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आरबीआई: अब गैर-बैंकिंग संस्थाएं भी दे पाएंगी आरटीजीएस-एनईएफटी की सुविधा, जानिए इससे कैसे होगा फायदा

आरबीआई: अब गैर-बैंकिंग संस्थाएं भी दे पाएंगी आरटीजीएस-एनईएफटी की सुविधा, जानिए इससे कैसे होगा फायदा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ‌डिंपल अलावाधी
Updated Thu, 29 Jul 2021 12:31 PM IST

सार

आरबीआई ने गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाताओं को रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर जैसे सीपीएस में प्रत्यक्ष सदस्य के रूप में भाग लेने को मंजूरी दे दी है।

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देश में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना काल में ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में डिजिटल भुगतान में 30.19 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने प्रीपेड भुगतान उत्पाद जारी करने वाले समेत अधिकृत गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पीएसपी) को रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर (NEFT) जैसे सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम (सीपीएस) में प्रत्यक्ष सदस्य के रूप में भाग लेने को मंजूरी दे दी है। यानी अब गैर-बैंकिंग संस्थाएं भी आरटीजीएस और एनईएफटी जैसी सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम की सुविधाएं दे पाएंगी। 

इस संदर्भ में आरबीआई द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि पहले चरण में प्रीपेड भुगतान उत्पाद जारी करने वाले, कार्ड नेटवर्क, व्हाइट लेबल एटीएम परिचालक केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में बतौर सदस्य भाग लेने के लिए पात्र होंगे। मालूम हो कि मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा और पीएसपी के साथ विचार-विमर्श के बाद ही यह सलाह दी गई है। 

अप्रैल में आरबीआई गवर्नर ने की थी घोषणा
अप्रैल में हुई मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने एलान किया था कि अब आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए लेनदेन करने के लिए बैंकों के ऊपर पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय बैंक ने इसका दायरा बैंकों से आगे बढ़ाया था। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एलान किया था कि ये सुविधा अब नॉन बैंकिग पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स भी दे सकेंगे। आरटीजीएस और एनईएफटी एक सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम है। लेकिन, अब नॉन-बैंक पेमेंट सिस्टम तक भी यह सुविधा दी जाएगी। यह प्रीपेड पेमेंट इस्ट्रूमेंट, कार्ड नेटवर्क्स, व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स, आदि तक बढ़ाई जा चुकी है।

ऐसे होगा फायदा
इस सुविधा को बढ़ाने से वित्तीय सिस्टम में सेटलमेंट जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही देश में डिजिटल वित्तीय सुविधाओं को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। इससे पहले छह जून 2019 को आरबीआई ने आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए आरटीजीएस व एनईएफटी को निशुल्क कर दिया था। सभी बैंकों में यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है।

क्या है आरटीजीएस?
आरटीजीएस का मतलब है रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम। ‘रियल टाइम’ का मतलब है तुरंत। मतलब जैसे ही आप पैसा ट्रांसफर करें, कुछ ही देर में वह खाते में पहुंच जाए। आरटीजीएस के जरिए जब आप लेनदेन करते हैं तो दूसरे खाते में तुरंत पैसा ट्रांसफर हो जाता है।

क्या है एनईएफटी?
एनईएफटी का मतलब है नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर। इंटरनेट के जरिए दो लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिए किसी भी शाखा के किसी भी बैंक खाते से किसी भी शाखा के बैंक खाते को पैसा भेजा जा सकता है।

विस्तार

देश में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना काल में ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में डिजिटल भुगतान में 30.19 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने प्रीपेड भुगतान उत्पाद जारी करने वाले समेत अधिकृत गैर-बैंक भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पीएसपी) को रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर (NEFT) जैसे सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम (सीपीएस) में प्रत्यक्ष सदस्य के रूप में भाग लेने को मंजूरी दे दी है। यानी अब गैर-बैंकिंग संस्थाएं भी आरटीजीएस और एनईएफटी जैसी सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम की सुविधाएं दे पाएंगी। 

इस संदर्भ में आरबीआई द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि पहले चरण में प्रीपेड भुगतान उत्पाद जारी करने वाले, कार्ड नेटवर्क, व्हाइट लेबल एटीएम परिचालक केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में बतौर सदस्य भाग लेने के लिए पात्र होंगे। मालूम हो कि मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा और पीएसपी के साथ विचार-विमर्श के बाद ही यह सलाह दी गई है। 

अप्रैल में आरबीआई गवर्नर ने की थी घोषणा

अप्रैल में हुई मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने एलान किया था कि अब आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए लेनदेन करने के लिए बैंकों के ऊपर पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय बैंक ने इसका दायरा बैंकों से आगे बढ़ाया था। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एलान किया था कि ये सुविधा अब नॉन बैंकिग पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स भी दे सकेंगे। आरटीजीएस और एनईएफटी एक सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम है। लेकिन, अब नॉन-बैंक पेमेंट सिस्टम तक भी यह सुविधा दी जाएगी। यह प्रीपेड पेमेंट इस्ट्रूमेंट, कार्ड नेटवर्क्स, व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स, आदि तक बढ़ाई जा चुकी है।

ऐसे होगा फायदा

इस सुविधा को बढ़ाने से वित्तीय सिस्टम में सेटलमेंट जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही देश में डिजिटल वित्तीय सुविधाओं को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। इससे पहले छह जून 2019 को आरबीआई ने आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए आरटीजीएस व एनईएफटी को निशुल्क कर दिया था। सभी बैंकों में यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है।

क्या है आरटीजीएस?

आरटीजीएस का मतलब है रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम। ‘रियल टाइम’ का मतलब है तुरंत। मतलब जैसे ही आप पैसा ट्रांसफर करें, कुछ ही देर में वह खाते में पहुंच जाए। आरटीजीएस के जरिए जब आप लेनदेन करते हैं तो दूसरे खाते में तुरंत पैसा ट्रांसफर हो जाता है।

क्या है एनईएफटी?

एनईएफटी का मतलब है नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर। इंटरनेट के जरिए दो लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिए किसी भी शाखा के किसी भी बैंक खाते से किसी भी शाखा के बैंक खाते को पैसा भेजा जा सकता है।

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