न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बेंगलुरु
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, 04 Apr 2022 11:25 AM IST
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केंद्रीय मंत्री करंदलाजे ने कहा कि यदि मुस्लिम समाज के लोग हलाल मीट खाते हैं तो हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमें यह खाने के लिए बाध्य करना ठीक नहीं है। हलाल मीट के लिए हाल ही में सर्टिफिकेट की मांग बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि मामला फिलहाल कोर्ट में है। मामले में जनता की राय लेना चाहिए।
दूसरे वर्ग पर थोपना ठीक नहीं : ईश्वरप्पा
उधर, कर्नाटक सरकार के ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि हलाल ऐसी धारणा है जिसे कुछ लोगों ने बनाया है, खासकर कुछ दलों ने। इसके कारण कर्नाटक के लोग कष्ट झेल रहे हैं। मुस्लिमों को यदि हलाल मांस खाना है तो खाएं, लेकिन हिंदुओं पर यह थोपना नहीं चाहिए। इससे पहले भाजपा नेता सीटी रवि व अन्य ने भी हिंदुओं से यह नहीं खाने के लिए कहा था।
मारपीट के बाद पांच गिरफ्तार
कर्नाटक में हिजाब के बाद अब हलाल विवाद तूल पकड़ रहा है। गत दिनों राज्य में एक हलाल मांस विक्रेता के साथ मारपीट की गई थी। इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।
राज्य सरकार गौर करेगी : सीएम बोम्मई
हलाल मीट मामले में कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई का कहना है कि यह मुद्दा अभी शुरू हुआ है। यह एक प्रथा है, जो चल रही है। इसके खिलाफ अब गंभीर रूप आपत्तियां उठाई जा रही हैं, इसलिए राज्य सरकार इस पर गौर करेगी।
रवि ने बताया आर्थिक जेहाद का हिस्सा
सबसे पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने हलाल मीट का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था, ‘हलाल मीट मुस्लिम समुदाय की तरफ से “आर्थिक जिहाद” का हिस्सा है। ऐसे में जब मुसलमान हिंदुओं से गैर-हलाल मीट खरीदने से इनकार करते हैं, तो आप हिंदुओं को उनसे खरीदने के लिए क्यों जोर देते हैं?
क्यों है हलाल मीट पर विवाद
कर्नाटक में हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है। दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि इसके लिए जानवरों को तड़पाकर मारा जाता है। इस तरह मारे गए जानवरों का मांस अशुद्ध होता है। उसे देवी-देवताओं को नहीं चढ़ाया जा सकता है। जानवरों का मीट निकालने के लिए हलाल और झटका दो तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। हलाल मीट में जानवर की सांस की नली को काट दिया जाता है। इसकी वजह से थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो जाती है। ऐसा करने के लिए जानवर की गर्दन को रेता जाता है। वहीं, झटका मीट के लिए जानवर की गर्दन पर एक झटके में तेज वार किया जाता है। इससे गर्दन धड़ से अलग हो जाती है। इस्लाम में हलाल मीट की मान्यता है।