एजेंसी, ताइपे
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 29 Oct 2021 02:07 AM IST
सार
ताइवान और चीन के बीच बीजिंग द्वारा सैन्य और राजनीतिक दबाव बढ़ाने के कारण तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। चीन ने ताइवान द्वीप को बलपूर्वक लेने से भी इनकार नहीं किया है।
ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन
– फोटो : सोशल मीडिया
ताइवान क्षेत्र को अपना इलाका बताने के बाद यहां के वायु क्षेत्र से चीन द्वारा सैकड़ों जंगी विमान उड़ाने के बाद दोनों देशों में जबरदस्त तनाव है। इस बीच अमेरिका खुलकर ताइवान के साथ खड़ा हो चुका है। अब पहली बार ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने स्वीकार किया है कि उनके देश में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी है और वे ताइवानी सेना को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
राष्ट्रपति ने सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में कहा, स्व-शासित द्वीप पर अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति की पुष्टि करती हूं। इस तस्दीक से ताइवान द्वीप के पास सैन्य अभ्यास कर रहा चीन और भड़क सकता है। हालांकि साइ द्वारा उनके देश में अमेरिकी सैनिकों की संख्या कम बताई गई है।
ताइवान और चीन के बीच बीजिंग द्वारा सैन्य और राजनीतिक दबाव बढ़ाने के कारण तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। चीन ने ताइवान द्वीप को बलपूर्वक लेने से भी इनकार नहीं किया है। इस बीच, साइ ने बृहस्पतिवार को प्रसारित अपने साक्षात्कार में कहा, ‘हमारी रक्षा क्षमता बढ़ाने के मकसद से अमेरिका के साथ हमारे पास व्यापक सहयोग हैं।’ जब उनसे पूछा गया कि ताइवान में कितने अमेरिकी सैनिक तैनात हैं तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि जितना लोगों ने सोचा है उतने नहीं हैं।
हमारी मदद को कई लोकतांत्रिक देश साथ आएंगे : साइ
ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने कहा है कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि यदि चीन ने उन पर हमला बोला तो अमेरिका और दूसरे क्षेत्रीय लोकतांत्रिक देश उसकी मदद के लिए साथ आ जाएंगे। उन्होंने कहा, ताइवान अकेला नहीं है, क्योंकि वो एक लोकतांत्रिक देश है। हम आजादी का सम्मान करते हैं और शांति के उपासक हैं। इसके अलावा हम इस क्षेत्र के अन्य देशों के मूल्य व उनके भूगौलिक क्षेत्र का भी पूरा सम्मान करते हैं। साइ ने कहा कि इस दशक में ताइवान और चीन के संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं और चीन के साथ खतरा हर रोज बढ़ता ही जा रहा है।
विस्तार
ताइवान क्षेत्र को अपना इलाका बताने के बाद यहां के वायु क्षेत्र से चीन द्वारा सैकड़ों जंगी विमान उड़ाने के बाद दोनों देशों में जबरदस्त तनाव है। इस बीच अमेरिका खुलकर ताइवान के साथ खड़ा हो चुका है। अब पहली बार ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने स्वीकार किया है कि उनके देश में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी है और वे ताइवानी सेना को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
राष्ट्रपति ने सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में कहा, स्व-शासित द्वीप पर अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति की पुष्टि करती हूं। इस तस्दीक से ताइवान द्वीप के पास सैन्य अभ्यास कर रहा चीन और भड़क सकता है। हालांकि साइ द्वारा उनके देश में अमेरिकी सैनिकों की संख्या कम बताई गई है।
ताइवान और चीन के बीच बीजिंग द्वारा सैन्य और राजनीतिक दबाव बढ़ाने के कारण तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। चीन ने ताइवान द्वीप को बलपूर्वक लेने से भी इनकार नहीं किया है। इस बीच, साइ ने बृहस्पतिवार को प्रसारित अपने साक्षात्कार में कहा, ‘हमारी रक्षा क्षमता बढ़ाने के मकसद से अमेरिका के साथ हमारे पास व्यापक सहयोग हैं।’ जब उनसे पूछा गया कि ताइवान में कितने अमेरिकी सैनिक तैनात हैं तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि जितना लोगों ने सोचा है उतने नहीं हैं।
हमारी मदद को कई लोकतांत्रिक देश साथ आएंगे : साइ
ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन ने कहा है कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि यदि चीन ने उन पर हमला बोला तो अमेरिका और दूसरे क्षेत्रीय लोकतांत्रिक देश उसकी मदद के लिए साथ आ जाएंगे। उन्होंने कहा, ताइवान अकेला नहीं है, क्योंकि वो एक लोकतांत्रिक देश है। हम आजादी का सम्मान करते हैं और शांति के उपासक हैं। इसके अलावा हम इस क्षेत्र के अन्य देशों के मूल्य व उनके भूगौलिक क्षेत्र का भी पूरा सम्मान करते हैं। साइ ने कहा कि इस दशक में ताइवान और चीन के संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं और चीन के साथ खतरा हर रोज बढ़ता ही जा रहा है।
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