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गंभीर आरोप: पाउडर से कैंसर होने की आशंकाओं के बावजूद जॉनसन एंड जॉनसन ने नस्लीय मानसिकता से बेचे उत्पाद

न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस, वाशिंगटन।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 29 Jul 2021 07:20 AM IST

जॉनसन एंड जॉनसन पर मुकदमा (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया

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अमेरिका में अश्वेत महिलाओं के समूह नेशनल काउंसिल ऑफ नीग्रो वुमन ने जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। आरोप है कि कंपनी ने यह जानते हुए भी कि उसके पाउडर से कैंसर हो सकता है, धोखेबाजी भरी मार्केटिंग कर इसे अश्वेत महिलाओं को बेचने पर जोर दिया।

काउंसिल के मुताबिक, जॉनसन एंड जॉनसन ने नस्लीय मानसिकता के साथ अमेरिका की अश्वेत महिलाओं को पाउडर व संबंधित उत्पाद बेचे। उसे पता था कि यह उत्पाद अश्वेत महिलाएं इस्तेमाल तो कर सकती हैं लेकिन अगर उन्हें बीमारियां हुई तो बाकी महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा मुश्किलें झेलनी होंगी। अमेरिका में अश्वेत महिलाओं को जल्द चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाती, अधिकतर का स्वास्थ्य बीमा भी नहीं होता। काउंसिल की प्रवक्ता वांडा टिडलाइन ने कहा कि उन्हें 2012 में ओवेरियन कैंसर हुआ जबकि उनके परिवार के इतिहास में किसी को यह बीमारी नहीं थी।

वे कई सालों से जॉनसन एंड जॉनसन का बेबी पाउडर इस्तेमाल कर रही थीं क्योंकि कंपनी अपने विज्ञापनों में इसे सुरक्षित बताती रही है। गौरतलब है कि जॉनसन एंड जॉनसन पहले से 25,000 मुकदमे अपने पाउडर और इससे जुड़े उत्पादों की वजह से झेल रहा है। आरोप हंै कि इन उत्पादों की वजह से ओवेरियन कैंसर व मेसोथेलियोमा जैसी बीमारियां महिलाओं को हुईं। महिलाओं ने जान तक गंवाईं। कंपनी हर साल 3,000 करोड़ रुपये ऐसे मुकदमों पर खर्च के लिए अलग रखने लगा है।

सलून से लेकर चर्च तक अश्वेत महिलाएं टारगेट
आरोप है कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी द्वारा अश्वेत महिलाओं को 1992 से ही लक्ष्य बनाकर ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पाउडर बेचने की कोशिश होती रही। कंपनी के अंदरुनी संवादों में इन महिलाओं को ऐसा अवसर बताया गया जिन्हें वे अपने उत्पाद बड़ी मात्रा में बेच सकते हैं। महिलाओं को सलून से लेकर चर्च और संगीत कार्यक्रमों से लेकर रेडियो विज्ञापनों तक में पाउडर बेचने की कोशिश की गई। एक खास विज्ञापन का जिक्र किया गया जिसमें 18 से 49 वर्ष की अश्वेत महिलाओं के लिए यह पाउडर बेहद खास माना गया।

कंपनी को निर्देश देने की मांग
न्यू जर्सी की राज्य अदालत में यह मुकदमा करने वाली महिलाओं ने कंपनी को निर्देश देने की मांग की है कि वह अश्वेत महिलाओं में कैंसर की शुरुआती जांच के लिए सेवाएं दे। साथ चिकित्सा निगरानी व्यवस्था बनाए। इस मुकदमे का खर्च भी वहन करने के लिए कहा गया है। इस मुक़दमे की सुनवाई जल्द शुरू हो सकती है।

पहले से चुकाने हैं हजारों करोड़
कंपनी ने पिछले वर्ष उत्तरी अमेरिका में अपने बेबी पाउडर की बिक्री बंद कर दी थी। वजह मांग में कमी को बताया। पर असली वजह इन्हें कैंसरकारी बता 22 महिलाओं द्वारा दायर मुकदमे में उस पर हजारों करोड़ रुपये का जुर्माना है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की अपील भी जून में खारिज हो चुकी है। 25 हजार अन्य मामलों को भी अदालतें सुन रही है।

