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काम की खबर: जानिए आपके वेतन के किस हिस्से पर बनती है कर देनदारी

काम की खबर: जानिए आपके वेतन के किस हिस्से पर बनती है कर देनदारी

कंपोनेंट के हिसाब से अलग है अलग की जाती है गणना
विशेषज्ञ गिरीश नारंग का कहना है कि निजी कंपनी के कर्मचारियों को मिलने वाली सीटीसी (कॉस्ट टू कंपनी) में कई कंपोनेंट (हिस्से) होते हैं। इनमें मूल वेतन, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), महंगाई भत्ता (डीए), वेरिएबल पे, इंबर्समेंट, लीव ट्रैवेल अलाउंस (एलटीए), मेडिकल अलाउंस, बोनस, प्रोविडेंट फंड (पीएफ) और फूड अलाउंस आदि शामिल होते हैं। सीटीसी के कंपोनेंट हर कंपनी के लिए अलग-अलग होते हैं। इन पर या कंपनी की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का कर देनदारी की गणना भी अलग-अलग होती है। कर्मचारी को मिलने वाले अलाउंस और अतिरिक्त सुविधाओं की प्रकृति के हिसाब से इन पर कर का आकलन किया जा सकता है। इनमें से कुछ पूरी तरह करयोग्य होते हैं, जबकि कुछ पर पूरी तो कुछ पर आंशिक छूट मिलती है।

इन पर नहीं मिलती है कोई छूट

मूल वेतन
यह एक नियत राशि होती है, जिसका भुगतान कर्मचारियों के किए गए कार्य पर होता है। इसमें बोनस, लाभ या अन्य मुआवजा शामिल नहीं होता है। यह वेतन पूरी तरह करयोग्य होता है।

वेरिएबल पे
सीटीसी के इस हिस्से पर टैक्स लगता है। यह कर्मचारी के प्रदर्शन के हिसाब से मिलता है।

बोनस
कर्मचारियों को मिलने वाला बोनस पूरी तरह करयोग्य होता है। यानी कोई कंपनी अगर अपने कर्मचारी को बोनस देती है तो उसे इस पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।

ग्रेच्युटी
टैक्स लगता है। हालांकि, रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी मिलने पर टैक्स गणना इस आधार पर होगी कि कंपनी पेमेंट ऑफ ग्रेच्यूटी कानून के तहत आती है या नहीं। कंपनी इस कानून के तहत आती है तो धारा 10 ( 10 ) के तहत वास्तविक राशि 20 लाख रुपये और आखिरी वेतन के 15 गुने को 26 से भाग देने के बाद उसे कंपनी में काम करने के साल से गुणा करने पर जो रकम आती है, इन तीनों में जो कम हो, उस पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।

यहां दावा कर उठा सकते हैं लाभ

एचआरए
आयकर कानून की धारा 10 (13ए) के तक निश्चित सीमा तक छूट मिलती है। करदाताओं को वास्तविक एचआरए राशि, मेट्रो शहरों में वेतन का 50 फीसदी, अन्य शहरों में 40% और वेतन के 10% से अधिक चुकाये गए किराये, इन तीनों में जो सबसे कम हो, उस पर छूट ले सकते हैं।

रिइंबर्समेंट
आयकर कानून की धारा 10 (14) के तहत आधिकारिक उद्देश्यों के लिए कर्मचारियों को जो राशि मिलती है, उस पर छूट मिलती है। हालांकि, इसके लिए कर्मचारियों को यह खर्च दिखाना पड़ता है। जरूरी बिल और वाउचर्स देने पड़ते हैं।

एलटीए आयकर कानून की
धारा 10 (5) के तहत लीव ट्रैवेल अलाउंस पर छूट का दावा कर सकते हैं, लेकिन, कुछ शर्तें पूरी करनी जरूरी है। करदाता ने अगर हवाई यात्रा की है तो घरेलू यात्रा पर ही छूट का दावा कर सकता है। चार कैलेंडर वर्ष (2022-25) में सिर्फ दो बार एलटीए पर टैक्स छूट ले सकते हैं।

परिवार के साथ की गई यात्रा के लिए ही छूट मिलेगी। परिवार में जीवनसाथी, बच्चे, करदाता पर निर्भर माता-पिता और भाई-बहन आते है। एक अक्तूबर, 1998 के बाद जन्मे दो से अधिक बच्चों के लिए यह छूट नहीं मिलती है।

कंपनी के ईसॉप पर भी टैक्स
ईसॉप (इंप्लाई स्टॉक ऑप्शन प्लान) कर्मचारी बेनेफिट प्लान है। इसके जरिये कर्मचारी को कंपनी इक्विटी हिस्सेदारी मिलती है, जो आमतौर पर शेयरों के फेयर मार्केट वैल्यू से कम पर मिलती है। भाव के इस अंतर पर कर्मचारियों को आयकर कानून की धारा 17 (2) (6) के तहत अतिरिक्त सुविधाओं के रूप में टैक्स चुकाना होता है। एके निगम, निदेशक, बीपीएन फिनकैप

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