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काम की खबर: बाजार में उतार-चढ़ाव का ऐसे उठाएं लाभ, घरेलू बाजार में देखी गई है तेजी

काम की खबर: बाजार में उतार-चढ़ाव का ऐसे उठाएं लाभ, घरेलू बाजार में देखी गई है तेजी

सार

वैश्विक और घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव जारी है। रूस-यूक्रेन संकट के बाद दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आई है। भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल में तेजी को देखते हुए निवेशक इस समय अपने हाथ पीछे खींच रहे हैं। हालांकि, अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो इस समय मुनाफा कमा सकते हैं, जिसका पूरा गणित बताती कालीचरण की रिपोर्ट-

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इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले जोखिम का आकलन जरूरी
विशेषज्ञ बलवंत जैन का कहना है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। रूस ने जिस दिन यूक्रेन पर हमला किया, उस दिन सेंसेक्स में 2,702 अंकों की गिरावट आई थी। उसके एक दिन बाद ही घरेलू बाजार में तेजी देखी गई। पिछले सप्ताह के दौरान सेंसेक्स 3.41 फीसदी टूट गया। ऐसे में अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो एक निवेशक के रूप में अपने जोखिम का आकलन जरूर करें। इक्विटी म्यूचुअल फंड पूरी तरह जोखिम के अधीन है और यह पूरी तरह बाजार जोखिम पर निर्भर रहता है।

  • इसका मतलब है कि बाजार में जब भी गिरावट आती है तो निवेशकों का पोर्टफोलियो घट जाता है, जबकि तेजी के दौर में उन्हें मुनाफा होता है। इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए वित्तीय अनुशासन जरूरी है।
  • एसेट अलोकेशन (परिसंपत्तियों का बंटवारा) के साथ समय-समय पर पोर्टफोलिया की समीक्षा करें। इससे न सिर्फ निवेश सुरक्षित रहता है बल्कि बेहतर रिटर्न भी मिलता है।
अलग-अलग श्रेणी में करें निवेश…इक्विटी म्यूचु्अल फंड की अलग-अलग श्रेणी होती है। यह स्मॉलकैप, मिडकैप, लार्जकैप और मिक्स्ड कैप हो सकता है। अपने जोखिम के हिसाब से ही फंड चुनें। उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने के लिए निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं। इसका मतलब है कि अपने पोर्टफोलियो में मिडकैप, स्मॉल कैप, लार्ज कैप सबको जगह दें।

बाजार में गिरावट तो स्मॉलकैप पर जोर
बाजार में जब उतार-चढ़ाव का दौर शुरू होता है तो तेजी और गिरावट दोनों समय म्यूचुअल फंड के यूनिट पर असर होता है। हालांकि, लार्जकैप फंड पर असर कम होता है, जबकि स्मॉलकैप में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा जाता है।

-निवेशक उतार-चढ़ाव बढ़ने पर स्मॉलकैप, मिडकैप और लार्जकैप में निवेश घटा-बढ़ा सकते हैं। बाजार में जब गिरावट आए तो स्मॉलकैप में निवेश बढ़ा सकते हैं। तेजी आने पर यह ज्यादा रिटर्न दे सकता है।

सही निवेश का गणित

लंबी अवधि के लिए लगाएं पैसा 
म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के लिए निवेश पर जोर देना चाहिए।  इसमें कई गुना रिटर्न मिलने के साथ जोखिम घट जाता है। निवेश के दौरान फंड की समीक्षा जरूरी है, लेकिन रोजाना आधार पर ऐसा करने से तनाव बढ़ जाता है। इसलिए एक साल में तीन से चार बाक अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें। लंबी अवधि के लिए इंतजार करने पर शानदार रिटर्न मिल सकता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश का ‘15 गुना 15 गुना 15’ का नियम है। यह सुझाव देता है कि म्यूचुअल फंड में अगर 15 साल या अधिक समय तक निवेश करते हैं तो 15 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है और आप करोड़पति बन सकते हैं। यानी अगर आप 15 साल तक 15-15 हजार रुपये निवेश करते हैं तो  15 वर्ष बाद मैच्योरिटी पर आपको एक करोड़ की राशि मिलेगी।

डर से शेयर बेचने की नामसझी न करें
शेयर बाजार जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें निवेशकों को डर के मारे और नासमझी में अपने शेयर नहीं बेचने चाहिए। इतिहास गवाह है, पहले भी भू-राजनीतिक तनाव और युद्ध के कई मौकों पर बाजार धाराशायी जरूर हुआ, लेकिन फिर तेजी से वापसी भी की। इसलिए एक निवेशक के लिहाज से किसी भी संकट के समय शेयरों की अंधाधुंध बिक्री नासमझी है। ऐसा तभी करना चाहिए, जब बहुत जरूरी हो अन्यथा उल्टा असर भी पड़ सकता है। -हिरेन वैद, निदेशक, एलकेमी कैपिटल मैनेजमेंट

