एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 10 Feb 2022 04:05 AM IST
सार
आयकर कानून के तहत चल एवं अचल दोनों तरह की संपत्तियों की बिक्री से होने वाला लाभ कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में आता है। हालांकि, कार, परिधान, फर्नीचर जैसी चल संपत्तियां इस टैक्स के दायरे से बाहर हैं।
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बुधवार को कहा कि कैपिटल गेन्स टैक्स का नियम जटिल है। इसे आसान बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार शेयरों, ऋण और अचल संपत्ति पर कैपिटल गेन्स टैक्स की गणना के लिए विभिन्न दरों एवं होल्डिंग अवधि में बदलाव के लिए तैयार है। इसकी प्रमुख वजह प्रणाली को सरल बनाना है। बजाज के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में कैपिटल गेन्स टैक्स से होने वाली कमाई 10 गुना बढ़कर 80,000 करोड़ पहुंच सकती है।
आयकर कानून के तहत चल एवं अचल दोनों तरह की संपत्तियों की बिक्री से होने वाला लाभ कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में आता है। हालांकि, कार, परिधान, फर्नीचर जैसी चल संपत्तियां इस टैक्स के दायरे से बाहर हैं। उद्योग मंडल सीआईआई के कार्यक्रम में राजस्व सचिव ने कहा कि संपत्तियों पर विविध दरों और होल्डिंग अवधि के लिहाज से कैपिटल गेन्स टैक्स का ढांचा जटिल है। इस पर विचार करने की जरूरत है। अगली बार जब भी अवसर मिलेग, हम इसमें बदलाव करने को तैयार रहेंगे। विभाग भारत जैसे अन्य देशों और विकसित दुनिया में दरों का अध्ययन कर चुका है।
टैक्स की दर और होल्डिंग अवधि में अंतर
बजाज ने कहा कि कैपिटल गेन्स टैक्स की दर और होल्डिंग अवधि पेचीदा मामला है। सरकार ने ही इसे बनाया भी है। रियल एस्टेट के लिए कैपिटल गेन्स टैक्स की होल्डिंग अवधि 24 महीने, शेयर के लिए 12 महीने और ऋण के लिए 36 महीने है। इस भारी अंतर को देखते हुए इस पर काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सीसीआई से भी दुनियाभर में कैपिटल गेन्स टैक्स की प्रचलित दरों का अध्ययन करने के लिए कहा जाएगा। साथ ही कहा कि जब भी इस प्रकार के बदलाव किए जाते हैं तो इससे करदाताओं के एक वर्ग को लाभ होता है और दूसरे वर्ग को नुकसान होता है। यही सबसे कठिन हिस्सा होता है।
सरकार रेस्तरां उद्योग की मांग पर विचार को तैयार
राजस्व सचिव ने कहा कि सरकार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लाभ और जीएसटी की उच्च दर पर वापस जाने की रेस्तरां उद्योग की मांग पर विचार करने के लिए तैयार है। वर्तमान में रेस्तरां पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है। यह दर एसी और गैर-एसी दोनों तरह के रेस्तरां के लिए समान हैं। हालांकि, इसके साथ आईटीसी का लाभ नहीं मिलता है। स्टार का दर्जा प्राप्त उन होटलों के रेस्तरां पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है, जिनका प्रतिदिन कमरे का किराया 7,500 रुपये या अधिक है। उन्हें आईटीसी का लाभ मिलता है। बजाज ने कहा कि रेस्तरां उद्योग चाहता है कि सिर्फ पांच फीसदी कर के बजाय आईटीसी की सुविधा के साथ उनपर जीएसटी की उच्च दर लगाई जाए। अंतिम फैसला जीएसटी परिषद की बैठक में होगा।
विस्तार
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बुधवार को कहा कि कैपिटल गेन्स टैक्स का नियम जटिल है। इसे आसान बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार शेयरों, ऋण और अचल संपत्ति पर कैपिटल गेन्स टैक्स की गणना के लिए विभिन्न दरों एवं होल्डिंग अवधि में बदलाव के लिए तैयार है। इसकी प्रमुख वजह प्रणाली को सरल बनाना है। बजाज के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में कैपिटल गेन्स टैक्स से होने वाली कमाई 10 गुना बढ़कर 80,000 करोड़ पहुंच सकती है।
आयकर कानून के तहत चल एवं अचल दोनों तरह की संपत्तियों की बिक्री से होने वाला लाभ कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में आता है। हालांकि, कार, परिधान, फर्नीचर जैसी चल संपत्तियां इस टैक्स के दायरे से बाहर हैं। उद्योग मंडल सीआईआई के कार्यक्रम में राजस्व सचिव ने कहा कि संपत्तियों पर विविध दरों और होल्डिंग अवधि के लिहाज से कैपिटल गेन्स टैक्स का ढांचा जटिल है। इस पर विचार करने की जरूरत है। अगली बार जब भी अवसर मिलेग, हम इसमें बदलाव करने को तैयार रहेंगे। विभाग भारत जैसे अन्य देशों और विकसित दुनिया में दरों का अध्ययन कर चुका है।
टैक्स की दर और होल्डिंग अवधि में अंतर
बजाज ने कहा कि कैपिटल गेन्स टैक्स की दर और होल्डिंग अवधि पेचीदा मामला है। सरकार ने ही इसे बनाया भी है। रियल एस्टेट के लिए कैपिटल गेन्स टैक्स की होल्डिंग अवधि 24 महीने, शेयर के लिए 12 महीने और ऋण के लिए 36 महीने है। इस भारी अंतर को देखते हुए इस पर काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सीसीआई से भी दुनियाभर में कैपिटल गेन्स टैक्स की प्रचलित दरों का अध्ययन करने के लिए कहा जाएगा। साथ ही कहा कि जब भी इस प्रकार के बदलाव किए जाते हैं तो इससे करदाताओं के एक वर्ग को लाभ होता है और दूसरे वर्ग को नुकसान होता है। यही सबसे कठिन हिस्सा होता है।
सरकार रेस्तरां उद्योग की मांग पर विचार को तैयार
राजस्व सचिव ने कहा कि सरकार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लाभ और जीएसटी की उच्च दर पर वापस जाने की रेस्तरां उद्योग की मांग पर विचार करने के लिए तैयार है। वर्तमान में रेस्तरां पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है। यह दर एसी और गैर-एसी दोनों तरह के रेस्तरां के लिए समान हैं। हालांकि, इसके साथ आईटीसी का लाभ नहीं मिलता है। स्टार का दर्जा प्राप्त उन होटलों के रेस्तरां पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है, जिनका प्रतिदिन कमरे का किराया 7,500 रुपये या अधिक है। उन्हें आईटीसी का लाभ मिलता है। बजाज ने कहा कि रेस्तरां उद्योग चाहता है कि सिर्फ पांच फीसदी कर के बजाय आईटीसी की सुविधा के साथ उनपर जीएसटी की उच्च दर लगाई जाए। अंतिम फैसला जीएसटी परिषद की बैठक में होगा।
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