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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया: यौन कर्मियों के पुनर्वास पर लाएंगे कानून, शीतकालीन सत्र में पेश करेंगे विधेयक

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Mon, 29 Nov 2021 11:01 PM IST

सार

यौन कर्मियों के पुनर्वास को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार एक विधेयक पेश करेगी। यह जानकारी केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दी। शीतकालीन सत्र की शुरूआत आज से ही हुई है।

सर्वोच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई

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केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि देश में यौन कर्मियों की तस्करी को रोकने और उनके पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए एक विधायक संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरएस सूरी ने न्यायाधीश एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ को बताया कि केंद्र ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इससे संबंधित एक कानून लाने के लिए योजना बनाई है। शीर्ष अदालत अब इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह के बाद करेगी।

इसके साथ ही पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की ओर से पहचान किए गए यौन कर्मियों से राशन कार्ड या पहचान के लिए किसी अन्य प्रमाण की जरूरत पर जोर नहीं दिया जाए। अदालत के पिछले आदेशों का अनुपालन करते हुए सूखा राशन उपलब्ध कराया जाए। शीर्ष अदालत ने 2011 में यौन कर्मियों के पुनर्वास के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने सिफारिशों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सौंपी है।

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि क्या सरकार ने समिति की सिफारिशों में कम से कम एक पर कोई कदम उठाया है। इस पर सूरी ने मसौदा कानून की एक प्रति उपलब्ध कराने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी 10 दिसंबर से पहले स्थिति रिपोर्ट जमा करनी होगी। पीठ ने केंद्र सरकार से इसे लेकर जल्द से जल्द कानून लाने के लिए कहा।

इस बीच, पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की ओर से पहचान किए गए यौनकर्मियों से राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान प्रमाण की आवश्यकता पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया और कहा कि न्यायालय के पूर्व के आदेशों के अनुपालन में महामारी की अवधि के दौरान उन्हें सूखा राशन प्रदान करें। अदालत एक एनजीओ की ओर से दायर 2010 की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यौन कर्मियों की समस्याओं के समाधान की मांग की गई है।

विस्तार

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि देश में यौन कर्मियों की तस्करी को रोकने और उनके पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए एक विधायक संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरएस सूरी ने न्यायाधीश एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ को बताया कि केंद्र ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इससे संबंधित एक कानून लाने के लिए योजना बनाई है। शीर्ष अदालत अब इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह के बाद करेगी।

इसके साथ ही पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की ओर से पहचान किए गए यौन कर्मियों से राशन कार्ड या पहचान के लिए किसी अन्य प्रमाण की जरूरत पर जोर नहीं दिया जाए। अदालत के पिछले आदेशों का अनुपालन करते हुए सूखा राशन उपलब्ध कराया जाए। शीर्ष अदालत ने 2011 में यौन कर्मियों के पुनर्वास के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने सिफारिशों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सौंपी है।

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि क्या सरकार ने समिति की सिफारिशों में कम से कम एक पर कोई कदम उठाया है। इस पर सूरी ने मसौदा कानून की एक प्रति उपलब्ध कराने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी 10 दिसंबर से पहले स्थिति रिपोर्ट जमा करनी होगी। पीठ ने केंद्र सरकार से इसे लेकर जल्द से जल्द कानून लाने के लिए कहा।

इस बीच, पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की ओर से पहचान किए गए यौनकर्मियों से राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान प्रमाण की आवश्यकता पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया और कहा कि न्यायालय के पूर्व के आदेशों के अनुपालन में महामारी की अवधि के दौरान उन्हें सूखा राशन प्रदान करें। अदालत एक एनजीओ की ओर से दायर 2010 की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यौन कर्मियों की समस्याओं के समाधान की मांग की गई है।

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