विस्तार

इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले जोखिम का आकलन जरूरी

विशेषज्ञ बलवंत जैन का कहना है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। रूस ने जिस दिन यूक्रेन पर हमला किया, उस दिन सेंसेक्स में 2,702 अंकों की गिरावट आई थी। उसके एक दिन बाद ही घरेलू बाजार में तेजी देखी गई। पिछले सप्ताह के दौरान सेंसेक्स 3.41 फीसदी टूट गया। ऐसे में अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो एक निवेशक के रूप में अपने जोखिम का आकलन जरूर करें। इक्विटी म्यूचुअल फंड पूरी तरह जोखिम के अधीन है और यह पूरी तरह बाजार जोखिम पर निर्भर रहता है।

  • इसका मतलब है कि बाजार में जब भी गिरावट आती है तो निवेशकों का पोर्टफोलियो घट जाता है, जबकि तेजी के दौर में उन्हें मुनाफा होता है। इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए वित्तीय अनुशासन जरूरी है।
  • एसेट अलोकेशन (परिसंपत्तियों का बंटवारा) के साथ समय-समय पर पोर्टफोलिया की समीक्षा करें। इससे न सिर्फ निवेश सुरक्षित रहता है बल्कि बेहतर रिटर्न भी मिलता है।
अलग-अलग श्रेणी में करें निवेश…इक्विटी म्यूचु्अल फंड की अलग-अलग श्रेणी होती है। यह स्मॉलकैप, मिडकैप, लार्जकैप और मिक्स्ड कैप हो सकता है। अपने जोखिम के हिसाब से ही फंड चुनें। उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने के लिए निवेशकों के लिए जरूरी है कि वे अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं। इसका मतलब है कि अपने पोर्टफोलियो में मिडकैप, स्मॉल कैप, लार्ज कैप सबको जगह दें।

बाजार में गिरावट तो स्मॉलकैप पर जोर

बाजार में जब उतार-चढ़ाव का दौर शुरू होता है तो तेजी और गिरावट दोनों समय म्यूचुअल फंड के यूनिट पर असर होता है। हालांकि, लार्जकैप फंड पर असर कम होता है, जबकि स्मॉलकैप में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा जाता है।

-निवेशक उतार-चढ़ाव बढ़ने पर स्मॉलकैप, मिडकैप और लार्जकैप में निवेश घटा-बढ़ा सकते हैं। बाजार में जब गिरावट आए तो स्मॉलकैप में निवेश बढ़ा सकते हैं। तेजी आने पर यह ज्यादा रिटर्न दे सकता है।

सही निवेश का गणित

लंबी अवधि के लिए लगाएं पैसा 

म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के लिए निवेश पर जोर देना चाहिए।  इसमें कई गुना रिटर्न मिलने के साथ जोखिम घट जाता है। निवेश के दौरान फंड की समीक्षा जरूरी है, लेकिन रोजाना आधार पर ऐसा करने से तनाव बढ़ जाता है। इसलिए एक साल में तीन से चार बाक अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें। लंबी अवधि के लिए इंतजार करने पर शानदार रिटर्न मिल सकता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश का ‘15 गुना 15 गुना 15’ का नियम है। यह सुझाव देता है कि म्यूचुअल फंड में अगर 15 साल या अधिक समय तक निवेश करते हैं तो 15 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है और आप करोड़पति बन सकते हैं। यानी अगर आप 15 साल तक 15-15 हजार रुपये निवेश करते हैं तो  15 वर्ष बाद मैच्योरिटी पर आपको एक करोड़ की राशि मिलेगी।

डर से शेयर बेचने की नामसझी न करें

शेयर बाजार जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें निवेशकों को डर के मारे और नासमझी में अपने शेयर नहीं बेचने चाहिए। इतिहास गवाह है, पहले भी भू-राजनीतिक तनाव और युद्ध के कई मौकों पर बाजार धाराशायी जरूर हुआ, लेकिन फिर तेजी से वापसी भी की। इसलिए एक निवेशक के लिहाज से किसी भी संकट के समय शेयरों की अंधाधुंध बिक्री नासमझी है। ऐसा तभी करना चाहिए, जब बहुत जरूरी हो अन्यथा उल्टा असर भी पड़ सकता है। -हिरेन वैद, निदेशक, एलकेमी कैपिटल मैनेजमेंट

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