आगे रखकर लड़े जाने वाले चुनाव का असर सिर्फ कर्नाटक में होने वाले विधानसभा के चुनावों में ही नहीं पड़ेगा बल्कि उसका असर महाराष्ट्र में भी पड़ेगा। वह कहते हैं कि पंजाब के बाद कर्नाटक में दलितों की अच्छी आबादी है। महाराष्ट्र में भी दलितों की बड़ी आबादी है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और उत्तर भारत के अधिकांश राज्य जहां पर दलितों की बड़ी आबादी है उसमें निश्चित तौर पर एक व्यापक संदेश जाएगा।
पुराना वोटबैंक हासिल करने के लिए अपनानी होगी रणनीति
राजनीतिक जानकार दिलबाग चंदेल कहते हैं कि कांग्रेस को अगर अपना पुराना वोट बैंक हासिल करना है तो उसको निश्चित तौर पर ऐसी रणनीति ही अपनानी होगी। वो कहते हैं कि पंजाब में जिस तरीके का फैसला मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर कांग्रेस ने लिया व दूरगामी परिणाम देने वाला है। चंदेल कहते हैं कि देश में सब राज्यों में जातिगत समीकरणों के आधार पर ही चुनाव लड़े जाते हैं। लेकिन जातिगत समीकरणों के अलावा और बहुत से ऐसे मुद्दे होते हैं जो साधने बेहद जरूरी होते हैं। वह कहते हैं 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को निश्चित तौर पर जातिगत समीकरणों को साधने के साथ-सथ दूसरे मुद्दों को भी प्रमुखता से आगे रखना होगा। चंदेल स्पष्ट रूप से कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी जब चुनाव के मैदान में होती है तो वह गरीब पिछड़े और सोसाइटी में इमोशनल मुद्दों को सामने लेकर आती है जहां पर कांग्रेस आज के वक्त मात खा रही है। वो कहते हैं पंजाब में चन्नी को सामने लाकर कांग्रेस ने एक तरह से भारतीय जनता पार्टी की इमोशनल ग्राउंड वाली स्ट्रेटजी का मुकाबला करने के लिए प्लेटफार्म तैयार कर लिया है। अब अगर कांग्रेस इसका बेहतर तरीके से इस्तेमाल करती है तो आने वाले दिनों में वह लड़ाई में जल्दी मैदान में आ सकेगी।
विस्तार
आखिरकार पंजाब में कांग्रेस ने पहले दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को दोबारा अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया। ऐसा करके कांग्रेस ने इस महीने होने वाले न सिर्फ पंजाब बल्कि उत्तर प्रदेश समेत अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की पूरी पिच तैयार करने की कोशिश की है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि चन्नी को चेहरा तो बनाया ही जाना था। क्योंकि ऐसा ना करके कांग्रेस कोई बहुत बड़ी राजनैतिक भूल नहीं करना चाहती थी। इसके अलावा कांग्रेस आने वाले चुनावों में बड़ा संदेश भी देना चाहती थी। भारतीय जनता पार्टी की इमोशनल ग्राउंड पर तैयार की जाने वाली स्ट्रेटजी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने गरीब और दलित का कार्ड भी खेला है।
पंजाब में सबसे ज्यादा दलित आबादी है लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी से पहले तक वहां पर कोई भी दलित चेहरा मुख्यमंत्री नहीं बना था। ऐसे में चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाकर दलितों की राजनीति में एक बड़ा दांव खेला था। चन्नी के सहारे कांग्रेस ने 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनावों में भी बढ़त बनाने के लिए दांव लगाया है। उत्तर प्रदेश में राजनीति के जानकार चंद्रभान मौर्य कहते हैं की कभी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक दलित ही हुआ करते थे लेकिन कमजोर नीतियों के चलते वह उससे छिटक कर बहुजन समाज पार्टी के खाते में चला गया। मौर्य कहते हैं कि इस विधानसभा के चुनाव में तो चन्नी के दलित चेहरा घोषित किए जाने का असर उत्तर प्रदेश में बहुत नहीं पड़ने वाला। लेकिन यह निश्चित है कि 2024 में लोकसभा के चुनाव तक कांग्रेस दलित राजनीति की अपनी पिच बहुत मजबूत करने की ओर बढ़ेगी।
