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एसबीआई रिपोर्ट : युद्ध खिंचा तो भारत को एक लाख करोड़ का होगा नुकसान, घरेलू महंगाई भी बढ़ने का अंदेशा

सार

अगले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की मांग 8 से 10 प्रतिशत बढ़ती है, तो पूरे वर्ष में नुकसान एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचेगा। ये कीमतें महंगाई पर सीधा असर डालेंगी। अप्रैल 2021 में 63.4 डॉलर से तेल की कीमतें जनवरी 2022 में 84.67 डॉलर तक पहुंच गईं, यानी करीब 33.5 फीसदी वृद्धि हुई। यह 100 डॉलर के पारी चली जाती है, तो महंगाई और भी बढ़ेगी।

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यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगा हुआ तेल भारत को एक लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान पहुंचा सकता है। रूस के हमले के बाद कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल के अधिकतम स्तर तक पहुंच गई हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की नई शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है, युद्ध खिंचा तो अगले वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व में 95 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक कमी आ सकती है।

सभी वस्तुओं व उत्पादों की कीमतों पर असर हो सकता है, जिससे घरेलू महंगाई भी बढ़ेगी। जापानी शोध कंपनी नोमुरा का भी दावा है, इस संकट में भारत को एशिया में सर्वाधिक नुकसान होगा। एसबीआई के समूह प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2021 से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है।

हालांकि भारत में सरकार ने इसे काबू रखा है। अगर कीमत 100 से 110 डॉलर की सीमा में रहती है तो वैट के ढांचे के अनुसार, पेट्रोल-डीजल की कीमत मौजूदा दर से 9 से 14 रुपये प्रति लीटर अधिक होनी चाहिए। सरकार उत्पाद कर घटा कीमत बढ़ने से रोकती है, तो हर महीने 8,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।

अगले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की मांग 8 से 10 प्रतिशत बढ़ती है, तो पूरे वर्ष में नुकसान एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचेगा। ये कीमतें महंगाई पर सीधा असर डालेंगी। अप्रैल 2021 में 63.4 डॉलर से तेल की कीमतें जनवरी 2022 में 84.67 डॉलर तक पहुंच गईं, यानी करीब 33.5 फीसदी वृद्धि हुई। यह 100 डॉलर के पारी चली जाती है, तो महंगाई और भी बढ़ेगी।

निर्यात पर भी बुरा असर
भले ही इस युद्ध से भारत के रणनीतिक हित नहीं जुड़े हैं पर आर्थिक असर तो होगा ही। यूरोप को दी जाने वाली सेवाओं पर नकारात्मक असर होगा। रूस पर प्रतिबंधों से भारत से निर्यात होने वाली चाय और अन्य नियमित उत्पादों पर भी असर पड़ सकता है। 

हर क्षेत्र होगा प्रभावित 
सोने, प्लेटिनम और पैलेडियम जैसी मूल्यवान धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

  • यूक्रेन कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक है। आयात रुका तो गेहूं-मकई जैसे अनाज के दाम बढ़ सकते हैं।
  • जनवरी में महंगाई र 6.01 फीसदी पर थी, जो 7 महीने में सर्वाधिक है।

विकास के लिए नई चुनौतियां
यूक्रेन-रूस युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वैश्विक शांति के लिए पहली बार बड़ी चुनौतियां लेकर आया है। यह हालात भारत के विकास के लिए भी नई चुनौतियां पेश करेंगे। महामारी से हुए आर्थिक नुकसान के बाद अब सुधार हो रहा है। इतने बड़े स्तर का युद्ध न केवल विश्व शांति के लिए बल्कि हमारे लिए भी नई चुनौतियां पैदा कर रहा है। -निर्मला सीतारमण, वित्तमंत्री

विस्तार

यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगा हुआ तेल भारत को एक लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान पहुंचा सकता है। रूस के हमले के बाद कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल के अधिकतम स्तर तक पहुंच गई हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की नई शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है, युद्ध खिंचा तो अगले वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व में 95 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक कमी आ सकती है।

सभी वस्तुओं व उत्पादों की कीमतों पर असर हो सकता है, जिससे घरेलू महंगाई भी बढ़ेगी। जापानी शोध कंपनी नोमुरा का भी दावा है, इस संकट में भारत को एशिया में सर्वाधिक नुकसान होगा। एसबीआई के समूह प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2021 से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है।

हालांकि भारत में सरकार ने इसे काबू रखा है। अगर कीमत 100 से 110 डॉलर की सीमा में रहती है तो वैट के ढांचे के अनुसार, पेट्रोल-डीजल की कीमत मौजूदा दर से 9 से 14 रुपये प्रति लीटर अधिक होनी चाहिए। सरकार उत्पाद कर घटा कीमत बढ़ने से रोकती है, तो हर महीने 8,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।

अगले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की मांग 8 से 10 प्रतिशत बढ़ती है, तो पूरे वर्ष में नुकसान एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचेगा। ये कीमतें महंगाई पर सीधा असर डालेंगी। अप्रैल 2021 में 63.4 डॉलर से तेल की कीमतें जनवरी 2022 में 84.67 डॉलर तक पहुंच गईं, यानी करीब 33.5 फीसदी वृद्धि हुई। यह 100 डॉलर के पारी चली जाती है, तो महंगाई और भी बढ़ेगी।

निर्यात पर भी बुरा असर

भले ही इस युद्ध से भारत के रणनीतिक हित नहीं जुड़े हैं पर आर्थिक असर तो होगा ही। यूरोप को दी जाने वाली सेवाओं पर नकारात्मक असर होगा। रूस पर प्रतिबंधों से भारत से निर्यात होने वाली चाय और अन्य नियमित उत्पादों पर भी असर पड़ सकता है। 

हर क्षेत्र होगा प्रभावित 

सोने, प्लेटिनम और पैलेडियम जैसी मूल्यवान धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

  • यूक्रेन कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक है। आयात रुका तो गेहूं-मकई जैसे अनाज के दाम बढ़ सकते हैं।
  • जनवरी में महंगाई र 6.01 फीसदी पर थी, जो 7 महीने में सर्वाधिक है।

विकास के लिए नई चुनौतियां

यूक्रेन-रूस युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वैश्विक शांति के लिए पहली बार बड़ी चुनौतियां लेकर आया है। यह हालात भारत के विकास के लिए भी नई चुनौतियां पेश करेंगे। महामारी से हुए आर्थिक नुकसान के बाद अब सुधार हो रहा है। इतने बड़े स्तर का युद्ध न केवल विश्व शांति के लिए बल्कि हमारे लिए भी नई चुनौतियां पैदा कर रहा है। -निर्मला सीतारमण, वित्तमंत्री

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