एएनआई, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Sat, 05 Feb 2022 09:50 AM IST
सार
विदेश मंत्रालय ने लोकसभा में कहा कि चीन द्वारा पैंगोंग झील पर बनाया जा रहा पुल उन क्षेत्रों में है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं।
चीन द्वारा पैंगोंग झील पर अवैध तरीके से पुल बनाने की बात को अब भारत सरकार ने भी संसद में स्वीकार कर लिया है। शुक्रवार को भारत सरकार ने संसद में कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा जिस इलाके में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है, वह 1962 से बीजिंग के गैरकानूनी कब्जे में है। विदेश मंत्रालय ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि भारत अवैध रूप से कब्जे वाली भूमि पर चीन के दावे को कभी स्वीकार नहीं करेगा। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर का जवाब देते हुए कहा कि चीन कितना भी कोशिश कर ले लेकिन भारत सरकार कभी भी इस अवैध कब्जे को न ही कभी स्वीकार किया था न ही कभी करेगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर बनाए जा रहे पुल पर संज्ञान लिया है.और कड़ी आपत्ति जताई है।
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर चर्चा तीन सिद्धांतों पर आधारित: विदेश मंत्रालय
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को लेकर चीन के साथ बातचीत तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है। पहला यह कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा का पूरी तरह सम्मान करेंगे। दूसरा यह कि कोई भी पक्ष यथास्थिति बदलने का प्रयास नहीं करेगा और तीसरा सिद्धांत यह कि दोनों पक्ष सभी समझौतों का पूर्णत: पालन करेंगे।
जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख भारत का अभिन्न अंग: विदेश मंत्रालय
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
कैसा है पुल, कितनी है चौड़ाई
चीन जो पुल बना रहा है उसकी चौड़ाई करीब 8 मीटर है। यह पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर बनाया जा रहा है। उत्तरी लद्दाख के इस हिस्से में स्थित गलवान में जून 2020 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था। दोनों देशों के बीच संघर्ष के बाद से यहां लगभग 50 हजार सैनिक मौजूद हैं।
विस्तार
चीन द्वारा पैंगोंग झील पर अवैध तरीके से पुल बनाने की बात को अब भारत सरकार ने भी संसद में स्वीकार कर लिया है। शुक्रवार को भारत सरकार ने संसद में कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा जिस इलाके में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है, वह 1962 से बीजिंग के गैरकानूनी कब्जे में है। विदेश मंत्रालय ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि भारत अवैध रूप से कब्जे वाली भूमि पर चीन के दावे को कभी स्वीकार नहीं करेगा। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर का जवाब देते हुए कहा कि चीन कितना भी कोशिश कर ले लेकिन भारत सरकार कभी भी इस अवैध कब्जे को न ही कभी स्वीकार किया था न ही कभी करेगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर बनाए जा रहे पुल पर संज्ञान लिया है.और कड़ी आपत्ति जताई है।
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर चर्चा तीन सिद्धांतों पर आधारित: विदेश मंत्रालय
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को लेकर चीन के साथ बातचीत तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है। पहला यह कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा का पूरी तरह सम्मान करेंगे। दूसरा यह कि कोई भी पक्ष यथास्थिति बदलने का प्रयास नहीं करेगा और तीसरा सिद्धांत यह कि दोनों पक्ष सभी समझौतों का पूर्णत: पालन करेंगे।
जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख भारत का अभिन्न अंग: विदेश मंत्रालय
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
कैसा है पुल, कितनी है चौड़ाई
चीन जो पुल बना रहा है उसकी चौड़ाई करीब 8 मीटर है। यह पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर बनाया जा रहा है। उत्तरी लद्दाख के इस हिस्से में स्थित गलवान में जून 2020 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था। दोनों देशों के बीच संघर्ष के बाद से यहां लगभग 50 हजार सैनिक मौजूद हैं।
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