विस्तार

अमेरिका में अश्वेत महिलाओं के समूह नेशनल काउंसिल ऑफ नीग्रो वुमन ने जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। आरोप है कि कंपनी ने यह जानते हुए भी कि उसके पाउडर से कैंसर हो सकता है, धोखेबाजी भरी मार्केटिंग कर इसे अश्वेत महिलाओं को बेचने पर जोर दिया।

काउंसिल के मुताबिक, जॉनसन एंड जॉनसन ने नस्लीय मानसिकता के साथ अमेरिका की अश्वेत महिलाओं को पाउडर व संबंधित उत्पाद बेचे। उसे पता था कि यह उत्पाद अश्वेत महिलाएं इस्तेमाल तो कर सकती हैं लेकिन अगर उन्हें बीमारियां हुई तो बाकी महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा मुश्किलें झेलनी होंगी। अमेरिका में अश्वेत महिलाओं को जल्द चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाती, अधिकतर का स्वास्थ्य बीमा भी नहीं होता। काउंसिल की प्रवक्ता वांडा टिडलाइन ने कहा कि उन्हें 2012 में ओवेरियन कैंसर हुआ जबकि उनके परिवार के इतिहास में किसी को यह बीमारी नहीं थी।

वे कई सालों से जॉनसन एंड जॉनसन का बेबी पाउडर इस्तेमाल कर रही थीं क्योंकि कंपनी अपने विज्ञापनों में इसे सुरक्षित बताती रही है। गौरतलब है कि जॉनसन एंड जॉनसन पहले से 25,000 मुकदमे अपने पाउडर और इससे जुड़े उत्पादों की वजह से झेल रहा है। आरोप हंै कि इन उत्पादों की वजह से ओवेरियन कैंसर व मेसोथेलियोमा जैसी बीमारियां महिलाओं को हुईं। महिलाओं ने जान तक गंवाईं। कंपनी हर साल 3,000 करोड़ रुपये ऐसे मुकदमों पर खर्च के लिए अलग रखने लगा है।

सलून से लेकर चर्च तक अश्वेत महिलाएं टारगेट

आरोप है कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी द्वारा अश्वेत महिलाओं को 1992 से ही लक्ष्य बनाकर ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पाउडर बेचने की कोशिश होती रही। कंपनी के अंदरुनी संवादों में इन महिलाओं को ऐसा अवसर बताया गया जिन्हें वे अपने उत्पाद बड़ी मात्रा में बेच सकते हैं। महिलाओं को सलून से लेकर चर्च और संगीत कार्यक्रमों से लेकर रेडियो विज्ञापनों तक में पाउडर बेचने की कोशिश की गई। एक खास विज्ञापन का जिक्र किया गया जिसमें 18 से 49 वर्ष की अश्वेत महिलाओं के लिए यह पाउडर बेहद खास माना गया।

कंपनी को निर्देश देने की मांग

न्यू जर्सी की राज्य अदालत में यह मुकदमा करने वाली महिलाओं ने कंपनी को निर्देश देने की मांग की है कि वह अश्वेत महिलाओं में कैंसर की शुरुआती जांच के लिए सेवाएं दे। साथ चिकित्सा निगरानी व्यवस्था बनाए। इस मुकदमे का खर्च भी वहन करने के लिए कहा गया है। इस मुक़दमे की सुनवाई जल्द शुरू हो सकती है।

पहले से चुकाने हैं हजारों करोड़

कंपनी ने पिछले वर्ष उत्तरी अमेरिका में अपने बेबी पाउडर की बिक्री बंद कर दी थी। वजह मांग में कमी को बताया। पर असली वजह इन्हें कैंसरकारी बता 22 महिलाओं द्वारा दायर मुकदमे में उस पर हजारों करोड़ रुपये का जुर्माना है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की अपील भी जून में खारिज हो चुकी है। 25 हजार अन्य मामलों को भी अदालतें सुन रही है।

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