चरणजीत सिंह चन्नी दे सकते हैं दूरगामी सकारात्मक परिणाम
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता रहे प्रोफेसर चतुर्भुज शर्मा कहते हैं अगर आप कांग्रेस की दलित राजनीति को समझें तो पाएंगे कि शुरुआत से ही कांग्रेस का फोकस दलितों पर रहा है। लेकिन बीच में लचर नीतियों के चलते दलित समुदाय कांग्रेस से अमूमन सभी राज्यों से छिटकता रहा। वो कहते हैं पंजाब में लंबे समय तक कांग्रेस का शासन तो रहा लेकिन कांग्रेस ने कभी दलित चेहरे को आगे नहीं किया। अब जब चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने आगे किया है तो उसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम भी कांग्रेस को दिख रहे हैं। वो कहते हैं हैं कि अगले कुछ दिनों में होने वाले विधानसभा के चुनावों में पंजाब को छोड़कर कांग्रेस का यह दलित प्रेम उनको उत्तर प्रदेश में सत्ता में तो वापिस नहीं लाने वाला लेकिन राजनीति में बहुत कुछ परशेप्शन पर निर्भर करता है। इसके लिए कांग्रेस अभी से रणनीतियां बनाने लगी है।
कई राज्यों के चुनाव पर पड़ेगा असर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से उत्तर प्रदेश में कोई बहुत आमूलचूल परिवर्तन तो नहीं होने वाला है लेकिन अगले साल होने वाले राज्यों में खासतौर से कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी एक संदेश देगी। रणनीति बनाने वाली कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उनका फोकस सिर्फ पंजाब और उत्तर प्रदेश ही नहीं है बल्कि आने वाले दिनों के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ लोकसभा के चुनाव भी हैं। वह कहते हैं कि पंजाब में दलित चेहरे को आगे रखकर लड़े जाने वाले चुनाव का असर सिर्फ कर्नाटक में होने वाले विधानसभा के चुनावों में ही नहीं पड़ेगा बल्कि उसका असर महाराष्ट्र में भी पड़ेगा। वह कहते हैं कि पंजाब के बाद कर्नाटक में दलितों की अच्छी आबादी है। महाराष्ट्र में भी दलितों की बड़ी आबादी है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और उत्तर भारत के अधिकांश राज्य जहां पर दलितों की बड़ी आबादी है उसमें निश्चित तौर पर एक व्यापक संदेश जाएगा।
पुराना वोटबैंक हासिल करने के लिए अपनानी होगी रणनीति
राजनीतिक जानकार दिलबाग चंदेल कहते हैं कि कांग्रेस को अगर अपना पुराना वोट बैंक हासिल करना है तो उसको निश्चित तौर पर ऐसी रणनीति ही अपनानी होगी। वो कहते हैं कि पंजाब में जिस तरीके का फैसला मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर कांग्रेस ने लिया व दूरगामी परिणाम देने वाला है। चंदेल कहते हैं कि देश में सब राज्यों में जातिगत समीकरणों के आधार पर ही चुनाव लड़े जाते हैं। लेकिन जातिगत समीकरणों के अलावा और बहुत से ऐसे मुद्दे होते हैं जो साधने बेहद जरूरी होते हैं। वह कहते हैं 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को निश्चित तौर पर जातिगत समीकरणों को साधने के साथ-सथ दूसरे मुद्दों को भी प्रमुखता से आगे रखना होगा। चंदेल स्पष्ट रूप से कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी जब चुनाव के मैदान में होती है तो वह गरीब पिछड़े और सोसाइटी में इमोशनल मुद्दों को सामने लेकर आती है जहां पर कांग्रेस आज के वक्त मात खा रही है। वो कहते हैं पंजाब में चन्नी को सामने लाकर कांग्रेस ने एक तरह से भारतीय जनता पार्टी की इमोशनल ग्राउंड वाली स्ट्रेटजी का मुकाबला करने के लिए प्लेटफार्म तैयार कर लिया है। अब अगर कांग्रेस इसका बेहतर तरीके से इस्तेमाल करती है तो आने वाले दिनों में वह लड़ाई में जल्दी मैदान में आ सकेगी।
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