वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 21 Aug 2021 02:20 AM IST
तालिबान का दूसरा नाम ही क्रूरता है। महिलाओं से लेकर समाज हर कमजोर तबके को तालिबान बेहिचक अपना शिकार बनाता है और जुल्म ढ़हाता है। यही कारण है लोग अफगानिस्तान में तालिबान शासन से दूर जाना चाहते हैं। अब अफगानिस्तान के एलजीबीटी समुदाय के सामने भी चुनौती है वो इससे कैसे निपटेंगे क्योंकि अफगानिस्तान में गे या लेस्बियन की जिंदगी पहले से ही मुश्किल भरी थी।
एक एलजीबीटी अफगानी ने बताया कि अब अफगानिस्तान में तालिबान का राज है, रोज हिंसा हो रही हैं। रोज लोगों की मौंत के मुंह में जा रहे हैं। ऐसे में अब अफगानिस्तान से दूर जाने का मन होता है। निकलने के लिए काबुल एयरपोर्ट पहुंचना जरूरी है लेकिन क्या मुझे तालिबान पहुंचने देंगे। अफगानिस्तान में गे या लेस्बियन लोगों की जिंदगी पहले ही बहुत दिक्कतें भरीं थी।
तालिबान राज से बढ़ा खौफ
अफगानिस्तान में गे या लेस्बियन छात्र छुपकर अपना दिन किसी तरह से गुजार रहे हैं। उनके पास सिर्फ भाग जाना ही बेहतर विकल्प है। वो चाहते हैं कि किसी दूसरे मुल्क में रहने की इजाजत मिले तो वे जरूर चले जाएंगे। गौरतलब है कि तालिबान की सजा से सब वाकिफ हैं। इसे लेकर लोगों के मन में काफी डर है। खासतौर पर एयरपोर्ट के हालात को देखने के बाद उसका डर और ज्यादा बढ़ गया है।
कनाडा और आयरलैंड ने दिया आश्वासन
कनाडा और आयरलैंड ने यह सुनिश्चित किया है कि उनके यहां एलजीबीटी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अफगान नागरिक शरण ले सकते हैं। कनाडा अपने यहां 20 हजार अफगान शरणार्थियों को जगह दे रहा है। उसने कहा है कि इसमें एलजीबीटी समुदाय के लोग भी आ सकते हैं। लेकिन ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों की तरफ से इस दिशा में कोई आश्वासन नहीं मिला है। वहीं कई देश ऐसे भी हैं जो एलजीबीटी समुदाय के लोगों को शरण नहीं देना चाहते हैं।
विस्तार
तालिबान का दूसरा नाम ही क्रूरता है। महिलाओं से लेकर समाज हर कमजोर तबके को तालिबान बेहिचक अपना शिकार बनाता है और जुल्म ढ़हाता है। यही कारण है लोग अफगानिस्तान में तालिबान शासन से दूर जाना चाहते हैं। अब अफगानिस्तान के एलजीबीटी समुदाय के सामने भी चुनौती है वो इससे कैसे निपटेंगे क्योंकि अफगानिस्तान में गे या लेस्बियन की जिंदगी पहले से ही मुश्किल भरी थी।
एक एलजीबीटी अफगानी ने बताया कि अब अफगानिस्तान में तालिबान का राज है, रोज हिंसा हो रही हैं। रोज लोगों की मौंत के मुंह में जा रहे हैं। ऐसे में अब अफगानिस्तान से दूर जाने का मन होता है। निकलने के लिए काबुल एयरपोर्ट पहुंचना जरूरी है लेकिन क्या मुझे तालिबान पहुंचने देंगे। अफगानिस्तान में गे या लेस्बियन लोगों की जिंदगी पहले ही बहुत दिक्कतें भरीं थी।
तालिबान राज से बढ़ा खौफ
अफगानिस्तान में गे या लेस्बियन छात्र छुपकर अपना दिन किसी तरह से गुजार रहे हैं। उनके पास सिर्फ भाग जाना ही बेहतर विकल्प है। वो चाहते हैं कि किसी दूसरे मुल्क में रहने की इजाजत मिले तो वे जरूर चले जाएंगे। गौरतलब है कि तालिबान की सजा से सब वाकिफ हैं। इसे लेकर लोगों के मन में काफी डर है। खासतौर पर एयरपोर्ट के हालात को देखने के बाद उसका डर और ज्यादा बढ़ गया है।
कनाडा और आयरलैंड ने दिया आश्वासन
कनाडा और आयरलैंड ने यह सुनिश्चित किया है कि उनके यहां एलजीबीटी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अफगान नागरिक शरण ले सकते हैं। कनाडा अपने यहां 20 हजार अफगान शरणार्थियों को जगह दे रहा है। उसने कहा है कि इसमें एलजीबीटी समुदाय के लोग भी आ सकते हैं। लेकिन ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों की तरफ से इस दिशा में कोई आश्वासन नहीं मिला है। वहीं कई देश ऐसे भी हैं जो एलजीबीटी समुदाय के लोगों को शरण नहीं देना चाहते हैं।
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