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कोरोना से जंग: महामारी को हराने के लिए भारत का एक और कदम, अब ह्यूस्टन कोविड वैक्सीन को दी मंजूरी

पीटीआई, ह्यूस्टन
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Wed, 29 Dec 2021 08:20 AM IST

सार

अमेरिकी कंपनी कॉर्बेवैक्स (Corbevax) को भारत में लॉन्च करने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मिल गई है।

कोरोना वैक्सीन(सांकेतिक)
– फोटो : पीटीआई

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अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल (TCH) और बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (BCM) ने मंगलवार को घोषणा की कि एक प्रोटीन सबयूनिट कोविड वैक्सीन कॉर्बेवैक्स (Corbevax) को भारत में लॉन्च करने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मिल गई है। वैक्सीन एंटीजन के प्रारंभिक निर्माण और उत्पादन प्रक्रिया को टीसीएच(TCH) के सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट में विकसित किया गया था, जिसका नेतृत्व सह-निदेशक मारिया एलेना बोटाजी और पीटर होटेज ने किया था।

महामारी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम: टीसीएच
वहीं कॉर्बेवैक्स को भारत में आपात मंजूरी मिलने के बाद टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट(TCH) ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह घोषणा  महामारी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बॉयलर में नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर और डीन और सह-निदेशक डॉ पीटर होटेज़ ने कहा कि हमारी वैक्सीन तकनीक मानवीय संकट को दूर करने के लिए मार्ग प्रदान करती है, अर्थात् निम्न और मध्यम आय वाले देश जो डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहे हैं उनके लिए यह वरदान साबित होगा।

3,000 से अधिक विषयों के साथ किया गया ट्रायल: टीसीएच
टीसीएच ने कहा कि टीका का क्लिनिकल ट्रायल 3,000 से अधिक विषयों के साथ  किया गया है। कंपनी ने कहा है कि यह लोगों के लिए सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन करने वाली वैक्सीन है। परीक्षणों ने ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड की तुलना में अधिक प्रभावी है। टीके की सबसे बड़ी बात यह है कि इसने गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। कहा जाए तो इसका प्रतिकूल प्रभाव कोविशील्ड से आधा था। 

विस्तार

अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल (TCH) और बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (BCM) ने मंगलवार को घोषणा की कि एक प्रोटीन सबयूनिट कोविड वैक्सीन कॉर्बेवैक्स (Corbevax) को भारत में लॉन्च करने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मिल गई है। वैक्सीन एंटीजन के प्रारंभिक निर्माण और उत्पादन प्रक्रिया को टीसीएच(TCH) के सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट में विकसित किया गया था, जिसका नेतृत्व सह-निदेशक मारिया एलेना बोटाजी और पीटर होटेज ने किया था।

महामारी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम: टीसीएच

वहीं कॉर्बेवैक्स को भारत में आपात मंजूरी मिलने के बाद टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट(TCH) ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह घोषणा  महामारी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बॉयलर में नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर और डीन और सह-निदेशक डॉ पीटर होटेज़ ने कहा कि हमारी वैक्सीन तकनीक मानवीय संकट को दूर करने के लिए मार्ग प्रदान करती है, अर्थात् निम्न और मध्यम आय वाले देश जो डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहे हैं उनके लिए यह वरदान साबित होगा।

3,000 से अधिक विषयों के साथ किया गया ट्रायल: टीसीएच

टीसीएच ने कहा कि टीका का क्लिनिकल ट्रायल 3,000 से अधिक विषयों के साथ  किया गया है। कंपनी ने कहा है कि यह लोगों के लिए सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन करने वाली वैक्सीन है। परीक्षणों ने ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड की तुलना में अधिक प्रभावी है। टीके की सबसे बड़ी बात यह है कि इसने गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। कहा जाए तो इसका प्रतिकूल प्रभाव कोविशील्ड से आधा था। 

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