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कम नहीं पीएम शाहबाज की चुनौतियां : पाकिस्तान में आर्थिक मुश्किलों का पहाड़, श्रीलंका की राह पर जाता दिख रहा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Wed, 13 Apr 2022 11:44 AM IST

सार

इमरान खान को अर्थव्यवस्था बुरे हाल में मिली थी, लेकिन उनके शासनकाल में यह बदतर हो गई।

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पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के सामने आर्थिक चुनौतियों का अंबार है। पूर्ववर्ती इमरान सरकार भी आर्थिक संकट से जूझ रही थी। वह संकट लगातार और गहरा रहा है। पाकिस्तान की नई सरकार के सामने बड़ी समस्याओं में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, बढ़ती महंगाई, और सरकार पर बढ़ रहे कर्ज का बोझ शामिल है। देश में आयात बढ़ने के कारण व्यापार घाटा 35 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। यदि पाकिस्तान ने समय पर कर्ज अदायगी नहीं की तो वह भी श्रीलंका की तरह डिफॉल्टर बन सकता है। 
इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री आतिफ आर. मियां ने एक लंबा ट्विटर थ्रेड लिखा। इसमें उन्होंने कहा है कि इमरान खान को अर्थव्यवस्था बुरे हाल में मिली थी, लेकिन उनके शासनकाल में यह बदतर हो गई। उन्होंने लिखा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस सरकार से करोड़ों लोगों ने ऊंची उम्मीदें जोड़ी थीं, उसका अंत बड़ी नाकामी के साथ हुआ। अब मैं उम्मीद करता हूं कि जो लोग सत्ता में आए हैं, वे इस और अपनी पिछली नाकामियों से भी सबक लेंगे।’

नहीं बढ़ी औसत आय, मूर्खतापूर्ण योजनाओं पर धन खर्च
आतिफ मियां ने कहा है कि इमरान खान के शासनकाल में पाकिस्तानी नागरिकों की औसत आय में शून्य वृद्धि हुई। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान कभी भुगतान संतुलन की समस्या से नहीं उबर पाया। इमरान सरकार पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौतियों को समझ नहीं पाई। उसके पास कोई योजना नहीं थी। देश का बेशकीमती धन उसने मूर्खतापूर्ण योजनाओं पर खर्च कर दिया।

आईएमएफ ने रोकी कर्ज की किश्तें
विश्लेषकों का कहना है कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के कारण महीने भर तक चली राजनीतिक अस्थिरता ने आर्थिक संकट को और विकट बना दिया है। अब पाकिस्तान के सामने आर्थिक मुश्किलों का ऐसा पहाड़ खड़ा है, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ‘आईएमएफ’ ने छह अरब डॉलर के कर्ज की किश्तें रोक रखी हैं, क्योंकि महीने भर से उससे बातचीत करने के लिए पाकिस्तान में सरकार ही नहीं थी।

कर्ज चुकाना भी बड़ी चुनौती
पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक के आंकड़ों से जाहिर है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार गहरे दबाव में है। मार्च के बाद से इसमें 2.9 बिलियन डॉलर की और गिरावट आ चुकी है। साथ ही ऑस्ट्रेलियाई कंपनी एन्टोफागस्टा को तुरंत 90 करोड़ डॉलर चुकाना है। गौरतलब है कि इस कंपनी के साथ चल रहा एक मुकदमा पाकिस्तान सरकार हार गई थी। विदेशी कर्ज की किश्तें चुकाने की चुनौती भी सामने खड़ी है।

विदेशी मुद्रा भंडार में मात्र 11 अरब डॉलर
इस्लामाबाद स्थित राजनीति शास्त्री फारुख सलीम ने वेबसाइट एशिया टाइम्स से कहा- ‘नई सरकार के सामने बेहद गंभीर चुनौतियां हैं। पिछले तीन साल में पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में 50 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास 11 अरब डॉलर ही बचे हैं। यह दो महीनों के आयात के बदले भुगतान के लिए भी पर्याप्त नहीं है।’

श्रीलंका के बाद पाकिस्तान बनेगा कर्ज डिफॉल्टर?
पिछले हफ्ते पाकिस्तान के सामने कर्ज डिफॉल्ट करने की स्थिति खड़ी हो गई थी। तब चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मदद से वह इसे टाल पाया। यूएई ने पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर का कर्ज मुहैया कराया। जबकि पाकिस्तान पर पहले से ही यूएई का 45 करोड़ डॉलर का कर्ज है। अब समझा जा रहा है कि ये तमाम चुनौतियां शाहबाज शरीफ का कड़ा इम्तिहान हैं। यदि पाकिस्तान ने समय पर कर्ज अदायगी नहीं की तो वह भी श्रीलंका की तरह डिफॉल्टर बन सकता है। 

विस्तार

पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के सामने आर्थिक चुनौतियों का अंबार है। पूर्ववर्ती इमरान सरकार भी आर्थिक संकट से जूझ रही थी। वह संकट लगातार और गहरा रहा है। पाकिस्तान की नई सरकार के सामने बड़ी समस्याओं में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, बढ़ती महंगाई, और सरकार पर बढ़ रहे कर्ज का बोझ शामिल है। देश में आयात बढ़ने के कारण व्यापार घाटा 35 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। यदि पाकिस्तान ने समय पर कर्ज अदायगी नहीं की तो वह भी श्रीलंका की तरह डिफॉल्टर बन सकता है। 

इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री आतिफ आर. मियां ने एक लंबा ट्विटर थ्रेड लिखा। इसमें उन्होंने कहा है कि इमरान खान को अर्थव्यवस्था बुरे हाल में मिली थी, लेकिन उनके शासनकाल में यह बदतर हो गई। उन्होंने लिखा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस सरकार से करोड़ों लोगों ने ऊंची उम्मीदें जोड़ी थीं, उसका अंत बड़ी नाकामी के साथ हुआ। अब मैं उम्मीद करता हूं कि जो लोग सत्ता में आए हैं, वे इस और अपनी पिछली नाकामियों से भी सबक लेंगे।’

नहीं बढ़ी औसत आय, मूर्खतापूर्ण योजनाओं पर धन खर्च

आतिफ मियां ने कहा है कि इमरान खान के शासनकाल में पाकिस्तानी नागरिकों की औसत आय में शून्य वृद्धि हुई। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान कभी भुगतान संतुलन की समस्या से नहीं उबर पाया। इमरान सरकार पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौतियों को समझ नहीं पाई। उसके पास कोई योजना नहीं थी। देश का बेशकीमती धन उसने मूर्खतापूर्ण योजनाओं पर खर्च कर दिया।

आईएमएफ ने रोकी कर्ज की किश्तें

विश्लेषकों का कहना है कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के कारण महीने भर तक चली राजनीतिक अस्थिरता ने आर्थिक संकट को और विकट बना दिया है। अब पाकिस्तान के सामने आर्थिक मुश्किलों का ऐसा पहाड़ खड़ा है, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ‘आईएमएफ’ ने छह अरब डॉलर के कर्ज की किश्तें रोक रखी हैं, क्योंकि महीने भर से उससे बातचीत करने के लिए पाकिस्तान में सरकार ही नहीं थी।

कर्ज चुकाना भी बड़ी चुनौती

पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक के आंकड़ों से जाहिर है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार गहरे दबाव में है। मार्च के बाद से इसमें 2.9 बिलियन डॉलर की और गिरावट आ चुकी है। साथ ही ऑस्ट्रेलियाई कंपनी एन्टोफागस्टा को तुरंत 90 करोड़ डॉलर चुकाना है। गौरतलब है कि इस कंपनी के साथ चल रहा एक मुकदमा पाकिस्तान सरकार हार गई थी। विदेशी कर्ज की किश्तें चुकाने की चुनौती भी सामने खड़ी है।

विदेशी मुद्रा भंडार में मात्र 11 अरब डॉलर

इस्लामाबाद स्थित राजनीति शास्त्री फारुख सलीम ने वेबसाइट एशिया टाइम्स से कहा- ‘नई सरकार के सामने बेहद गंभीर चुनौतियां हैं। पिछले तीन साल में पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में 50 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास 11 अरब डॉलर ही बचे हैं। यह दो महीनों के आयात के बदले भुगतान के लिए भी पर्याप्त नहीं है।’

श्रीलंका के बाद पाकिस्तान बनेगा कर्ज डिफॉल्टर?

पिछले हफ्ते पाकिस्तान के सामने कर्ज डिफॉल्ट करने की स्थिति खड़ी हो गई थी। तब चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मदद से वह इसे टाल पाया। यूएई ने पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर का कर्ज मुहैया कराया। जबकि पाकिस्तान पर पहले से ही यूएई का 45 करोड़ डॉलर का कर्ज है। अब समझा जा रहा है कि ये तमाम चुनौतियां शाहबाज शरीफ का कड़ा इम्तिहान हैं। यदि पाकिस्तान ने समय पर कर्ज अदायगी नहीं की तो वह भी श्रीलंका की तरह डिफॉल्टर बन सकता है। 

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