Desh

कल्याण सिंह: अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के समय कल्याण सिंह वहां नहीं थे, फिर भी उन पर लगे साजिश में शामिल होने के आरोप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: प्रतिभा ज्योति
Updated Sun, 22 Aug 2021 12:04 AM IST

सार

बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराने के साजिश में कल्याण सिंह का नाम भी प्रमुखता से लिया गया था। कहा जाता है कि 1991 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्याण सिंह ने मुरली मनोहर जोशी और दूसरे नेताओं के साथ अयोध्या जाकर शपथ ली थी कि विवादित जगह पर ही मंदिर बनेगा।

राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह
– फोटो : amar ujala

ख़बर सुनें

विस्तार

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का शनिवार शाम को निधन हो गया। उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कल्याण सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने के वक्त कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन पर आरोप लगे कि उग्र कारसेवकों को उनकी पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर नहीं रोका। कल्याण सिंह उन तेरह लोगों में शामिल रहे जिन पर मूल चार्जशीट में मस्जिद गिराने की साजिश में शामिल होने के आरोप लगे। पत्रकार और लेखक विजय त्रिवेदी ने इस बात का जिक्र अपनी किताब ‘यदा-यदा हि योगी’ में किया है। 

विजय त्रिवेदी ने लिखा है कि अक्तूबर 1991 में कल्याण सिंह की सराकर ने बाबरी मस्जिद कॉम्प्लेक्स के पास 2.77 एकड़ जमीन का अधिग्रहण पर्यटन बढ़ाने के नाम पर किया था। जुलाई 1992 में संघ परिवार ने प्रस्तावित राम मंदिर का शिलान्यास किया और बाबरी मस्जिद के इर्द-गिर्द खुदाई करके वहां सीमेंट-कंक्रीट की 10 फुट मोटी परत भर दी गई। कल्याण सिंह सरकार ने इसे भजन करने का स्थान बताया और विश्व हिंदू-परिषद ने इसे राम मंदिर की बुनियाद घोषित कर दिया।  

पांच दिसंबर को विनय कटियार के घर पर हुई थी गोपनीय बैठक

विवादित ढांचा गिराए जाने से एक दिन पहले पांच दिसंबर को अयोध्या में विनय कटियार के घर पर एक गोपनीय बैठक हुई थी, जिसमें आडवाणी के अलावा शिव सेना नेता पवन पांडे भी मौजूद थे। माना जाता है कि इसी बैठक में विवादित ढांचा गिराने का आखिरी फैसला हुआ था। 

इस किताब के मुताबिक केंद्र सरकार ने 195 कम्पनी सेंट्रल मिलिट्री पोर्स मदद के लिए भेजी थी, लेकिन कल्याण सिंह सरकार ने उसका इस्तेमाल नहीं किया। पांच दिसंबर को उत्तर प्रदेश के प्रमुख गृह सचिव ने केंद्रीय बल का प्रयोग करने का सुझाव दिया, लेकिन कल्याण सिंह इस पर भी राजी नहीं हुए। ढांचा गिराए जाने के समय वह अयोध्या में नहीं थे, फिर भी उन पर साजिश में शामिल होने के आरोप लगे थे।  

दंड देना है तो मुझे दो

छह दिसंबर की शाम को ही घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश विधानसभा भंग कर दी। इस घटना के बाद कल्याण सिंह ने एक भाषण में कहा-कोर्ट में केस करना है तो मेरे खिलाफ करो। जांच आयोग बिठाना है तो मेरे खिलाफ बैठाओ। किसी को दंड देना है तो मुझे दो। 

जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तब पी वी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे। इस घटना को लेकर उनकी भूमिका भी सवालों के घरे मे रहीं और इसका खामियाजा उन्हें और उनकी पार्टी को कई चुनावों में भुगतना पड़ा। कांग्रेस ने न सिर्फ उनसे किनारा कर लिया, बल्कि घटना का पूरा ठीकरा भी उन्हीं के सिर फोड़ने की कोशिश की। 

 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: