टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रदीप पाण्डेय
Updated Tue, 07 Dec 2021 01:30 PM IST
सार
Koo App कोष बनाने के लिए प्रासंगिक डाटा साझा करेगा और इंटरफेस बनाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा जो सार्वजनिक पहुंच के लिए कोष की मेजबानी करेगा।
ख़बर सुनें
विस्तार
इस समझौते के जरिये CIIL शब्दों, वाक्यांशों, संक्षिप्त रूपों और संक्षिप्त शब्दों सहित अभिव्यक्तियों का एक कोष तैयार करेगा, जिन्हें भारत के संविधान में आठवीं अनुसूची की 22 भाषाओं में आक्रामक या संवेदनशील माना जाता है। जबकि Koo App कोष बनाने के लिए प्रासंगिक डाटा साझा करेगा और इंटरफेस बनाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा जो सार्वजनिक पहुंच के लिए कोष की मेजबानी करेगा।
यह सोशल मीडिया पर भारतीय भाषाओं के जिम्मेदार इस्तेमाल को विकसित करने के लिए एक दीर्घकालिक समझौता है और यह यूजर्स को सभी भाषाओं में एक सुरक्षित और व्यापक नेटवर्किंग अनुभव प्रदान करके दो साल के लिए वैध होगा। CIIL और Koo App के इस संयुक्त अग्रणी कार्य का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में शब्दों और अभिव्यक्तियों के ऐसे शब्दकोश विकसित करना है, जिन्हें आक्रामक, अपमानजनक या आपत्तिजनक माना जाता है और इन भाषाओं में कुशल कंटेंट मॉडरेशन को सक्षम किया जा सके। भारतीय संदर्भ में इस तरह की पहल को पहले कभी लागू नहीं किया गया था।
इस समझौते का स्वागत करते हुए CIIL के निदेशक प्रो. शैलेंद्र मोहन ने कहा कि भारतीय भाषाओं के यूजर्स को Koo मंच पर संवाद करने में सक्षम बनाना, वास्तव में समानता और बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार की अभिव्यक्ति है, जो हमारे बहुत सम्मानित संवैधानिक मूल्य हैं। CIIL और Koo के बीच समझौता ज्ञापन यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रयास है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल, विशेष रूप से Koo App, बोलने/लिखने की स्वच्छता के साथ आता है और यह अनुचित भाषा और दुरुपयोग से मुक्त है। सोशल मीडिया पोस्ट के लिए सुखद और सुरक्षित वातावरण बनाने की दिशा में Koo की इस पहल को प्रोत्साहित करते हुए प्रो. मोहन ने कहा कि Koo App के प्रयास सराहनीय हैं। इसलिए, CIIL कोष के माध्यम से भाषा परामर्श प्रदान करेगा और जिम्मेदार एवं स्वच्छ सोशल मीडिया चर्चा को हासिल करने के लक्ष्य को साकार करने में Koo टीम के हाथों को मजबूत करेगा।
इस सहयोग पर प्रकाश डालते हुए Koo App के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “एक बेहतरीन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में Koo भारतीयों को कई भाषाओं में जुड़ने और चर्चा में सक्षम बनाता है। हम ऑनलाइन इको सिस्टम को बढ़ाकर अपने यूजर्स को सशक्त बनाना चाहते है, ताकि दुरुपयोग को प्रभावी तरीके से रोका जा सके। हम चाहते हैं कि हमारे यूजर्स भाषाई संस्कृतियों के लोगों के साथ सार्थक रूप से बातचीत करने के लिए मंच का लाभ उठाएं। हम इंटरनेट यूजर्स के लिए परस्पर दुनिया को अधिक सुरक्षित, भरोसेमंद और विश्वसनीय बनाने के लिए और इस कोष के निर्माण के लिए प्रतिष्ठित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज के साथ साझेदारी करते हुए प्रसन्न हैं।”