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अध्ययन: चीनी टीका सिनोवैक से बनी एंटीबॉडीज करीब 6 महीने बाद बेअसर, बूस्टर डोज जरूरी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 28 Jul 2021 02:12 AM IST

सार

प्रयोगशाला में किए गए अध्ययन के अनुसार, चीनी शोधकर्ताओं का कहना है कि सिनोवैक बायोटेक की कोविड-19 वैक्सीन लेने वाले अधिकांश लोगों में बनी एंटीबॉडीज लगभग छह महीने के बाद धीमी पड़ जाती है। वैक्सीन की प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए तीसरी खुराक जरूरी है।

चीन की कोविड वैक्सीन (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : iStock

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चीनी टीका सिनोवैक को लेकर चीनी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, सिनोवैक वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद बनी एंडीबॉडीज करीब छह महीने बाद धीमी पड़ जाती है, कोरोना से लड़ने के लिए सिनोवैक वैक्सीन लेने वालों को तीसरी खुराक लेने की आवश्यकता बताई गई है।

प्रयोगशाला में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सिनोवैक बायोटेक (एसवीए.ओ) कोविड-19 वैक्सीन लेने वाले अधिकांश लोगों में उत्पन्न  एंटीबॉडीज वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के लगभग छह महीने बाद एक महत्वपूर्ण सीमा से नीचे गिर गई, हालांकि तीसरी खुराक लेने के बाद लोगों में तेजी से एंटीबॉडीज विकसित हुई।

चीनी शोधकर्ताओं ने रविवार को प्रकाशित एक पेपर में 18-59 आयु वर्ग के स्वस्थ वयस्कों के रक्त के नमूनों पर किए गए अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर यह जानकारी दी है। हालांकि इसके समकक्ष समीक्षा नहीं की गई है।

पेपर में कहा गया है कि अध्ययन में शामिल लोगों में से जिन्होंने वैक्सीन की दो खुराक ले ली थी, दो सप्ताह के भीतर 16.9 फीसदी लोगों में और चार सप्ताह के भीतर 35.2 फीसदी लोगों में बनी एंडीबॉडीज निष्क्रिय हो गई। शोधकर्ता इस आधार पर मानते हैं कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के छह महीने बाद कोरोना से लड़ने के लिए बनी एंडीबॉडीज धीमी पड़ जाती है। शोधकर्ता दूसरी खुराक के बाद छह महीने की सीमा को योग्य स्तर के रूप में मानते हैं।

यह अध्ययन दो समूहों के डाटा पर आधारित है, जिनमें प्रत्येक में 50 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे, जबकि अध्ययन में कुल 540 प्रतिभागी ऐसे थे जिनको वैक्सीन या प्लेसीबो की तीसरी खुराक दी गई।शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि एंटीबॉडीज में कमी वैक्सीन की प्रभावशीलता को कैसे प्रभावित करेगी, क्योंकि वैज्ञानिकों को अभी तक बीमारी को रोकने में सक्षम होने के लिए एंटीबॉडीज के स्तर की सही सीमा का पता लगाना बाकी है।

पेपर में कहा गया है, ‘अल्प-से-मध्यम अवधि में, वर्तमान में अधिक से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन की दो खुराक देने की प्रक्रिया को पूरा करना प्राथमिकता होनी चाहिए।’

कोरोना वायरस के सबसे तेजी से फैल रहे डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता पर चिंताओं के बीच इंडोनेशिया और थाईलैंड पहले से ही उन लोगों के लिए, जिन्हें सिनोवैक वैक्सीन की दो खुराक के साथ पूरी तरह से टीका लगाया गया है, मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन की तीसरी खुराक देने के लिए सहमत हो गए हैं। 

विस्तार

चीनी टीका सिनोवैक को लेकर चीनी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, सिनोवैक वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद बनी एंडीबॉडीज करीब छह महीने बाद धीमी पड़ जाती है, कोरोना से लड़ने के लिए सिनोवैक वैक्सीन लेने वालों को तीसरी खुराक लेने की आवश्यकता बताई गई है।

प्रयोगशाला में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, सिनोवैक बायोटेक (एसवीए.ओ) कोविड-19 वैक्सीन लेने वाले अधिकांश लोगों में उत्पन्न  एंटीबॉडीज वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के लगभग छह महीने बाद एक महत्वपूर्ण सीमा से नीचे गिर गई, हालांकि तीसरी खुराक लेने के बाद लोगों में तेजी से एंटीबॉडीज विकसित हुई।

चीनी शोधकर्ताओं ने रविवार को प्रकाशित एक पेपर में 18-59 आयु वर्ग के स्वस्थ वयस्कों के रक्त के नमूनों पर किए गए अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर यह जानकारी दी है। हालांकि इसके समकक्ष समीक्षा नहीं की गई है।

पेपर में कहा गया है कि अध्ययन में शामिल लोगों में से जिन्होंने वैक्सीन की दो खुराक ले ली थी, दो सप्ताह के भीतर 16.9 फीसदी लोगों में और चार सप्ताह के भीतर 35.2 फीसदी लोगों में बनी एंडीबॉडीज निष्क्रिय हो गई। शोधकर्ता इस आधार पर मानते हैं कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के छह महीने बाद कोरोना से लड़ने के लिए बनी एंडीबॉडीज धीमी पड़ जाती है। शोधकर्ता दूसरी खुराक के बाद छह महीने की सीमा को योग्य स्तर के रूप में मानते हैं।

यह अध्ययन दो समूहों के डाटा पर आधारित है, जिनमें प्रत्येक में 50 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे, जबकि अध्ययन में कुल 540 प्रतिभागी ऐसे थे जिनको वैक्सीन या प्लेसीबो की तीसरी खुराक दी गई।शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि एंटीबॉडीज में कमी वैक्सीन की प्रभावशीलता को कैसे प्रभावित करेगी, क्योंकि वैज्ञानिकों को अभी तक बीमारी को रोकने में सक्षम होने के लिए एंटीबॉडीज के स्तर की सही सीमा का पता लगाना बाकी है।

पेपर में कहा गया है, ‘अल्प-से-मध्यम अवधि में, वर्तमान में अधिक से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन की दो खुराक देने की प्रक्रिया को पूरा करना प्राथमिकता होनी चाहिए।’

कोरोना वायरस के सबसे तेजी से फैल रहे डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता पर चिंताओं के बीच इंडोनेशिया और थाईलैंड पहले से ही उन लोगों के लिए, जिन्हें सिनोवैक वैक्सीन की दो खुराक के साथ पूरी तरह से टीका लगाया गया है, मॉडर्ना और फाइजर वैक्सीन की तीसरी खुराक देने के लिए सहमत हो गए हैं। 

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